कानपुर (ब्यूरो) आईआईटी की ओर से 17 से 19 दिसंबर तक ऑनलाइन आयोजित हुए इस सम्मेलन में रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) इंजीनियरों को मंच मिला। इसका विषय दूरसंचार-5जी, अंतरिक्ष और रक्षा अनुप्रयोगों के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी तकनीक रहा। सम्मेलन में दुनिया के 300 एक्पर्ट्स व साइंटिस्ट शामिल हुए। इसमें 70 एक्सपर्ट आईआईटी में आफलाइन आए। निदेशक प्रो। अभय करंदीकर ने उद्घाटन और अमेरिका के लिगाडो नेटवक्र्स के डा। रमेश गुप्ता ने सभी का स्वागत किया। निदेशक ने कहा कि आईआईटी में माइक्रोवेव और आरएफ के क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार 70 के दशक से जारी है। माइक्रोस्ट्रिप प्रौद्योगिकी में कार्य किए जा रहे हैं।


किफायती कनेक्टिविटी की जरूरत
उन्होंने 'कनेङ्क्षक्टग द अनकनेक्टेड इन 5जी एंड बियांडÓ विषय पर प्रजेंटेशन दिया। कहा कि 5जी मोबाइल नेटवर्क वंचितों, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को सुलभ होना चाहिए। ग्रामीण ब्राडबैंड कनेक्टिविटी के लिए आइएमटी 2020 लो मोबिलिटी लार्ज सेल परीक्षण कंफीग्रेशन की अवधारणा बताई। साथ ही किफायती कनेक्टिविटी के लिए 'फ्रूगल 5जीÓ प्रणाली को बताया। इससे पहले आईआईटी रुड़की से प्रो। नागेंद्र पी पाठक और इटली के पाविया यूनिवर्सिटी से प्रो। मौरिजियो बोजी, अमेरिका स्थित जेपीएल-नासा के डा। गौतम चट्टोपाध्याय और डीएलआरएल-डीआरडीओ के निदेशक डा। के महेश्वर रेड्डी ने भी विचार रखे।


माइक्रोवेव रिमोट सेंङ्क्षसग में महिलाओं का योगदान
नासा जेट प्रोपल्शन लैब के सीनियर रिसर्च साइंटिस्ट डा। पीटर एच सीगल ने 'दिस इज योर ब्रेन आन 5जीÓ, इसरो के पूर्व अध्यक्ष डा। राधाकृष्णन कोप्पिलिल ने 'अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का भविष्यवादी विकासÓ पर व्याख्यान दिया। एमटीटीएस की शेरी हेस ने 'इंजीनियङ्क्षरग व माइक्रोवेव में महिलायेंÓ, इसरो के माइक्रोवेव सेंसर रिसीवर डिवीजन के प्रमुख डा। जाली धर ने 'माइक्रोवेव रिमोट सेंङ्क्षसग के लिए महिलाओं के योगदानÓ को बताया।