कानपुर (ब्यूरो) ज्योति हत्याकांड में 10 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। जिसमें पीयूष, उसकी प्रेमिका मनीषा मखीजा, मनीषा का ड्राइवर अवधेश चतुर्वेदी, आशीष, सोनू, रेनू, पीयूष के पिता ओमप्रकाश, मां पूनम, भाई मुकेश और चचेरा भाई कमलेश आरोपी बनाए गए थे। मुकदमे की सुनवाई के दौरान ओमप्रकाश की मौत हो गई थी। पीयूष और उसकी प्रेमिका मनीषा मखीजा को एक साल पहले जमानत मिल गई थी। आशीष को पहले ही हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी थी। वहीं मां पूनम, मुकेश और चचेरा भाई कमलेश भी जमानत पर बाहर था। इस मामले में शामिल सोनू, रेनू और अवधेश की जमानत नहीं हुई थी, तीनों अभी जेल में ही थे।

तीन आरोपी शुरू से जेल में
रेनू और सोनू के खिलाफ आम्र्स एक्ट के तहत भी मुकदमा दर्ज किया गया था। रेनू के पास से पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल किया गया चाकू और ज्योति के गहने बरामद किए थे। अवधेश, रेनू और सोनू घटना के बाद से जेल में ही बंद हैं जबकि बाकी आरोपियों को जमानत मिल गई थी।

इन धाराओं में दर्ज किया गया था केस
- 302 (हत्या), 364 (किडनैपिंग), 120 बी (षणयंत्र रचना),
- 411 (कोई किसी चुराई हुई संपत्ति को विश्वास पूर्वक जानते हुए कि वह चोरी की संपत्ति है, बेईमानी से प्राप्त करता या बरकरार रखता)
- 412 (ऐसी संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करना जो डकैती करने में चुराई गई है)
- 404 (मृत व्यक्ति की मृत्यु के समय उसके कब्जे में सम्पत्ति का बेईमानी से गबन / दुरुपयोग)
- 201 (सबूत मिटाने और अपराधी को झूठी इत्तिला दिए जाने से जुड़ी है)
- 202 (क्राइम की सूचना देने में जान बूझकर चूक करना)

तलाक दे देता, मारने की क्या जरूरत थी : शंकर नागदेव (ज्योति के पिता)
यूपी सरकार की तरफ से शासकीय अधिवक्ता दामोदर दास मिश्रा को ये केस सौंपा गया था। उन्होंने बताया कि घटना को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया था। ज्योति के ड्राइवर अवधेश कुमार चतुर्वेदी को ही उसकी हत्या की सुपारी दी गई थी। हत्यारों को 80 हजार नगद और ज्योति की पहनी पूरी ज्वैलरी पर उसकी मौत का सौदा तय किया था। एडीजीसी क्रिमिनल कानपुर धर्मेंद्र पाल सिंह ने बताया कि इस केस में सबूतों को कड़ी दर कड़ी जोड़ा गया। पीयूष ने हत्याकांड को अंजाम देने में कई बड़ी गलतियां की थीं। वो शुरू से झूठ बोलता गया और पुलिस की कड़ी पूछताछ के बाद वो पूरी तरह टूट गया.उसकी कराई एफआईआर भी फेक साबित हुई।

हाईकोर्ट में होगी अपील
अधिवक्ता ने बताया कि पीयूष की मां और दोनों भाइयों को बरी किए जाने के फैसले को हाईकोर्ट में चैलेंज करेंगे। केस में पिता को भी आरोपी बनाया गया था, लेकिन फैसला आने से कुछ साल पहले ही उनकी डेथ हो चुकी है। कोर्ट ने हत्याकांड में तीनों की कोई भूमिका नहीं पाई।