-दो स्टूडेंट्स ने देशी लैंग्वेज में क्रिएट किया कैंपेन सांग

-अवेयरनेस की सीरीज में भोजपुरी लैंग्वेज पर कर रहे हैं फोकस

-प्रदेश के इकलौते ताल को बचाने के लिए स्टूडेंट्स ने छेड़ी मुहिम

GORAKHPUR: लोगों को अवेयर करना हो या फिर उन्हें कोई बात समझनी हो तो उनकी देसी या क्षेत्रीय भाषा ही सबसे कारगर साबित हो सकती है। रामगढ़ताल साफ करने की मुहिम में लोगों को अवेयर करने के लिए यूं तो कई तरह के नुस्खे अपनाए जाते रहे हैं। इसमें नाटक, अवेयरनेस कैंपेन, रैली का सहारा लिया जाता है। मगर इसमें कुछ लोगों पर तो फर्क पड़ता है, मगर कुछ लोगों को यह सब चीजें समझ में नहीं आती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए स्टूडेंट्स ने अवेयरनेस की नई कुंजी खोज निकाली है। इसके तहत वह लोगों को उन्हीं की भाषा में अवेयर करने की जुगत में भिड़ गए हैं। एक तो क्षेत्रीय भाषा और दूसरे सुर-ताल के जरिए रामगढ़ताल को साफ करने के लिए यह स्टूडेंट्स जी-जान से जुट गए हैं।

'सब जनी मिल के'

'रामगढ़ताल के बचावा हो चल सब जनी मिल के, स्वछता अभियान चलावा हो चल सब जनी मिल के' गोरखपुर यूनिवर्सिटी के बीए स्टूडेंट्स अतुल कृष्ण मिश्रा का भोजपुरी लैंग्वेज में क्रिएट किया यह सांग लोगों को काफी अट्रैक्ट कर रहा है। खासतौर पर शहर की शान कहे जाने वाले रामगढ़ताल को फोकस रखकर बनाए गए इस सांग में रामगढ़ताल को साफ-सुथरा रखने की मुहिम में सभी को शामिल होने के लिए मोटीवेट किया जा रहा है। वहीं, सिद्धार्थ गौतम ने भी इसी थीम पर 'रामगढ़ तलवा के बचावल जा चल भईया मिल के, चल भईया मिल के हो चला चाचा मिल के' के जरिए लोगों को अवेयर करने की कोशिश जारी है।

'सुपर 60' हैं एक्टिव

रामगढ़ताल को साफ-सुथरा बनाने की मुहिम जल निगम, गोरखपुर एनवायर्नमेंटल एक्शन ग्रुप के साथ डॉ। अजय कुमार शुक्ला के निर्देश में चल रही है। इस दौरान लोगों को अवेयर करने के लिए बनाई गई सुपर-60 टीम जी-जान से लगी है। नुक्कड़ नाटक, अवेयरनेस कैंपेन, रैली, बैनर और पोस्टर के जरिए लोगों को अवेयर किया जा रहा है। इसका असर भी नजर आने लगा है। डॉ। अजय कुमार शुक्ला ने बताया कि जहां पहले रामगढ़ताल में भुट्टे के वेस्ट, आइस्क्रीम स्टिक, पॉलिथीन और दूसरे वेस्ट फेंके जा रहे थे, वह अब काफी हद तक कम हो गए हैं। मगर लोग इसको बिल्कुल बंद कर दें, इसके लिए यह मुहिम जारी रहेगी।