कानपुर(ब्यूरो)। 2 जुलाई 2020 के पहले जिले के एक छोटे से गांव बिकरू को कानपुर में कम लोग ही जानते थे। 2 जुलाई से लेकर 10 जुलाई यानी 8 दिन में बिकरू का नाम कुछ इस तरह सामने आया कि कानपुर और यूपी ही नहीं बल्कि पूरे देश के लोग बिकरू को जान गए। कई दिनो तक नेशनल मीडिया की सुखिर्यां बना रहा बिकरू। 2 जुलाई 2020 की वो काली रात शायद ही कोई भूल पाए। गैंगस्टर विकास दुबे को अरेस्ट करने गई पुलिस टीम पर विकास और उसके गुर्गों ने गोलियों की अंधाधुंध बौछार की। जिसमें डिप्टी एसपी समेत 8 पुलिस कर्मी मारे गए। इसके अगले दिन से शुरू हुआ पुलिस का ऑपरेशन। जिसमें विकास सहित 6 आरोपियों को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया। 45 को जेल भेजा गया। विकास दुबे और उसके गैंग की 72 करोड़ की संपत्ति जब्त हो चुकी है। 7 पर एनएसए और 45 पर गैंगस्टर की कार्रवाई की है। घटना को 3 साल पूरे हो गए हैं। बिकरू कांड का मुकदमा कहां तक पहुंचा? क्या है वर्तमान स्थिति? पढि़ए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की खास रिपोर्ट।

क्या है बिकरू कांड?
चौबेपुर क्षेत्र के बिकरू गांव में 2 जुलाई 2020 की रात को सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्रा ने सर्किल फोर्स के साथ गैंगस्टर विकास दुबे की अरेस्टिंग के लिए दबिश दी। छापेमारी की सूचना पुलिस विभाग से ही लीक होने के चलते गैंगस्टर ने पहले ही अपने शूटर्स के साथ जाल बिछा दिया था। पुलिस के गांव में एंट्री करते ही छतों पर मौजूद विकास दुबे और उसके गुर्गों ने ने अंधाधुंध फायरिंग कर सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों को मौत के घाट उतार दिया। बाकी पुलिसकर्मियों ने किसी तरह भाग कर अपनी जान बचाई। इस हत्याकांड ने न सिर्फ प्रदेश बल्कि देश को हिला दिया। डीजीपी से लेकर कानपुर में तैनात एसएसपी दिनेश कुमार और तत्कालीन आईजी मोहित अग्रवाल एक्शन में आए। विकास दुबे गैंग के एक के बाद एक 6 बदमाशों को एनकाउंटर में मार गिराया। 45 आरोपियों को जेल भेजा गया। जिसमें अभी भी 40 आरोपी जेल में बंद हैं। केस इतना बड़ा था कि तीन साल बाद भी पुलिस की कार्रवाई जारी है।

बनाया गया बिकरू पैरवी सेल
बिकरू कांड के बाद विकास दुबे और उसके गैंग के सदस्यों, सहयोगियों सहित 91 लोगों के खिलाफ 79 मुकदमें दर्ज किए गए। जिसमें 63 केस में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। जबकि 02 मामले विवेचनाधीन हैं। जिसका जल्द ही निस्तारण करा दिया जाएगा। 6 अपराधियों की पुलिस मुठभेड़ में मौत होने की वजह से इन पर दर्ज मुकदमों में फाइनल रिपोर्ट लगाई गई है। बिकरू कांड से संबंधित कोर्ट में ट्रायल चल रहा था। मुकदमे की अच्छी पैरवी करने के लिए कानपुर कमिश्नरेट की ओर से बिकरू पैरवी सेल का गठन किया गया था। ताकि मजबूत पैरवी करके अधिक से अधिक सजा दिलाई जा सके।

