- बिना लाइसेंस ज्यादा ब्याज पर दिए रुपए, तो होगी कार्रवाई

- हर छह महीने में सूदखोरों को लेन देन का देना होगा ब्यौरा

- 10 सालों का लेनदेन और रिकार्ड भी चेक किया जाएगा

- 69 कानपुर में और देहात में 22 लाइसेंस हैं

kanpur: जिले में सूदखोरों का आतंक बढ़ रहा है। कर्ज देकर परिवार को न भूलने वाला जख्म सूदखोर दे रहे हैं। कमिश्नरेट लागू होने के बाद से अब इन पर शिकंजा कसने की तैयारी है। नई क्राइम ब्रांच का गठन किया गया है। इसमें भूमाफिया, माफिया और सूदखोरों के खिलाफ कार्रवाई का ब्लू प्रिंट बनाया जा रहा है। डीएम ऑफिस से लाइसेंसी सूदखोरों का रिकार्ड मांगा गया है। अब बिना लाइसेंस ब्याज पर रुपए दिए तो एक्शन लिया जाएगा। साथ ही सूदखोरों की वजह से जान गई तो जिम्मेदार खाकी होगी। हाल ही में तीन लोगों ने सूदखोरों के जानलेवा गणित में फंसकर अपनी जान दे दी है।

केस 0क् :

नौबस्ता में सट्टे की लत लगवाई फिर कर्ज दिया, युवक की गई जान

नौबस्ता में करीब एक सप्ताह पहले युवक ने सूदखोरों से परेशान होकर सुसाइड कर लिया था। परिजनों ने आरोप लगाया कि पहले उसे कुछ लोगों ने सट्टा खेलने की लत लगा दी थी। सट्टे में हुए नुकसान को पूरा करने के लिए उसने कर्ज ले लिया था, इसके बाद भी हालात सामान्य नहीं हुए। सूदखोर लगातार परेशान कर रहे थे। जिसके बाद युवक ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। परिजनों की शिकायत के बाद आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर पुलिस मामले की जांच कर रही है।

केस 0ख् :

कल्याणपुर में सूदखोरों के जानलेवा गणित में गई जान

कल्याणपुर निवासी दयावती के मुताबिक तीन महीने पहले उनके पति ने जहर खाकर सुसाइड कर लिया था। पति परचून कारोबारी थे। लॉकडाउन के दौरान कारोबार में हुए नुकसान की वजह से पति ने सूदखोरों से कर्ज लिया था। दयावती की तहरीर के मुताबिक कुछ दिन तक तो ब्याज दिया जाता रहा। उसके बाद पति ब्याज न दे सके। जिसकी वजह से पति ने फांसी लगाकर जान दे दी। सुसाइड नोट से सूदखोरों के परेशान करने की जानकारी हुई। जिसके बाद आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दजर्1 की गई।

केस 0फ् :

पहले देते कर्ज फिर पगार आने पर छीन लेते रुपए, रिपोर्ट दर्ज

चकेरी निवासी टेनरी कर्मी रिजवान ने घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए कर्ज लिया था। देखते ही देखते मूल रकम से ज्यादा ब्याज हो गया। सूदखोर परेशान करने लगे तो वह पुलिस की शरण में जा पहुंचा। तत्कालीन डीआईजी के आदेश पर सूदखोर छत्रपाल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई। रिजवान के मुताबिक पगार मिलने वाले दिन ही सूदखोर उससे सारे रुपए छीन लेते थे और वह पूरी महीने खर्चे के लिए मोहताज रहता था।

सूदखोरों की दहशत

ये तीन मामले तो उदाहरण मात्र हैं। इन सूदखोरों की वजह से न जाने कितने परिवार तिल-तिल कर मर रहे हैं। कई आत्महत्या कर चुके हैं तो कई आज भी सूदखोरों की दहशत में जी रहे हैं। कई परिवारों में एक ही समय का खाना बन रहा है तो कई परिवारों में फाकाकशी की नौबत अा गई है।

शिकायत की लिस्ट मांगी

सूदखोरों का थाना स्तर पर रिकार्ड भी मांगा गया है। साथ ही सूदखोरों की वजह से आत्महत्या करने वालों और सूदखोरों की शिकायत की लिस्ट भी मांगी गई है। इनका बीते क्0 सालों का लेनदेन और रिकार्ड भी चेक किया जाएगा। साथ ही ये भी जानकारी की जा रही है कि दूसरे के नाम पर बने लाइसेंस पर कितने लोग सूदखोरी का कारोबार करते हैं। पुलिस को मिले रिकॉर्ड के मुताबिक कानपुर में सूदखोरी के म्9 और देहात में ख्ख् लाइसेंस हैं।

नोटिस देकर देंगे जानकारी

एसीपी सलमान ताज पाटिल ने बताया कि सभी सूदखोंरों का हिसाब निकालने के बाद उन्हें नोटिस देकर बुलाया जाएगा। इसके बाद उन्हें लाइसेंस के मुताबिक ब्याज दर पर रुपए देने के लिए निर्देश दिए जाएंगे।

दबंगई और खाकी की शह पर फल फूल रहा है कारोबार

शहर के ब्भ् थानों में लाइसेंसी सूदखोरों की संख्या केवल म्9 है। यानी एक थानाक्षेत्र में दो भी सूदखोर नहीं हैं। लेकिन फिर भी इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। सूत्रों की माने तो ये काला कारोबार दबंगई और खाकी की शह पर फल फूल रहा है। अवैध कारोबार करने वाले नई उम्र के युवकों को वसूली के लिए रखते हैं। थोड़ा इधर उधर करके असलहे का लाइसेंस बनवा लेते हैं और इलाके में दबंगई शुरू हो जाती है। काले कारोबार का एक हिस्सा खाकी को भी जाता है, लिहाजा छोटी शिकायतों को नजरअंदाज भी किया जाता है।

सैलरी के दिन सरकारी दफ्तरों में लगती है भीड़

नगर निगम का ऑफिस हो या केडीए का। बिजली विभाग का दफ्तर हो या रेलवे स्टेशन। इस काले कारोबार को करने वालों से कुछ भी अछूता नहीं है। सैलरी वाले दिन इनके कारिंदों की भीड़ सरकारी ऑफिस के बाहर दिखाई देती है। सैलरी का मोटा हिस्सा वसूलने के बाद जल्द ही रकम अदा करने की धमकी भी दी जाती है।

सूदखोरों की लिस्ट बनाई जा रही है, बिना लाइसेंस के ब्याज का काम करने वाले और ज्यादा ब्याज वसूलने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

सलमान ताज पाटिल, एसीपी क्राइम