कानपुर (ब्यूरो)। शहर का चकेरी एरिया देश का दूसरा जामताड़ा बन चुका है। एटीएम से छेड़छाड़ कर लोगों और बैंकों को चूना लगाने वाले सैकड़ों की संख्या में शातिर यहां रहते हैं। कई तो इतने उस्ताद हैं कि फ्रॉड की ट्रेनिंग तक देते हैं और पूरे देश में वारदातों को अंजाम देते हैं। सिर्फ कानपुर के ही अलग अलग एटीएम के जरिए इन शातिरों ने बैंकों को 43.85 लाख का चूना लगाया है। वहीं पुलिस के लिए भी ये शातिर सिरदर्द बन गए हैं। बीते साल यानि 2023 में ही बैंकों की ओर से कमिश्नरेट थानों में 7 केस दर्ज कराए गए हैं।
ऐसे एटीएम को बनाने निशाना
इस मामले में जांच कर रही क्राइम ब्रांच के के मुताबिक, शातिर ऐसे एटीएम बूथों को निशाना बनाते हैैं, जहां गार्ड नहीं होते या जो सन्नाटे में होता है। वारदातों को अंजाम देने के लिए शातिर किराए के खातों का इस्तेमाल करते हैैं। कम पढ़े लिखे और बेरोजगार लोगों को लालच देकर पहले उनका अलग अलग बैंकों में एकाउंट खुलवाते हैं और उनमें अपना मोबाइल नंबर डालते हैं। एटीएम कार्ड को अपने पास रख लेते हैं। फिर शुरू होता है बैंक के साथ फ्रॉड का खेल।

ट्रे में लगा देते चिमटा
इन एकाउंट्स में शातिर 40-50 हजार रुपए डाल देते हैं। यह देखकर एकाउंट होल्डर भी खुश हो जाता है। इसके बाद शातिर तलाशते हैं सन्नाटे और बिना गार्ड वाला एटीएम बूथ। नकाब पहनकर एटीएम पहुंचते हैं। एटीएम कार्ड को इंसर्ट करते हैैं और कैश निकालने का प्रॉसेस करते हैं। रुपये जैसे ही कैश ट्रे में आते हैैं। ये कैश ट्रे के शटर को चिमटा लगाकर रोक देते हैैं, ट्रे में आई रकम निकाल लेते हैैं लेकिन शटर बंद न होने की वजह से ट्रांजेक्शन पूरा नहीं हो पाता है। निर्धारित 40 सेकेंड बाद ये चिमटा निकाल लेते हैैं। जिससे खाते से रुपये भी नहीं कटते हैैं और न ही मोबाइल पर सेज आता है। इसी तरह से अलग अलग एटीएम कार्ड के जरिए ये बैंकों को चूना लगाते हैं।

दूसरे प्रदेशों के एटीएम का यूज
साइबर थाने के इंचार्ज कहा कहना है कि कानपुर में वारदातों के लिए दूसरे व दूर के प्रदेशों के एटीएम कार्ड इस्तेमाल किए जा रहे हैैं। पुलिस के मुताबिक ये अकाउंट गुजरात, महाराष्ट्र और नॉर्थ ईस्ट प्रदेशों के होते हैं। जांच करने के दौरान एक बात सामने आई है कि रूरल इलाके के लोगों से सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर आईडी ली जाती है। इस आईडी से खाते खोले जाते हैैं। एक दो बार खाते में पांच से दस हजार डालकर उनको दे दिए जाते हैैं। उसके बाद एटीएम कार्ड और चेकबुक समेत तमाम कागजात ले लिए जाते हैैं। कई गैंग इतने बड़े हैं कि उन्होंने बैंक अधिकारियों से भी साठगांठ कर रखी है।

2022 में 34 लाख का झटका
साइबर थाना प्रभारी हरमीत सिंह बताते हैं कि हर साल बैैंक को कई लाख का नुकसान होता है। शातिरों ने 2022 में 34 लाख का नुकसान बैैंक प्रबंधन का इसी तरह किया था। शातिर एटीएम बूथ के कैमरे में च्विंग गम या साबुन चिपका देते हैैं। जिससे फुटेज क्लियर नहीं आता है। कुछ मामले ऐसे भी सामने आए हैैं। जिनमें शातिर पेट्रोल भरवाने के साथ पंप के फिलर को कुछ रुपये अतिरिक्त देते हैैं, जिससे फिलर इनको रुपये दे देता है और शातिर एटीएम से पेमेंट कर देते हैैं। ये एटीएम भी प्रदेश के बाहर का होता है। पुलिस की जांच कुछ बिंदुओं पर आकर रुक जाती है।