- विकास दुबे व उसकी करीबियों को असलहा दिलाने में आंख बंद की थी मदद

- बयान दर्ज कराने के लिए सभी को भेजा नोटिस, खंगाला जा रहा है रिकॉर्ड

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KANPUR : विकास दुबे और उसके साथियों को शस्त्र लाइसेंस मुहैया कराने में 11 डिप्टी एसपी दोषी पाए गए थे। इनमें से 9 की जानकारी जांच कर रहे एसपी वेस्ट डॉ। अनिल शर्मा को हुई है। इन सभी को बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस भेजा गया है। इधर जांच अधिकारियों ने दोषी पुलिसकर्मियों के कार्यकाल का रिकॉर्ड खंगालना शुरू कर दिया है। जिसमें मिले इविडेंस से साबित होता है कि विकास दुबे व उसके गैंग के सदस्यों के शस्त्र लाइसेंस बनाने में मिलीभगत रही है।

37 पुलिसकर्मी दोषी

एसआईटी ने पहले 37 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया। इसमें इंस्पेक्टर, दरोगा और सिपाही शामिल हैं। इसके अलावा 11 सीओ को भी दोषी ठहराया है। ये सीओ नजीराबाद, बिल्हौर, रसूलाबाद में तैनात रहे हैं। सीओ की जांच एसपी पश्चिम डॉ। अनिल कुमार कर रहे हैं। वहीं 37 पुलिसकर्मियों में से 23 की जांच एसपी पूर्वी राजकुमार अग्रवाल के पास है। अन्य दोषी अफसरों की जांच डीआईजी कर रहे हैं।

अनंतदेव के खिलाफ वििजलेंस जांच

पूर्व एसएसपी और निलंबित आईपीएस अनंत देव के खिलाफ विजिलेंस जांच शुरू हो गई है। शासन ने बिकरू कांड को लेकर गठित एसआईटी की सिफारिश पर विजिलेंस जांच के आदेश दिए हैं। ये जांच मुख्य रूप से शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा के जुआ प्रकरण से संबंधित ऑडियो पर आधारित है। बिकरू कांड को लेकर गठित एसआईटी ने तत्कालीन एसएसपी अनंत देव की कार्यप्रणाली के तमाम बिंदुओं की जांच की थी। इसमें सबसे बड़ा आरोप चौबेपुर के तत्कालीन थानाध्यक्ष विनय तिवारी को खुली छूट देना और विकास जैसे अपराधी के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई न करना है। जय बाजपेयी से करीबी संबंधों को लेकर भी अनंत देव सवालों के घेरे में थे।

शहीद सीओ ने लगाए थे गंभीर आरोप

छह अगस्त को बिकरू कांड से जुड़ा एक ऑडियो वायरल हुआ था, जिसमें दबिश से ठीक पहले एसपी ग्रामीण बृजेंद्र श्रीवास्तव व सीओ देवेंद्र मिश्रा के बीच बातचीत थी। पांच मिनट छह सेकेंड के ऑडियो में सीओ एसपी ग्रामीण को बता रहे हैं कि वह थाने के बाहर पहुंच गए हैं। इसके बाद उन्होंने एसपी ग्रामीण से पूर्व एसएसपी को लेकर तमाम आरोप मढ़े।