- पब्लिक की प्रॉब्लम दूर करने के लिए शुरू हुई कवायद

- भूमि की तलाश होने तक पुलिस लाइन काम करेगा थाना

द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र:

जिले में साइबर थाना बनाने की प्रोसेस पूरी करने एक बार फिर से कोशिश शुरू हुई है। भूमि के अभाव में बिल्डिंग बनाने में हो रही देरी को देखते हुए डीआईजी ने अस्थायी इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं। डीआईजी ने कहा कि जब तक भूमि नहीं मिल जाती है। तब तक पब्लिक की प्रॉब्लम दूर करने के लिए पुलिस लाइन में अस्थायी थाना बना दिया जाए। डीआईजी के निर्देश पर एसएसपी गोरखपुर ने कार्रवाई शुरू कर दी। जल्द साइबर थाना काम करने लगा। हालांकि फौरी तौर पर एसएसपी आफिस में साइबर सेल चल रहा है।

रोजाना औसतन चार लोग बन रहे शिकार

जिले में साइबर क्राइम के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। 2019 में दिसंबर तक रोजाना कम से कम चार लोगों को साइबर क्रिमिन्लस ने शिकार बनाया था। जनवरी में साइबर क्राइम के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। हालत यह है कि साइबर क्राइम के मामले सामने आने पर पुलिस हांफ जा रही है। इस तरह की वारदातों को सॉल्व करने के लिए थानों पर अलग से पुलिस कर्मचारियों को जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन यह कदम प्रभावी नहीं हो पा रहा है। ज्यादातर मामले क्राइम ब्रांच के साइबर सेल में पहुंच रहे हैं। रोजाना होने वाली शिकायतों को निस्तारण में पुलिस कर्मचारियों की सांस फूल जा रही। लेकिन वहां तक पहुंचने में पब्लिक को काफी दिक्कतों से जूझना पड़ता है। इससे समय की बर्बादी होती है। पब्लिक को लगता है कि पुलिस उनकी बात नहीं सुन रही। इसलिए लोग निराश हो जाते हैं।

तीन साल से पेडिंग पड़ी भूमि की तलाश

शहर में साइबर थाना खोलने के लिए भूमि की तलाश चल रही है। लेकिन यह प्रक्रिया करीब तीन साल से पेडिंग पड़ी है। जिला प्रशासन की मदद से पुलिस भूमि खोज रही है। जमीन मिलने पर थाना बनाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। शहर में अच्छी जगह के अभाव में थाना नहीं बन पा रहा है। साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों को देखते हुए डीआईजी ने पुलिस लाइन में टेंपरोरी थाना बनाने का निर्देश दिया है। अस्थाई थाना बनने से पब्लिक को बेवजह की दौड़भाग नहीं करनी होगी। आसानी से एक ही जगह पर कई मामलों का समाधान हो सकेगा।

क्या होती है प्रॉब्लम, क्यों पड़ रही जरूरत

साइबर क्राइम के मामलों की जानकारी लोगों को काफी देर से होती है। कई बार लोगों को एकाउंट से रुपए निकल जाने पर विलंब से मैसेज आता है। यदि मैसेज आने पर लोग शिकायत लेकर थाने पर जाते हैं। फरियादी का एप्लीकेशन लेकर मुकदमा दर्ज करने पर विचार किया जाता है। इस चक्कर में तीन-चार दिन गुजर जाते हैं। बाद में लोग साइबर सेल में पहुंचते हैं। इससे पुलिस की किरकिरी होती है। समस्या का समाधान करने के लिए टेंपरोरी थाना बनाया जा रहा है।

झूठी शिकायत पर होगी कार्रवाई, पुलिस करेगी जांच

थाना में साइबर क्राइम के मामले दर्ज कराए जा सकेंगे। किसी तरह की शिकायत आने पर एफआईआर दर्ज करके जांच शुरू कर दी जाएगी। इसमें ज्यादा विलंब नहीं होगा जिससे लोगों के एकाउंट से रुपए की रिकवरी करने में आसानी होगी। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि साइबर मामलों की झूठी शिकायत भारी पड़ेगी। यदि किसी ने गलत सूचना देकर पुलिस को गुमराह किया तो उसके खिलाफ एफआईआर होगी।

इन तरीकों से होती ठगी

- फेसबुक आईडी हैक करके मदद के नाम पर मैसेज

- बैंक से लोन दिलाने के नाम पर जालसाजी

- चिट फंड कंपनी में रुपए जमा कराने पर ठगी

- नौकरी लगाने के नाम पर पब्लिक से पैसे लेकर

- चेहरा पहचानो ईनाम जीतो के नाम पर ठगी

- बीमा कंपनी के फर्जी अधिकारी बनकर ठगी करते हैं

- टॉवर लगाने के नाम पर लोगों के रुपए लेकर गायब होना

- फर्जी तरीके से लॉटरी लगने का झांसा देकर रुपए ले जाना

- एटीएम कार्ड का क्लोन तैयार कर, पासवर्ड चुराकर ठगी

- फर्जी फोन कॉल करके ओटीपी पूछने कर एकाउंट से नकदी उड़ाना

- बैंक से वन टाइम पासवर्ड मैसेज भेजकर जालसाजी

ये सावधानी बरत करके करें बचाव

- वेबसाइट पर पे लॉग करते हैं तो लॉगआउट जरूर करें।

- साइबर कैफे में इंटरनेट बैकिंग का प्रयोग कभी ना करें।

- फेंक वेबसाइट्स से सजग रहे। गूगल पर हेल्पलाइन नंबर न सर्च करें।

- किसी बैंक या अन्य से मिलते जुलते ई मेल पर पर्सनल जानकारी देने से बचें।

- पायरेटेड सॉफ्टवेयर से सावधान रहें। इससे सुरक्षा में सेंध लग सकती है।

- फोन पर जियो टैगिंग बंद करके रखें। एक मजबूत पासवर्ड बनाएं।

- अपने स्मार्टफोन को नियमित रूप से अपडेट करते रहें।

- कोई साफ्टवेयर यूज करने के पहले उसके बारे में पूरी जानकारी लें।

- सोशल नेटवर्किंग साइट पर गोपनीयता, सुरक्षा सेटिंग्स के बारे में जानें।

- सोशल मीडिया पर दोस्तों से मिले लिंक पर क्लिक करने से पहले जरूर सोचें।

- सोशल मीडिया साइट पर कुछ भी पोस्ट करने के पहले जरूर सोंचे।

वर्जन

साइबर क्राइम के मामले में पहले जांच होती है। फिर मुकदमा दर्ज होता है। ऐसे में कई दिन गुजर जाते हैं। पीडि़त के एप्लीकेशन पर कार्रवाई नहीं हो पाती। विलंब से होने से साइबर क्रिमिनल्स को फायदा मिलता है। इसलिए पुलिस लाइन में एक टेंपरोरी थाना बनाया जाएगा। साइबर क्राइम के मामलों की समीक्षा की जा रही है। जल्द ही अस्थाई साइबर थाना काम करने लगेगा।

मोदक राजेश, डीआईजी, गोरखपुर रेंज