कानपुर(ब्यूरो)। तीन दिन जोरदार बारिश और जलभराव की समस्या के बाद अब सडक़ों से उडऩे वाली धूल-मिट्टी कानपुराइट्स के लिए मुसीबत बन गई है। मिट्टी के मोटे मोटे कण उडक़र लोगों की आंखों में पहुंच रहे हैं। वहीं धूल से दमा के पुराने मरीजों की समस्या भी बढ़ गई है। आंखों का अंदरूनी हिस्सा घायल होने की समस्या लेकर बड़ी संख्या में लोग हैलट के आई डिपार्टमेंट पहुंच रहे हैं। वह चेस्ट हॉस्पिटल की ओपीडी में भी पेशेंट की संख्या डेढ़ गुना हो गई है।

लापरवाही हो सकती खतरनाक
हैलट अस्पताल की ओपीडी में बीते दो दिनों में एक दर्जन से अधिक लोग आंख के अंदरूनी हिस्सा में जख्म होने की समस्या लेकर पहुंचे हैं। इनमें से कई को तो ऑपरेट करने की जरूरत पड़ी है। आई डिपार्टमेंट के डॉक्टर के मुताबिक सडक़ पर उडऩे वाली धूल के महीन कण आंखों में चले जाते हैं। जिससे आंख में करकराहट होती है। लोग डॉक्टर को दिखाने के बजाए आंख को मसने के साथ घरेलू उपाय करते हैं। जिससे आंख के अंदरूनी हिस्से में वह कण घाव कर देता है। जिसमें लापरवाही करने से आंख की रोशनी जाने तक का खतरा बना रहता है।

पुराने पेशेंट की संख्या अधिक
चेस्ट हॉस्पिटल में इन दिनों आने वाले पेशेंट्स में पुराने दमा मरीजों की संख्या 60 परसेंट से अधिक है। बरसात के बाद सडक़ों में उडऩे वाली धूल राहगीरों के साथ सडक़ किनारे रहने वाले लोगों के लिए भी खतरनाक होती है। यही कारण है कि बरसात के बाद धूप निकलने के बाद सडक़ों पर धूल की लेयर बन जाती है। जोकि वाहनों के आवागमन में उड़ती है। यहीं धूल के कण सांस रोगियों की समस्या को बढ़ा रहे हैं। लिहाजा इन दिनों चेस्ट हॉस्पिटल में पेशेंट की संख्या बढ़ गई है।

इन बातों का रखें ध्यान
- घर से निकलते समय मुंह को मास्क से ढक कर निकलें
- बाइक ड्राइव के दौरान व आंखों को चश्मे से कवर कर लें
- आंख में धूल का कण जाने पर उसको कतई मसले नहीं
- आंखों में ठंडे पानी के छीटें मारें
- आराम न मिले तो घरेलू उपाय करने की बजाए डॉक्टर को दिखाएं
- सांस रोगी जरूरत पडऩे पर ही घर से मास्क लगाकर निकलें

आंख कैसे हो रही घायल
हैलट अस्पताल के आई डिपार्टमेंट की एचओडी डॉ। शालिनी मोहन ने बताया कि आंखों में कण जाने के बाद अक्सर लोग उसको मसल देते हैं। जिससे धूल का कण निकलने की बजाए पुतली को कवर करने वाले मांस में धंस जाता है यानी घाव करने के साथ वह अपनी जगह वहां बना लेता है। इस कण को डॉक्टर से निकलवाने की बजाए घरेलू उपाय करने से दिक्कत और बढ़ जाती हैै। जिससे आंख की रोशनी जाने तक का खतरा बना रहता है।