लखनऊ (ब्यूरो)। जालसाज आए दिन नये-नये तरीके इजाद कर लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं। इन दिनों साइबर ठगों ने जालसाजी करने का एक नया तरीका तलाश निकाला है। आर्टिफिशियल इंटीलिजेंस की डीपफेक टेक्नोलॉजी के जरिये धोखाधड़ी कर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। इसमें आपके चेहरे और आवाज का इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह की लगातार शिकायतें आने पर साइबर सेल अलर्ट हो गया है। जालसाजों तक पहुंचने के साथ ही टीमें ऐसी ठगी को रोकने में लग गई हैं, ताकि लोगों के साथ होने वाली ठगी को रोका जा सके।

केस-एक

हुसैनाबाद के रहने वाले शख्स ने बताया कि उनके मोबाइल पर मामा की वीडियो कॉल आई। उन्होंने कहा कि वह दिल्ली में हैं, उनका पर्स गिर गया है, उनको दस हजार रुपये दे दें, आने के बाद वापस कर देंगे। बाद में जब मामा को नार्मल कॉल कर पूछा तो पता चला कि उन्होंने ऐसी कोई कॉल ही नहीं की थी।

केस-दो

आलमबाग के रहने वाले शख्स ने बताया कि उनके भाई मुंबई में रहते हैं। कुछ दिन पहले उन्होंने विडियो कॉल कर कहा कि उन्हें पैसों की अर्जेेंट जरूरत है। अकाउंट नंबर देकर दो लाख रुपये खाते में डालने को कहा, 50 हजार रुपये दे दिए, लेकिन कुछ डाउट होने भाई को कॉल किया तो पता चला फर्जी है। पुलिस अब केस की जांच कर रही है।

इस तरह चल रहा ठगी का खेल

साइबर पुलिस ने बताया कि पहले जालसाज फेक अकाउंट बनाकर उसमें आपके जानने वालों की फोटो लगाते थे, लेकिन अब यह टेक्नीक पुरानी हो चुकी है। इन दिनों जालसाजों का नया खेल पकड़ में आया है। इसके तहत वे अब आर्टिफिशियल इंटीलिजेंस की डीपफेक टेक्नीक का इस्तेमाल कर रहे हैं, यह टेक्नीक काफी खतरनाक है, क्योंकि इसमें अब आपके जानने वालों का अकाउंट यूज नहीं हो रहा, बल्कि वीडियो कालिंग से बातचीत कर पैसा उड़ाया जा रहा, इसलिए अलर्ट रहने की जरूरत है।

वीडियो कॉलिंग पर चेहरा और आवाज भी

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि यह एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नीकहै, जो नकली वीडियो बनाती है। इसके माध्यम से किसी का भी चेहरा और आवाज सेट किया जाता है। अक्सर लोग अपने परिवार, दोस्तों या सहकर्मियों के साथ बातचीत करने के लिए वीडियो कॉल करते हैं। ठग इसी का फायदा उठा रहे हैं। इसके लिए सभी को अलर्ट रहने की जरूरत है। विडियो कॉल में आपके करीबी का चेहरा, आवाज होने से आपको भनक नहीं लग पाती कि बात करने वाला शख्स आपका जानकार है या फिर एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए कॉल की गई है। इसी में फंसकर लोग पैसा गवां बैठते हैं।

एक नजर में समझते हैं डीपफेक टेक्नीक

-डीपफेक एक ऐसी पावर्ड फेस-स्वैपिंग टेक्नीक है, जिसकी मदद से जालसाज खुद पीडि़त का करीबी दोस्त या फिर अपना बनकर विडियो कॉल करता है और उन्हें ठगने की कोशिश करता है।

- जालसाज डीपफेक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर वीडियो कॉल करने वाले लोगों से पैसे की मांग करता है। अगर आप इसके झांसे में आ जाते हैं तो आपको नुकसान हो सकता है, इससे सावधान रहने की जरूरत है।

- वीडियो कॉल पर बात करने वाला शख्स बहुत जल्दबाजी में रहेगा और आपसे पैसों की मांग करेगा। लगेगा वह बहुत परेशानी में है।

ऐसे करें अपना बचाव

वीडियो क्वालिटी: आप देखेंगे कि फर्जी वीडियो आपको आमतौर पर खराब क्वालिटी का नजर आएगा। विडियो को चारों तरफ से अच्छी तरह देखें, क्योंकि कई बार इस तरह की विडियो पर वॉटरमार्क आता है।

कॉन्टैक्ट्स पहचानें: आपको यह जांचना चाहिए कि क्या आपकी कॉन्टैक्ट लिस्ट में आपको कॉल करने वाला शख्स या नाम आपकी जान पहचान का है या नहीं। अगर आप उसे नहीं जाते, तो उससे दूरी बनाएं।

वीडियो बिल्कुल अलग: अगर कोई भी फेक वीडियो कॉल कर रही है, तो यह आम वीडियो के मुकाबले काफी अलग होगी। इसकी क्वालिटी से आपको पहचानने में आसानी होगी।

एई टेक्नीक के माध्यम से धोखाधड़ी इन दिनों साइबर क्राइम का नया ट्रेंड बना हुआ है। वीडियो कॉल के दौरान पहले अच्छी तरह से जांच कर लें, तभी किसी को पैसा दें, साथ ही दूसरों को भी इसके बारे में अवेयर करते रहें।

-सतीश कुमार साहू, प्रभारी, साइबर सेल