कानपुर (ब्यूरो)। विकास नगर स्थित रोडवेज ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट से ड्राइविंग की ट्रेनिंग ले चुकी प्रदेश की 17 महिलाओं को बसों की स्टेयरिंग थामने में आड़े आ रही ड्राइविंग लाइसेंस की प्रॉब्लम सॉल्व हो गई है। तीन महिलाओं के लाइसेंस दो साल पुराने होने पर उन्हें रोडवेज बसें चलाने और बाकी 14 को वर्कशॉप में डग ड्यूटी &बसों को मरम्मत के तय स्थान पर खड़ा करने&य की ड्यूटी मिल गई है। जैसे-जैसे इनके डीएल दो साल पुराने होने की शर्त पूरी होती जाएगी, वैसे-वैसे बसें चलाने की ड्यूटी मिलती जाएगी।

21 में 17 ने पूरी की थी ट्रेनिंग
कौशल विकास मिशन के तहत देश में पहली बार पिछले साल मार्च से सितंबर तक प्रदेश भर की 21 महिलाओं को मार्डन ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट विकास नगर में छह महीने की रोडवेज बस चलाने की ट्रेनिंग दी गई थी। ट्रेनिंग के बाद 21 में से 17 महिलाएं विभिन्न डिपो में 17 महीने बस चलाने की ट्रेनिंग पूरी कर चुकी है। पहले सात महीने इन महिलाओं ने बस शंटिंग की ट्रेनिंग पूरी की। इसके बाद 10 महीने छोटे रूटों पर असिस्टेंट ड्राइवर के रूप में चलने की ट्रेनिंग पूरी की। ट्रेनिंग पूरा होने के बाद इन्हें संविदा पर रोडवेज बसें चलानी थीं।

प्रिंसिपल ने मांगी थी रियायत
इंस्टीट्यूट के प्रिंसिपल गौरव पांडेय ने मुख्यालय को पत्र लिखकर कहा था कि इन युवतियों ने दो साल की ट्रेनिंग डिपो में ली थी। इसलिए इन्हें इस नियम में छूट दी जाए। परिवहन निगम मुख्यालय लखनऊ के प्रधान प्रबंधक कार्मिक अशोक कुमार ने निर्देश दिया है कि नियमानुसार संविदा चालक के लिए सर्ते पूरी करने वाली युवतियों को पिंक बसें चलाने के लिए नियुक्त कर लिया जाए। बाकी को संबंधित वर्कशाप में डग ड्यूटी दे दी जाए।