- कानपुर, हाथरस, सहारनपुर, रायबरेली, लखनऊ, मऊ व नैनी इलाहाबाद में हैं एनटीसी की मिलें

- अवैध कब्जों से घिरी मिल की जमीनों का सर्वे कर वस्त्र मंत्रालय को भेजी जाएगी कंप्लीट रिपोर्ट

KANPUR : एनटीसी (नेशनल टेक्सटाइल कारपोरेशन) की जमीनों पर वर्षो से किए गए अवैध कब्जों को हटाने की तैयारी शुरू हो गई है। एनटीसी की ऐसी जमीनें आईडेंटीफाई हो रही हैं जिन पर मकान, दुकान का निर्माण कर लिया गया है। जबकि कई जमीनों पर छोटे-छोटे उद्योग भी चल रहे हैं। कानपुर के अलावा रायबरेली, लखनऊ, हाथरस, सहारनपुर, मऊ व नैनी इलाहाबाद में ब्रिटिश गवर्नमेंट में स्थापित की गईं एनटीसी की जमीनों को आईडेंटीफाई करने के लिए ड्रोन की मदद ली जा रही हैं। सैटरडे को स्वदेशी काटन मिल की जमीन पर अवैध कब्जों को ड्रोन से आईडेंटीफाई कर वीडियो बनाया गया। वस्त्र मंत्रालय को इन सभी मिलों की जमीनों पर कब्जों की कंप्लीट रिपोर्ट भेजी जाएगी।

छोटे उद्योग भी अवैध रूप से

शहर में एनटीसी की म्योर मिल, विक्टोरिया मिल, लक्ष्मी रतन मिल, अर्थटन बेस्ट मिल व स्वदेशी मिल की जमीनें हैं। इन जमीनों का सर्वे करा रहे म्योर मिल इंचार्ज संजय राज के मुताबिक जिन जमीनों पर कब्जे हैं, उनमें कई ऐसी हैं जिनमें नए लोगों ने घर बना लिया है। कई छोटे-छोटे उद्योग भी वहां अवैध रूप से चल रहे हैं। जिस ड्रोन से जमीनों में हुए कब्जों को आईडेंटीफाई किया जा रहा है उसकी रेंज 5 किलोमीटर है। इतनी दूरी तक यह ड्रोन न केवल जमीनों की मै¨पग कर रहा है बल्कि उसकी रिपोर्ट भी डिजिटल फार्म में तैयार की जा रही है।

एनटीसी: हाईलाइट्स

- एनटीसी की प्रदेश में 375 एकड़ जमीन है। इसमें से कानपुर में 150 एकड़ जमीन है, कानपुर में छह मिले स्थापित हैं

- बिजली काटन हाथरस, लार्ड कृष्णा टेक्सटाइल सहारनपुर, रायबरेली टेक्सटाइल, श्रीविक्रम काटन लखनऊ, स्वदेशी काटन मऊ व नैनी में भी हैं

- छह मिलें कंपोजिट व पांच मिलें स्पि¨नग की हैं, एक जमाने में इन मिलों में धागा बनाने से लेकर कपड़ा तैयार किया जाता था।

'' 1991 के बाद से सारी मिले करीब करीब बंद हो चुकी थी। नए लोगों के अलावा पूर्व कर्मचारियों ने भी काफी जमीनें घेर रखी हैं। जब मिलें चलती थीं तब उन्हें यहां रहने की जगह दी गई थी। मिलें बंद होने के बाद भी वह कब्जा नहीं छोड़ रहे हैं। कुछ जमीनों पर केस भी चल रहे हैं। कब्जों की रिपोर्ट वस्त्र मंत्रालय भेजे जाने के साथ एफआइआर भी कराई जाएगी.''

आरके यादव, एसेट्स एंड प्रापर्टी हेड एनटीसी