कानपुर(ब्यूरो)। अपने भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए आपने जो इंश्योरेंस पॉलिसी ले रखी है उस पर साइबर शातिरों की नजरें लगी हुई हैं। खुद को बैंक अधिकारी या एलआईसी अफसर बताकर ये शातिर फोन करते हैं और बातों में फंसाकर और डराकर सारी इंफॉर्मेशन ले लेते हैं और आपके जीवन भर की गाढ़ी कमाई साफ कर देते हैं। इसलिए अगर आपके पास कोई अंजान नंबर से कॉल आए और ट्रू कॉलर पर नंबर किसी बैैंक से जुड़ा हुआ दिखे तो अलर्ट रहिए। क्योंकि शहर में कई लोग इस गैंग का शिकार हो चुके हैं।

सर्वे डिपार्टमेंट से बोल रहा हूं
इस कॉल को करने वाला कॉलर खुद को बैैंक के सर्वे डिपार्टमेंट से जुड़ा हुआ बताएगा। जानकारी लेने के चंद घंटे बाद ही आपको इसी गैैंग की दूसरी कॉल आएगी। दरअसल शातिर इस बीच ये जानकारी कर लेंगे कि आपकी पॉलिसी का प्रीमियम बाकी है या नहीं। अगर बाकी है तो आपके पास दोबारा इनकी कॉल आएगी और ये कहेंगे कि ये बीमा कंपनी से रेगुलर सुपरवाइजर हैैं और आपका सेटलमेंट करा देंगे। आपको जाल में फंसाने के लिए ये आपको लालच देंगे कि इतने कम रुपये में आपका सेटलमेंट हो जाएगा। अगर आप इनके झांसे में आ गए तो रकम गायब होने में देर नहीं लगेगी।
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1: सेटलमेंट के नाम पर 70 हजार पार
श्याम नगर निवासी शशांक तिवारी निजी फर्म में काम करते थे। कोविड के फस्र्ट फेज में उनकी नौकरी छूट गई थी। पांच साल पहले एलआईसी की पॉलिसी ली थी। नौकरी न होने की वजह से परिवार में आर्थिक तंगी आ गई। तीन साल की छह किश्तें (लगभग डेढ़ लाख रुपये) बकाया हो गईं। 3 जून को उनके पास सेटलमेंट की कॉल आई। 1.20 लाख में सेटलमेंट तय हुआ। शशांक ने बात करने के दौरान उन्हें पॉलिसी और बैैंक खाते की जानकारी दे दी। ऑनलाइन 70 हजार रुपये तीन बार में ट्रांसफर भी कर दिया। इसके बाद से जिस नंबर से कॉल आई थी, वह नंबर ही स्विच ऑफ हो गया। जिस खाते में रकम गई थी, उस खाते से रकम निकाल कर शातिरों ने खाता भी बंद कर दिया।

2 : जाल में फंसाकर 80 हजार ठगे
शशांक तिवारी की ही तरह फूलबाग के कुरसवां में रहने वाली लक्ष्मी बाजपेई भी साइबर शातिरों का शिकार हो गए। शातिरों ने झांसा देकर उनसे भी 80 हजार रुपये ठग लिए। इस मामले में केवल एक अच्छाई रही कि वारदात होने के चंद घंटे बाद ही लक्ष्मी ने अपन बेटे को सारी जानकारी दी। पता करने पर मामला साइबर ठगी का पता चला। लक्ष्मी के बेटे ने मामले की जानकारी थाने में देकर रकम फ्रीज करा दी। जिससे वह ठगी का शिकार होते होते बच गए।

3: 55 हजार एकाउंट में डलवा लिए
ठगी की तीसरी घटना सैनिक नगर निवासी गीता पाठक के साथ हुई। गीता को भी ठगों ने कॉल कर 55 हजार रुपये अपने अकाउंट में डलवा लिए। साइबर सेल को शिकायत होने पर टीम ने खाते में बचे 35 हजार रुपये फ्रीज करा दिए, बाकी की रकम शातिरों ने निकाल कर इस्तेमाल कर ली।

बचना है तो बरतें ये सावधानियां
- किसी भी हालत में अंजान कॉल्स को रिसीव न करें।
- बात करने के दौरान निश्चित कर लें कि कोई जानकारी नहीं देनी है।
- किसी भी हालत में बैैंक एकाउंट और एलआईसी संबंधित जानकारी न दें।
- कॉलर आपसे प्रीमियम के लिए रुपये भी ले लेंगे और खाते से रकम भी निकाल लेंगे।
- ऐसा कोई रेगुलर सुपरवाइजर नहीं है जो बीमा के प्रीमियम का सेटलमेंट करें।
- सेटलमेंट के लिए बीमा कंपनी अधिकारी या अधिकृत एजेंट ही नामिनेटेड हैैं।
- अगर ठगी का शिकार हो जाएं तो तुरंत अपने बैंक और पुलिस को सूचना दें
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सावधानी रखें, इससे ही बचाव है। किसी भी तरह अपने बैंक अकाउंट और बीमा पॉलिसी की जानकारी न दें। अगर धोखे में कोई इस तरह की घटना हो जाती है तो पहले पुलिस को जानकारी दें। जितनी जल्दी आप शिकायत करेंगे, उतनी रकम सेफ होगी।
सलमान ताज पाटिल, डीसीपी क्राइम