द पीपुल्स डेली अपनी वेबसाइट को शंघाई के शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध करवाने जा रही है और उम्मीद कर रही है कि उसे बाज़ार से आठ करोड़ डॉलर (400 करोड़ रुपए) की राशि मिल सकेगी।

चीन में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र का कहना है कि वह धनराशि इसलिए चाहती है ताकि उसकी वेबसाइट दूसरी व्यावसायिक वेबसाइटों से मुक़ाबला कर सके। समाचार पत्र ने कहा है कि वह अपनी वेबसाइट की तकनीक में सुधार करेगी और अपनी ऑनलाइन सेवाओं में सुधार करेगी।

चुनौती

कई दशक पहले देंग ज़ियाओपिंग के नेतृत्व में शुरु हुए सुधार कार्यक्रम के तहत कम्युनिस्ट पार्टी ने अपने कई सिद्धांतों को पहले ही दरकिनार कर दिया है.अब जब अर्थव्यवस्था की बात होती है तो बाज़ार ही नीतियाँ तय करता है न कि कार्ल मार्क्स का सिद्धांत। ये अख़बार वर्ष 1948 से पार्टी का मुखपत्र है।

उसने शंघाई शेयर बाज़ार में अगले छह महीने में अपनी वेबसाइट को सूचीबद्ध करने के लिए आवेदन किया है। ख़बरें हैं कि पीपुल्स के एक चौथाई शेयर बाज़ार में उतारने का निर्णय लिया है।

अख़बार चाहते हैं बाज़ार से आए पैसे से मोबाइल सेवाएँ विकसित की जाएँ और अख़बार के संपादकीय टीम को मज़बूत बनाया जाए। आमतौर पर पीपुल्स को आसान अख़बार नहीं माना जाता क्योंकि उसके मुख्य उद्देश्यों में से एक सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के सिद्धांतों और नीतियों का प्रचार करना भी है।

अख़बार में अक्सर अधिकारिक बैठकों और फ़ैसलों की भरमार होती है और यही वेबसाइट में भी होता है। अख़बार के संपादक मानते हैं कि उन्हें दूसरी व्यावसायिक वेबसाइटों से प्रतिस्पर्धा करने में परेशानी हो रही है जो ज़्यादा दिलचस्प ख़बरें प्रकाशित करते हैं। पीपुल्स की वेबसाइट पढ़ने वाले लोगों की संख्या दूसरी व्यावसायिक वेबसाइटों की तुलना में बहुत कम है।

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