कानपुर(ब्यूरो)। जान को खतरा बताकर लिए गए लाइसेंसी असलहों का दूसरों को डराने, धमकाने, अवैध वसूली और हत्या जैसी वारदातों में किया जा रहा है। वारदातों के बाद पुलिस को जांच कर शस्त्र लाइसेंस कैंसिल करना होता है। नियमानुसार 15 दिन में पुलिस को लाइसेंस कैंसिलेशन की रिपोर्ट भेजनी होती है। लेकिन महीनों बीतने के बाद भी लाइसेंस कैंसिल नहीं हुए। असलहा बाबू के दफ्तर में कैंसिलेशन के लिए पुलिस कमिश्नर का संस्तुति पत्र नहीं पहुंचा। लेकिन ज्यादातर मामले एसीपी ऑफिस में ही पेंडिंग पड़े हैं। लाइसेंस कैंसिल न किए जाने के लिए तगड़ी सिफारिश की जा रही है। ऐसे में एसीपी साहब भी परेशान हैं, कैंसिल करें तो मुश्किल न करें तो लॉ एंड ऑर्डर कैसे मेनटेन करें।

साहब भी हैं कंफ्यूज
कहीं रसूख तो कहीं दबंगई शांति व्यवस्था कायम करने में पुलिस के लिए चुनौैती बनी हुई है। सिफारिशों की वजह से पुलिस अपना काम नहीं कर पा रही है। पुलिस अधिकारियों की मानें तो सिफारिश न सुुनने पर शासन से शिकायत की जाती है और उस पर एक्शन ले लिया जाता है। आपको बताते चलें कि जनवरी 2022 से लेकर अप्रैल 2022 तक यानी चार महीने में तमाम संगीन वारदातें हुईं। जिनमें लाइसेंसी असलहों का इस्तेमाल किया गया। लेकिन, इनमें से एक का भी लाइंसेस अब तक कैंसिल नहीं हुआ है। सभी फाइलें एसीपी ऑफिस में ही पेंडिंग पड़ी हैं।


1: ट्रस्ट के नाम पर लाइसेंस
नजीराबाद कमला नगर स्टाफ कालोनी निवासी जेके मंदिर के सिक्योरिटी मैनेजर पंकज मिश्रा और सिक्योरिटी गार्ड मनोज मिश्रा के बीच कहासुनी हुई थी। गार्ड के मंदिर से निकल कर सीढियां उतरने के दौरान डबल बैरल बंदूक से फायर हुआ था, जिसमें दूसरा गार्ड सत्यप्रकाश घायल हो गया था। सिक्योरिटी मैनेजर ने गार्ड मनोज के खिलाफ हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने बंदूक जब्त करके गार्ड को हिरासत में लेकर पूछताछ की थी। कार्रवाई बढ़ी तो पता चला कि बंदूक का लाइसेंस ट्रस्ट के नाम पर है। पुलिस अब तक लाइसेंस निरस्तीकरण की रिपोर्ट नहीं भेज पाई। फाइल एसीपी नजीराबाद के ऑफिस में है।
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2: मामला सत्ताधारी दल से जुड़ा
पनकी रोड पर गोली लगने से एक युवक घायल हो गया था। आरोप है कि भाजपा विधायक के काफिले में शामिल गाड़ी से फायरिंग हुई है। गोली गाड़ी के बगल से गुजर रहे बाइकसवार की गर्दन के पिछले हिस्से को पार करते हुए दूसरी तरफ से निकल गई। तमाम प्रयासों के बाद अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई। पुलिस ने जांच शुरू की तो सीसीटीवी फुटेज में गाड़ी से गोली चलती दिखाई दी। वहीं फोरेंसिक जांच में लाइसेंसी असलहे से गोली चलने की बात सामने आई। असलहे का लाइसेंस निरस्त करने के लिए कहा गया, लेकिन मामला सत्ताधारी दल से जुड़े लोगों का है। लगातार सिफारिश आ रही है। ऐसे में जांच सिर्फ फाइलों में रह गई।

3 : हत्या का मुकदमा, कमर में रिवॉल्वर
भगवतदास घाट निवासी सुरेश कुमार द्विवेदी के खिलाफ फीलखाना थाना में हत्या और हत्या के प्रयास में मुकदमा दर्ज है। 2015 में थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था। बावजूद इसके सुरेश के पास लाइसेंसी रिवॉल्वर है और वह इसे लेकर घूमता है। पुलिस ने मुकदमे को आधार बनाकर लाइसेंस निरस्त करने के लिए कानपुर डीएम को रिपोर्ट भेजी थी। नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था। लेकिन जवाब भी नहीं दिया गया। कुल मिलाकर मामला पेंडिंग है।
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पति-पत्नी का लाइसेंस निरस्त
किदवई नगर निवासी संजीव सिंह ट्रांसपोर्ट कारोबारी हैं। इनके ऊपर सरकारी कार्य में बाधा डालने और धमकी देने के आरोप में चकेरी थाने में मुकदमा दर्ज है। चकेरी थाने में संजीव के खिलाफ कई धाराओं में मुकदमा भी दर्ज है। इनकी पत्नी अनीता सिंह के नाम रिवॉल्वर है जबकि संजीव के नाम डबल बैरेल बंदूक है। चकेरी थाने की रिपोर्ट के मुताबिक संजीव आपाराधिक किस्म का है। ऐसे में लाइसेंसी असलहा होना ठीक नहीं है। इसी रिपोर्ट के आधार पर दोनों के लाइसेंस निरस्त कर दिए गए।
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कारतूस का हिसाब न देने पर निरस्त
काकादेव थाना अंतर्गत शास्त्री नगर निवासी राजकुमार त्रिपाठी के पास सिंगल बैरेल बंदूक है। पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक राजकुमार ने 385 कारतूस खरीदे हैं। लेकिन सिर्फ 2 जिंदा कारतूस और 10 खोखे ही दिखा पाए। पूछताछ में उन्होंने दीपावली और जन्माष्टमी में फायर करने की बात कही। इसके चलते पुलिस ने लाइसेंस निरस्त करने की रिपोर्ट दी है।
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जिन लाइसेंसी असलहा धारकों की फाइल जांच के लिए आई हैैं। उनका रिमाइंडर एसीपी ऑफिस को भेजा गया है। जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।
विजय सिंह मीना, पुलिस कमिश्नर
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