सुप्रीम कोर्ट से खुशी को जमानत
जनवरी 2023 में खुशी दुबे को जमानत मिल गई थी। वरिष्ठ अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने खुशी दुबे को पहले नाबालिग घोषित कराया था। खुशी को जमानत दिलाने के लिए कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के बड़े अधिवक्ता विवेक तन्खा हायर कराया था। विवेक तन्खा ने सुप्रीम कोर्ट में अच्छी पैरवी के बाद खुशी को जमानत दिलाई थी। आपको बता दें कि बिकरू कांड से दो दिन पहले 29 जून को खुशी दुबे की विकास दुबे के भतीजे अमर से शादी हुई थी। 30 को विदाई हुई थी। अभी खुशी के हाथ की मेहंदी का रंग भी नहीं उतर पाया था और 2 जुलाई को बिकरू कांड हुआ और खुशी को भी अरेस्ट करके जेल भेज दिया गया था। अमर दुबे को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था।

कोर्ट में पैरवी नहीं करने का आरोप
बिकरू कांड से जुड़े मुकदमों की सुनवाई कानपुर की स्पेशल कोर्ट में चल रही है। वकील और आरटीआई एक्टिविस्ट सौरभ भदौरिया का आरोप है कि बिकरू कांड से संबंधित कई मुकदमों में जान बूझकर कोर्ट में पैरवी नहीं की जा रही है। इस संबंध में जांच करके कार्रवाई की जाए। खुशी दुबे के वकील शिवाकांत दीक्षित ने एसआईटी पर सवाल उठाते हुए दावा किया कि खुशी के खिलाफ गलत तरीके से सिम इस्तेमाल मामले में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। 3 साल में इस केस में सिर्फ 4 गवाहों का एग्जामिनेशन हुआ है। 6 महीने में एक भी गवाह अब तक कोर्ट में नहीं आया है।
आईपीएस अनंत देव को क्लीन चिट
बिकरू कांड में कानपुर के एसएसपी रहे आईपीएस अनंत देव पर भी विभागीय कार्रवाई हुई थी। तीन साल की जांच झेलने के बाद आईपीएस अनंत देव तिवारी को विभागीय क्लीनचिट मिल गई। लापरवाही बरतने के दोषी पाए गए 37 पुलिसवालों पर भी विभागीय एक्शन हुआ। इनमें 6 पुलिस वाले तो तीन साल तक उस वेतन पर काम करेंगे, जो उन्हें नौकरी की शुरुआत में मिलता था। दो पुलिस वालों को बर्खास्त किया जा चुका है।
दो सब इंस्पेक्टर बर्खास्त
विकास दुबे से याराना निभाने वाले और मुखबिरी के आरोपी एसओ विनय तिवारी और बीट चौकी इंचार्ज केके शर्मा को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। इन दोनों को अभी तक जमानत नहीं मिली है। बिकरू कांड के बाद से जेल में बंद है। एसओ विनय तिवारी और दारोगा ने दबिश की मुखबिरी की थी। इसके बाद ही विकास तिवारी ने प्लानिंग से पुलिस पर हमला किया था। गैंगस्टर विकास दुबे के खजांची जय बाजपेई को तीन साल बाद भी किसी तरह की राहत नहीं मिल सकी है। जय बाजपेई का केस कानपुर कचहरी के सीनियर एडवोकेट शिवाकांत दीक्षित लड़ रहे हैं। अधिवक्ता दीक्षित ने बताया कि जय की हाईकोर्ट ने बेल खारिज कर दी थी।

इन आंकड़ों में समझिए बिकरू कांड
2 जुलाई 2020 को हुआ था हत्याकांड
8 पुलिसकर्मी मारे गए डिप्टी एसपी सहित
6 आरोपियों को एनकाउंटर में ढेर किया
79 मुकदमे बिकरू कांड में दर्ज किए गए
7 आरोपियों पर एनएसए के तहत कार्रवाई
45 आरोपियों पर गैंगस्टर भी लगाया गया
37 पुलिसकर्मियों पर भी एक्शन लिया
72 करोड़ की संपत्ति अब तक जब्त की गई