- सोशल वर्किग का शपथ पत्र देकर हो गए लापता

- 19 हजार रजिस्टर्ड, मदद के लिए आगे बेहद कम

GORAKHPUR: कोरोना लॉकडाउन में जरूरतमंदों की मदद के लिए जहां लोग स्वेच्छा से आगे आए हैं। वहीं सामाजिक कार्य के लिए एनजीओ का रजिस्ट्रेशन कराने वालों ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। जिले में रजिस्टर्ड 19 हजार एनजीओ में महज गिनीचुनी संस्थाएं ही लोगों की मदद का हाथ बढ़ा रही हैं। कोरोना के मुश्किल दौर में आम पब्लिक, बिजनेसमैन, गैर रजिस्टर्ड सोशल वर्कर, पुलिस और प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारीऔर मोहल्लों में गठित छोटी-छोटी कमेटियां लोगों के काम आ रही हैं। रजिस्ट्रार का कहना है कि फर्म और सोसायटियों को आगे आकर सोशल वर्क करना चाहिए।

समाज सेवा की शपथ ली, कब आएंगे नजर

लॉकडाउन को देखते हुए शहर में विभिन्न जगहों पर जरूरतमंदों के लिए अभियान चलाकर मदद की जा रही है। इसमें शहर के बिजनेसमैन, पॉलिटकल पार्टी के लोग, सरकारी कर्मचारी और स्वेच्छा से काम करने वाले लोग ज्यादा रूचि दिखा रहे हैं। जन सहयोग से चल रहे कम्युनिटी किचन में बना भोजन लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। विभिन्न लोगों की मदद से गरीबों, मजदूर सहित अन्य जरूरतमंदों के लिए राशन के पैकेट भी बांटे जा रहे हैं। पुलिस-प्रशासन की तरफ से भी हेल्पलाइन पर आने वाली सूचना पर मदद पहुंचाई जा रही है। क्षेत्र में गश्त के दौरान एसएसपी, एसपी, सीओ, एसओ और चौकी प्रभारी अपने वाहनों में जरूरत की चीजें रख रहे हैं। यदि कोई मदद मांग रहा तो उसे भोजन और राशन उपलब्ध कराने में कसर नहीं छोड़ रहे। जबकि शासन की तरफ से दी जाने वाली सहायता भी प्रशासनिक अधिकारी मुहैया कराने में जुटे हैं। ऐसे में एनजीओ की जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। लेकिन गिनी-चुनी एजेंसियों को छोड़कर ज्यादातर ने कोई रूचि नहीं दिखाई। इसको लेकर शहर में खूब चर्चा चल रही है। लोग कह रहे हैं कि आखिर फ‌र्म्स, सोसायटी एवं चिट्स से रजिस्ट्रेशन कराकर समाज सेवा की शपथ लेने वाले कब नजर आएंगे।

क्या होते हैं एनजीओ के कार्य

एनजीओ एक नॉन गवर्नमेंट ऑर्गनाइजेशन होता है।

एनजीओ का उद्देश्य जरूरतमंदों की मदद और सामाजिक सेवा करना होता है।

भुखमरी पीडि़तों की सहायता करना, गरीबों को कपड़े मुहैया कराने की जिम्मेदारी।

पीडि़तों की मदद बिना किसी लालच और लाभ के चक्कर में आए करना होता है।

बेसहारा, अनाथ लोगों के लिए कार्य करना, उनके लिए जरूरी सुविधाएं उपल्ब्ध कराना।

स्वास्थ्य से पीडि़त लोगों को उचित चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने में सहयोग करना।

नशे की लत में डूबे युवाओं, महिलाओं और बच्चों को इससे बचाकर नया जीवन शुरू करने में सहयोग।

विभिन्न सामाजिक कुरीतियों, बाल श्रम, महिलाओं के साथ होने वाले अपराध इत्यादि की रोकथाम में मदद।

सरकारी संस्थाओं, एजेंसियों के साथ मिलकर पब्लिक के हित में काम करने की जिम्मेदारी भी एनजीओ उठाते हैं।

बॉक्स

जिले में 19 हजार, दो मंडलों में 90 हजार रजिस्टर्ड

गोरखपुर में रजिस्ट्रार फ‌र्म्स सोसायटी एवं चिट्स का ऑफिस है। यहां से दोनों मंडलों के सात जिलों में एनजीओ का रजिस्ट्रेशन होता है। जिले में कुल करीब 19 हजार एनजीओ रजिस्टर्ड हैं जबकि गोरखपुर और बस्ती मंडलों में इनकी तादाद करीब 90 हजार है। 15 हजार पार्टनरशिप फर्मे भी रजिस्टर्ड कराई गई हैं। रजिस्ट्रार ऑफिस से जुड़े लोगों का कहना है कि समाज सेवा के लिए ये रजिस्ट्रेशन लेने वाले एनजीओ बाकायदा शपथ पत्र भी जमा कराते हैं। इनमें कई ऐसी एजेंसियां ऐसी भी हैं जो गवर्नमेंट से फंड्स भी रिलीज करा चुकी हैं।

10 की करें मदद तो 1 लाख 90 हजार को लाभ

कोरोना लॉकडाउन में गरीब, खानाबदोश, दैनिक मजदूरी करने वालों के साथ अन्य जरूरतमंदों की मदद के लिए विभिन्न लोग आगे आए हैं। जिले में रजिस्टर्ड एनजीओ इनके सहयोग के लिए आगे आए तो बड़ी संख्या में लोगों को राहत मिल सकेगी। एक अनुमान के तहत एक एनजीओ 10 जरूरतमंदों को लाभ पहुंचाए तो जिले में एक लाख 90 हजार लोगों को इसका फायदा मिल सकेगा। लोगों का कहना है कि तमाम एनजीओ सिर्फ निजी लाभ पर ध्यान देते हैं। इसलिए ऐसे मामलों में ये खुलकर सामने नहीं आते हैं क्योंकि इनको नुकसान उठाना पड़ेगा।

वर्जन

रजिस्टर्ड एनजीओ से एक अपील की जा सकती है। उन पर कोई दबाव नहीं बनाया जा सकता। ऐसी परिस्थितियों में हर किसी को समाज सेवा के लिए आगे आना चाहिए। इससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को मदद मिल सकेगी।

सुनील कुमार श्रीवास्तव, रजिस्ट्रार, फ‌र्म्स सोसायटी एवं चिट्स