कानपुर(ब्यूरो)। महाराजपुर के ड्योढी घाट का श्मशान इस दर्दनाक हादसे का साक्षी बना। इस हादसे में जान गंवाने वाले 13 लोगों की चिताएं जब एक साथ जलीं तो हर किसी की आंखों से आंसुओं का सैलाब बहने लगा। घाट पर 13 बच्चों को दफनाया भी गया। गांव से लेकर श्मशान तक पुलिस और राजनीतिक दलों के लोग मौजूद रहे।

कंधे भी कम पड़ गए
एक साथ 26 लोगों की एक ही गांव में मौत। किसी के घर में छह लोगों की मौत हुई तो किसी के घर में तीन की। चारो ओर केवल रोने की आवाज ही आ रही थी। आलम यह रहा कि शवों को ले जाने के लिए कंधे भी कम पड़ गए। ऐसे मेें आसपास के गांव के युवाओं ने मदद करनी शुरू की, लेकिन शव उठाने के लिए कोई आगे नहीं आया। हालत यह हो गई कि चार की जगह दो लोग ही शव को उठाकर ले जाते दिखाई दिए। पुलिस प्रशासन ने शव गांव से घाट तक ले जाने के लिए एंबुलेंस का इंतजाम किया था।

हादसे में 8 परिवार तबाह
इस दर्दनाक हादसे ने 8 परिवारों को तबाह कर दिया। कोई बेटे की याद में रोता दिखाई दिया तो कोई अपनी मां की याद में। किसी ने बहन को खो दिया तो किसी ने भाई को। यहां गांव की महिलाए और पुरुष पहले एक घर में जाकर रो रहे परिजनों को शांत करातीं तो कुछ देर बाद वे महिलाएं ही दूसरे घर में जाकर लोगों को शांत कराते दिखाई दीं।

हर शव के साथ एक सब इंस्पेक्टर
कोरथा गांव में कई बार लोग आक्रोशित हुए। कई बार अफवाह उड़ी कि बवाल हो सकता है। लेकिन पुलिस के बेस्ट मैनेजमेंट के आगे सब कुछ शांति से निपट गया। रात से ही गांव में आईजी प्रशांत कुमार, एडीजी भानू भास्कर, कमिश्नर डॉ। राजशेखर और डीएम विशाख जी, एसपी आउटर समेत बड़ी संख्या में पुलिस बल मौजूद रहा। जिस घर में शव रखा था वहां पर एक सब इंस्पेक्टर और दो सिपाहियों की ड्यूटी लगाई गई थी। पुलिस अधिकारी स्वयं परिवार वालों को ढांढस बंधा कर शांत कराते रहे। एक एक कर शव एंबुलेंस में रखवाए गए। हर एंबुलेंस में एक सिपाही और एक दरोगा की ड्यूटी लगाई गई थी। मृत लोगों को परिजनों को घाट तक ले जाने के लिए बस का इंतजाम किया गया था। सभी शव जाने के बाद भी काफी पुलिस फोर्स गांव में ही मौजूद रहा।