गोरखपुर (ब्यूरो)। इस मौके पर उन्होंने कहा कि भाषा का कोई धर्म नहीं होता, धर्मो की भाषाएं जरुर होती हैं। भाषा की उन्नति के लिए सरकार विभिन्न भाषाओं की अकादमियां बनाकर काम कर रही हैं, जिससे बहुत कुछ नया हो रहा है।

कवि गोष्ठी भी आयोजित

वफा फैंस क्लब के संरक्षक टीएन श्रीवास्तव वफा गोरखपुरी ने कहा कि कैफुल वरा साहेब जिस भाव से भाषा की सेवा कर रहे हैं, वो प्रशंसनीय है। पटना से आए भाषा विभाग के पूर्व निदेशक डॉ। कासिम खुर्शीद ने कहा कि भाषा के ऐसे आशिक पर उर्दू हिंदी किसी जबान में शोध कार्य होना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय शायर डॉ। कलीम कैसर ने कहा की गोरखपुर की मिट्टी में साहित्य का खमीर भी मिला हुआ है। आखिर में डॉ। अमरनाथ जायसवाल और डा। अशफाक उमर और अरशद राही ने सभी का आभार जताया। आखिर में कवि गोष्ठी हुई, जिसमें वफा गोरखपुरी, डॉ। कासिम खुर्शीद, सुलेमान मसरूर, डॉ। कलीम कैसर, डॉ। रुशदा कुदशिया ने अपनी रचनाएं सुनाईं। कार्यक्रम में कामिल खां, संजय श्रीवास्तव, गोविंद श्रीवास्तव, रजी अहमद, अनिल जायसवाल, फिरोजुल हक समेत कई लोग उपस्थित रहे।