- हैलट अस्पताल में कोविड पेशेट्स को दिए जाने वाले रेम्डेसिविर इंजेक्शन को बेच देता था नर्सिग कर्मचारी

-क्राइम ब्रांच ने जाल बिछाकर दो कर्मचारियों समेत 4 लोगों को दबोचा, 35 से 40 हजार में बेचते थे एक इंजेक्शन

KANPUR: कोरोना संक्रमण से लोगों की सांसें उखड़ रही हैं। इन हालात में हॉस्पिटल के कर्मचारी मानवता भूलकर पेशेंट्स की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। पेशेंट्स के लिए दी गई दवाइयों को बाहर ऊंचे दाम में बेचकर जेब भरने में लगे हैं। ऐसा ही मामला शहर के सबसे बड़े कोविड हॉस्पिटल हैलट में सामने आया है। यहां नर्सिग कर्मचारी पेशेंट को आधा इंजेक्शन ही देते थे और बचा हुआ आधा इंजेक्शन 10 गुना दाम लेकर बेच रहे थे। हैलट के कोविड आईसीयू में ड्यूटी करने वाले दो कर्मचारी इस खेल में शामिल थे। पुलिस ने आरोपी कर्मचारियों सहित 4 लोगों को गिरफ्तार कर खेल का भंडाफोड़ किया है।

क्राइम ब्रांच के जाल में फंसे

बता दें कि कोरोना संक्रमितों के ट्रीटमेंट में रेम्डेसिवर इंजेक्शन बेहद महत्वपूर्ण है। हैलट की कोविड विंग में एडमिट पेशेंट्स को लगाने के लिए फ्री में इंजेक्शन दिए जाते हैं.लेकिन, वार्ड के कुछ कर्मचारी आधी डोज पेशेंट्स को लगाकर आधा इंजेक्शन दलाल के जरिए 10 गुना तक दामों पर बेच रहे थे। इस खेल की खबर क्राइम ब्रांच को लगी तो उसने पकड़ने के लिए जाल बिछाया। क्राइम ब्रांच में शामिल पुलिसकर्मियों ने मरीज के तीमारदार बन कर इन दलालों से बात की। डील पक्की होने के साथ जब वह इंजेक्शन देने आए तो उन्हें धर दबोचा। चारों के खिलाफ क्राइम ब्रांच की ओर से स्वरूप नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।

कौन-कौन हुए अरेस्ट?

- विक्रम कुमार निवासी खपरा मोहाल, नर्सिग स्टॉफ हैलट अस्पताल

- चेतांश चौहान, निवासी गुमटी नंबर-9,नर्सिग स्टॉफ हैलट अस्पताल

- आयुष कमल निवासी विजय नगर, दलाल

- अंशुल शर्मा निवासी मेडिकल कॉलेज कैंपस, प्राइवेट हॉस्पिटल कर्मचारी

कैसे करते थे खेल

क्राइम ब्रांच की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक विक्रम कुमार हैलट के कोविड आईसीयू में संविदा पर नर्सिग स्टाफ है। उसे हैलट के दवा स्टोर से कोरोना पेशेंट्स को लगाने के लिए रेम्डेसिविर इंजेक्शन मिलते थे। लेकिन वह मरीजों को आधी डोज ही देता था। आधी बचा लेता था। एक मरीज को इंजेक्शन की 5 से 6 डोज लगती है, ऐसे में आधा आधा करके वह काफी डोज बचा लेता था। जिसे वह चेतांश को 10 हजार रुपए में बेचता था। चेतांश इसे प्राइवेट अस्पताल में काम करने वाले अपने दोस्त अंशुल शर्मा को 20 हजार रुपए में बेचता था। जबकि अंशुल दलाल आयुष कमल को यह इंजेक्शन 30 से 35 हजार रुपए में बेचता था। क्राइम ब्रांच की टीम ने जब जाल बिछाया तो आयुष ने 37 हजार रुपए में एक रेम्डेसिविर इंजेक्शन देने की बात कही थी। जबकि रेम्डेसिविर इंजेक्शन की कीमत एक हजार से 3 हजार रुपए तक होती है।

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पहले रामा में भी पकड़ा जा चुका खेल

रेम्डेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का खेल गवर्नमेंट से लेकर प्राइवेट हॉस्पिटल तक चल रहा है। पिछले दिनों रामा मेडिकल कालेज में भी ऐसा ही मामला सामने आया था। दो पेशेंट्स को लगाने के लिए मिले रेम्डेसिविर इंजेक्शन नर्सिग स्टॉफ ने नहीं लगाएं। उन्हें चोरी-छिपे मेडिकल कालेज से ले जाने का प्रयास किया। कालेज के ही सिक्योरिटी गार्ड ने उसे रेम्डेसिविर इंजेक्शन के साथ पकड़ लिया और उसे पुलिस को सौंप दिया। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया है।

डायल 112 पर करें शिकायत

रेम्डेसिविर इंजेक्शन सहित अन्य दवाओं और ऑक्सीजन की कालाबाजारी को लेकर लगातार पुलिस, प्रशासन और शासन तक शिकायतें पहुंच रही है। इससे पुलिस अलर्ट हो चुकी है। उसने डायल 112 पर कोविड-19 से जुड़ी मेडिसिन, ऑक्सीजन और एंबुलेस और जरूरी दवाओं समेत तमाम ज्यादा पैसे लिए जाने की शिकायत करने की सुविधा दी है। पुलिस इम्प्लाइज के मुताबिक डॉयल 112 में कानपुर में हो रही कालाबाजारी की काफी शिकायतें आई। पुलिस ने इन कालाबाजारियों को पकड़ने के लिए जाल भी बिछा दिया है। जल्द ही कई और कालाबाजारियों के पकड़े जाने की संभावना है।