कानपुर(ब्यूरो)। अल्पसंख्यक अवधारणा को सिर्फ जाति धर्म की नजर से न देखें बल्कि सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, शारीरिक मानसिक अवस्था के आधार पर भी अल्पसंख्यकों की पहचान करें। ऐसे लोगों की आवाज को उठाने के लिए ऑडियो-वीडियो मीडिया का उपयोग करें। यह बात दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट के सीईओ आलोक सांवल ने फ्राईडे को जागरण इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड मॉस कम्युनिकेशन में वल्र्ड डेमोक्रेसी डे पर आयोजित स्पेशल सेमिनार &वीडियो-ऑडियो मीडियम और वल्र्ड डेमाक्रेसी डे&य में मीडिया स्टूडेंट्स के साथ इंटरेक्शन करते हुए कहीं।

फिल्म मेकिंग के दिए टिप्स
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में आलोक सांवल वहीं गेस्ट स्पीकर के रूप में चित्रभारती व प्रेरणा संस्था के प्रतिनिधि फिल्म समीक्षक शत्रुघ्न यादव ने अपने विचार रखे। जागरण इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन एनिमेशन(जिडा) के डायरेक्टर अमरजीत सिंह ने फिल्म मेकिंग में ग्राफिक और आर्ट के यूज पर पावर पाइंट प्रजेंटेशन और जिम्सी डायरेक्टर डॉ। उपेन्द्र ने &भारत: मदर ऑफ डेमोक्रेसी&य पर पावर पाइंट प्रजेंटेशन रखा। इस अवसर पर जागरण इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट की डायरेक्टर डॉ। दिव्या चौधरी भी उपस्थित रहीं।

सोशल मीडिया की बताई ताकत
आलोक सांवल ने मीडिया स्टूडेंट्स से अल्पसंख्यक की मान्य परिभाषा से परे जाकर उनसे अल्पसंख्यक को लेकर उनकी सोच के बारे में जानने हुए सवाल पूछे। जिस पर रंग भेद के आधार पर, वस्त्र के आधार पर, रहन सहन के आधार पर, आदतों के आधार पर, बॉडी शेमिंग आदि जवाब आए। उन्होंने भावी पत्रकारों को इस तरह से अल्पसंख्यकों की पहचान कर उनसे जुड़े मुद्दों पर ऑडियो-वीडियो मीडिया के लिए काम करने को कहा। उन्होंने सोशल मीडिया की पहुंच और उसके इस्तेमाल के साथ ओटीटी प्लेटफार्म के महत्व को भी बताया। उन्होंने कहा कि ओटीटी प्लेटफार्म पर तमाम अच्छी और ज्ञानवद्र्धक सामग्री भी है। इसलिए इस प्लेटफार्म पर अच्छी सामग्री को देखें और अपने लिए अवसरों को पहचानें।

दिए सवालों के जवाब
गेस्ट स्पीकर फिल्म समीक्षक शत्रुघ्न यादव ने स्टूडेंट्स को प्रेरणा फिल्मोत्सव में सहभागिता के लिए प्रेरित किया। उन्होंने छात्रों से संवाद करते हुए उनके मन में उठ रहे सवालों के जवाब भी दिए। जिडा के डायरेक्टर अमरजीत सिंह ने छात्रों को फिल्म निर्माण की बारीकियों से परिचित कराया और सीमित बजट में कैसे फिल्म बना सकते हैं इस संबंध में टिप्स दिये।