गोरखपुर (ब्यूरो)। चार भाई बहनों में सबसे छोटे आकाश के पिता कन्हैया चौरीचौरा बाजार में ही पानी-पूरी का ठेला लगाते हैं। उनके दो बड़े भाई भी इसी कार्य में पिता की मदद करते हैं। इन परिस्थितियों में पढ़ाई के प्रति रुझान कैसे हुआ? इस सवाल के जवाब में आकाश बताते हैं कि वह शुरू से पढ़ाई में अच्छे थे। कक्षा आठ में जब अच्छे अंक मिले तो पिता का उत्साह बढ़ा और उन्होंने आकाश को आगे तक पढ़ाने का फैसला कर लिया। पैसे की तंगी के बावजूद पढ़ाई को लेकर आकाश की हर मांग पूरी करते रहे। पिता की इसी प्रतिबद्धता के चलते आकाश को सफलता का यह शानदार पड़ाव मिला। आकाश बताते हैं कि उन्हें 95 प्रतिशत से अधिक अंक पाने की उम्मीद तो थी, लेकिन जिला टॉप करने के बारे में उन्होंने नहीं सोचा था। परीक्षा के दौरान दुर्घटना में अंगुली टूट जाने की वजह से उनके एक-दो प्रतिशत कम हो गए, ऐसा आकाश का कहना है। फिर भी इस सफलता से उनके हौसलों को उड़ान मिली है।
पहले इंजीनियर और फिर आईएएस बनना चाहते हैं आकाश
आकाश ने बताया कि उनकी इच्छा आईएएस बन परिवार की तकलीफ दूर करने की है, लेकिन इससे पहले वह आईआईटी से इंजीनियरिंग करना चाहते हैं। गणित उनका प्रिय विषय है, इसलिए उसी को आगे बढऩे की उनकी योजना है। हाईस्कूल के शानदार रिजल्ट के बाद वह अब अरमान को पूरा करने के लिए जुटेंगे।