-बच्चों में पाई जाती हैं एबसेंस एप्लेसी

-इस बीमारी में बच्चे करते हैं अस्वभाविक हरकत

-मिर्गी के शिकार बच्चों में से एक तिहाई हैं एबसेंस एप्लेसी के मरीज

अजीब सी बीमारी मानी जाती
बच्चों में मिर्गी की यह सबसे अजीब सी बीमारी मानी जाती है। चिकित्सा विज्ञान की भाषा में इसे एबसेंस एप्लेप्सी (खोयी मिर्गी) कहते हैं। देश में प्रति एक हजार में 22 बच्चे मिर्गी के शिकार हैं। इनमें से 10 बच्चों को एबसेंस एप्लेप्सी होती है। जिला अस्पताल के मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ। अमित शाही ने कहा कि मिर्गी का यह खतरनाक रूप है। यह बच्चे में कुछ सेकेंड के लिए होती है। इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों की पढ़ाई व एकाग्रता पर पड़ता है।

बार-बार झटक आना मिर्गी
इसमें मासूम अचानक से बेहोश हो जाता है और बार-बार झटके शुरू होने लगते हैं। शरीर की तमाम मांसपेशियां अकड़ जाती है। इसके चलते उसके मुंह से चीख जैसी आवाज निकलती है, कभी-कभी जीभ कट जाती है। पेशाब आ जाता है और बच्चा जमीन पर गिर जाता है। इसके बाद पूरे शरीर में झटके या खिंचाव आने लगते हैं। साथ ही मुंह से झाग निकलने लगता है।

इंसेफेलाइटिस से भी होती है मिर्गी
यूपी में मिर्गी का सबसे बड़ा कारण इंसेफेलाइटिस है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के मरीजों के इलाज के दौरान हुए शोध में इसका खुलासा हुआ है। यह शोध न्यूरो फिजिशियन डॉ। पवन सिंह ने किया है। शोध में मिर्गी के शिकार दो सौ मरीजों का परीक्षण किया गया। करीब 44 फीसदी मरीज ऐसे रहे जिनमें संक्रमण मिला। इसकी सबसे बड़ी वजह इंसेफेलाइटिस रही। डेंगू, मलेरिया या टीबी जैसी बीमारियों के शिकार मरीज भी मिर्गी की चपेट में आ गए। इतना ही नहीं बीस फीसदी मरीज चोट लगने या दूसरे कारणों से मिर्गी के शिकार हो गए।

कारण
- खून में शुगर की कमी या अधिकता

- डेंगू, इंसेफेलाइटिस, मलेरिया या टीबी के मरीज

- पुराना पक्षघात का असर

- मस्तिष्क में ट्यूमर

- दिमाग में चोट

- दिमाग में संक्रमण

- जन्मजात विकृति

-बच्चों के जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी

दौरा पड़े तो यह करें
- जीभ को कटने से बचाने के लिए दांतों के बीच रूमाल रख दें

- मरीज को तुरंत एक करवट में लिटा दें

- नजदीक के अस्पताल में मरीज को ले जाएं

यह ना करें
- आनन-फानन में नाक या मुंह बंद ना करें

- जूते, चप्पल या प्याज ना सुंघाएं

- मरीज के कांपने पर हाथ-पांव ताकत से ना दबाएं

- मरीज के मुंह में पानी डालने या पिलाने की कोशिश न करें

- तंत्रमंत्र या झाड़फूंक का सहारा न लें