जॉर्जिया विश्वविद्यालय की टीम का कहना है कि इस घोल को किसी भी कपड़े पर स्प्रे किया जा सकता है। इससे अस्पतालों की स्वास्थ्य सेवाओं का ख़र्च घट सकता है। ये नया घोल प्राकृतिक या सिन्थेटिक कपड़ों, घर के क़ालीनों, जूतों और प्लास्टिक की चीजों पर भी छिड़का जा सकता है।

शोधकर्ताओं की टीम के प्रमुख डॉ जेसन लॉकलिन कहते हैं कि इस घोल के छिड़काव से कई तरह के ख़तरनाक जीवाणु मर जाते हैं। इन जीवाणुओं से बीमारियां फैलती हैं और कपड़ों में दाग़ धब्बे और बदबू भी पैदा होती है।

Scientist team

वैज्ञानिकों ने जब इस घोल का परीक्षण किया तो पाया कि केवल एक बार छिड़काव करने से बैक्टीरिया का विकास रुक गया और कपड़े को कई बार धोने के बाद भी इस घोल की परत असरदार बनी रही।

स्वास्थ्य सेवाओं में उपयोग

इस नए घोल का प्रयोग कई क्षेत्रों में किया जा सकता है लेकिन इसका प्राथमिक प्रयोग स्वास्थ्य सेवाओं में किया जाएगा।

अमरीका की संघीय एजेंसी सेंटर फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेन्शन के अनुसार अस्पताल में भर्ती हुए 20 में से एक रोगी को स्वास्थ्य सेवा से जुड़ा कोई न कोई संक्रमण हो जाता है। प्रयोगशाला के कोट, सर्जनों के कोट, वर्दी, गाउन, दस्ताने और चादरें इन सभी में हानिकारक जीवाणु पलते हैं।

डॉ लॉकलिन कहते हैं, "कपड़ों और प्लास्टिक की चीज़ों में जीवाणुओं का प्रसार ख़ासतौर से अस्पतालों और होटलों के लिए एक बड़ा सिरदर्द है जहां बहुत हानिकारक सूक्ष्म जीवाणु पलते और फैलते हैं"।

घरों में भी खाद्य पदार्थों के पैकेटों, प्लास्टिक के फ़र्नीचरऔर बच्चों के खिलौनों में भी ये पलते हैं। लेकिन बैक्टीरिया नष्ट करने वाले उत्पाद न तो सस्ते हैं और न प्रभावी। जबकि लॉकलिन तकनीक से बहुत ही साधारण, सस्ते और मापनीय रसायनों से ये घोल तैयार किया गया है।

 

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