सरकार ने सीएजी की गणनाओं को ‘गुमराह करने वाला’ और गलत बताया है और सीएजी पर 'अपने दायरे' को लांघने का आरोप भी लगाया है।

शुक्रवार को कोयला आवंटन, दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा लिमिटेड (डायल) और बिजली क्षेत्र से जुड़ी सीएजी की रिपोर्ट संसद के पटल पर रखे जाने के तुरंत बाद ही संबंधित मंत्रालय अपनी अपनी दलीलों के साथ सामने आए।

लेकिन विपक्ष ने सीएजी की रिपोर्ट के आधार पर प्रधानमंत्री से इस्तीफा मांगा है और कोयला आवंटन घोटाले को यूपीए सरकार का सबसे बड़ा घोटाला बताया है।

रिपोर्ट पर सवाल

कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने सीएजी के इस अनुमान को खारिज किया है कि 2005 से 2009 के बीच 57 कोयला खंडों के आवंटन में निजी कंपनियों को 1.86 लाख करोड़ का फायदा हुआ है।

उन्होंने सीएजी की गणनाओं को 'दोषपूर्ण' करार दिया। सीएजी की रिपोर्ट में जिस अवधि के दौरान कोयला आवंटन में गड़बड़ी की बात कही गई है, तब कोयला मंत्रालय प्रधानमंत्री के ही पास था।

उस वक्त कोयले की खानों के आवंटन के लिए कंपनियों का चयन किया गया था, जबकि आलोचकों का कहना है कि खानों की बोली लगनी चाहिए थी और सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले को खानें दी जानी चाहिए थी। वहीं जायसवाल का कहना है कि जिस तरीके से कोयले की खानें कंपनियों को दी गईं, उसमें कुछ गलत नहीं था।

‘पूरी प्रक्रिया पारदर्शी’

दूसरी तरफ नागरिक विमानन मंत्रालय ने भी दिल्ली हवाई अड्डे पर सीएजी की रिपोर्ट में सरकारी खजाने को हुए घाटे के आंकड़ों को खारिज किया है।

सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विमानन मंत्रालय ने नियमों की अनदेखी कर दिल्ली एयरपोर्ट बनाने वाली कंपनी जीएमआर को 3415 करोड़ का फायदा पहुंचाया। मंत्रालय का कहना है सीएजी की गणनाएं पूरी तरह गलत और गुमराह करने वाली हैं।

मंत्रालय का कहना है कि सीएजी ने प्रस्तावित राजस्व की मामूली सी रकम को जोड़ लिया है और उसके मौजूदा शुद्ध मूल्य पर ध्यान नहीं दिया गया है।

उधर एमजीआर ग्रुप से संबंध रखने वाली डायल कंपनी ने सफाई दी है कि उसने सरकार से किसी तरह का अनुचित फायदा हासिल नहीं किया है। कंपनी के मुताबिक सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की भागीदारी वाली इस परियोजना में शुरू से लेकर आखिर तक पूरी प्रक्रिया पारदर्शी रही।

'दायरे को लांघता सीएजी'

इस बीच केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने दावा किया है कि सीएजी की रिपोर्ट अंतिम नहीं है। उनके अनुसार, “मैं इसके गुण दोषों पर कुछ नहीं कहूंगा। क्योंकि दुर्भाग्य से संविधान के तहत सीएजी को अधिकार मिले हैं। मेरे अनुसार, सीएजी अपने दायरे में रह काम नहीं कर रहा है, मैं समझता हूं कि ये बात उनके संज्ञान में लानी होगी.”

वहीं सीएजी का कहना है कि उन्होंने सरकार की नीतियों पर सवाल नहीं उठाए हैं, बल्कि उन्हें लागू करने में हो रही चूकों और खामियों की बात कही है।

उप नियंत्रक और महालेखा परीक्षक एके पटनायक का कहना है कि उनके लेखा परीक्षण का मकसद ये जानना था कि सरकारी नीतियां कैसे लागू हो रही हैं।

मनमोहन से इस्तीफे की मांग

दूसरी तरफ सीएजी की रिपोर्ट आने के बाद विपक्ष ने सीधे प्रधानमंत्री पर निशाना साधा है। मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने उनसे इस्तीफा देने को कहा है।

लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा, “प्रधानमंत्री पूरी तरह जिम्मेदार हैं। अब वो किसी दलील के पीछे नहीं छिप सकते हैं। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की तरह वे किसी राजा या चिदंबरम को ढाल नहीं बना सकते हैं.”

वहीं राज्य सभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा, “प्रधानमंत्री को आत्मविश्लेषण करना चाहिए और नैतिकता के नाते पद छोड़ देना चाहिए.”

सुषमा स्वराज ने केंद्र की यूपीए सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, “यूपीए का कार्यकाल भ्रष्टाचार से पूर्ण रहा है। ये यूपीए सरकार का सबसे बड़ा घोटाला है.” बीजेपी के अनुसार कोयला आवंटन घोटाले ने 1.76 लाख करोड़ रुपये के 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले को पीछे छोड़ दिया है।

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