बीजिंग में शुक्रवार को ये बैठक खत्म हो रही है जिसमें करदाताओं के पैसों से विदेशी गाड़ी खरीदने के बजाए चीन में बने वाहन खरीदने का प्रस्ताव है। चीन में सरकारी अफसरों को विदेशी गाड़ियां रखने का शौक है।

राजधानी बीजिंग के ग्रेट हॉल ऑफ पीपल के बाहर विदेशी गाड़ियों की कतार देखी जा सकती है। इनमें ज्यादातर जर्मनी में बनी ऑडी, मर्सिडीज और बीएमडब्ल्यू जैसी गाड़ियां मौजूद है।

लेकिन विदेशी गाड़ियों का शौक सिर्फ राजधानी तक ही सीमित नहीं है। दूसरे प्रांतो की राजधानियों में भी विदेशी गाड़ियां देखी जा सकती है और शायद ही ऐसा कोई अफसरशाह है जिसके पास विदेशी गाड़ी न हो। लेकिन ये सब अब बदल सकता है।

विदेशी गाडियों पर खर्च

बैठक में उन गाड़ियों की सूची बनाई जा रही है जिसे सरकारी अफसर खरीद सकते हैं और इस सूची में कोई भी विदेशी गाड़ी शामिल नहीं है। चीन में सरकारी गाड़ियों की खरीद में सालाना 10 अरब डॉलर का खर्च होता है। एक अनुमान के मुताबिक इसका तीन-चौथाई हिस्सा विदेशी कारों की खरीद में जाता है।

इस प्रस्ताव के दो मायने निकाले जा रहे हैं। सबसे पहले तो इससे चीन की कार बनाने वाली कंपनियों को संरक्षण मिलेगा, और दूसरा, इससे जनता की नजरों में सरकारी पैसे के 'दुरुपयोग' पर रोक लग सकेगी।

इस प्रस्ताव को जनता से समर्थन मिल रहा है। इस प्रस्ताव पर चीन की एक महिला ने कहा, "अगर हम सिर्फ चीनी कार खरीदते हैं तो इससे हमारे उद्योग को फायदा मिलेगा," एक दूसरे पुरुष ने कहा, "चीन में बनी गाड़िया सस्ती होती हैं और सरकारी अफसरों को सस्ती कारों में सफर करना चाहिए."

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