मध्यांतर से कुछ समय पहले ही फ्राँस ने समीर नासरी के जरिए गोल बराबर कर लिया। इसके बाद इंग्लैंड ने यह आभास ही नहीं दिया कि वह दोबारा बढ़त ले सकता है। वह पूरी तरह से रक्षा पर उतर आए और उसका यही उद्देश्य रह गया कि फ्राँस को लीड न लेने दी जाए। अगर यह रणनीति थी तो उसमें वह सफल रहे। वर्ष 2006 के विश्व कप के बाद से फ्राँस ने एक बड़े टूर्नामेंट में कोई मैच नहीं जीता है, हाँलाकि पिछले 22 मैचों में वह अविजित जरूर रहे हैं।

रक्षण पर जोर

इस मैच के बाद एक दिलचस्प आँकड़ा सामने आया। पूरे मैच के दौरान फ्राँस ने इंग्लैंड के 307 पासों के मुकाबले 634 पास दिए। यही वजह रही कि पूरे मैच में उनका दबदबा रहा। आखिरी क्षणों में करीम बेनज़ेमा के तेज शॉट को गोली जो हार्ट गोल से बाहर रखने में सफल रहे। इसके तुरंत बाद योहान कबाए के नियंत्रित शॉट ने हार्ट को चकमा जरूर दिया लेकिन गेंद छिटक कर बाहर चली गई।

कुल मिला कर इंग्लैंड के खेल में धार नहीं थी। और तो और एशली यंग और डेनियल वेलबेक को गेंद अपने पास रखने में भी खासी मशक्कत करनी पड़ रही थी। लेकिन जैसा कि हमेशा से इंग्लैंड की खासियत रही है, रक्षण में उन्होंने अपनी सारी ताकत झोंक दी। दबदबा रखने के बावजूद फ्राँस को इंग्लैंड के गोल पर सीधा निशाना लगाने के अपेक्षाकृत कम मौके मिले।

यूक्रेन का शानदार खेल

दूसरे मैच में मेजबान यूक्रेन ने स्वीडन को 2-1 से हरा कर बड़ा उलटफेर कर दिया। इब्राहिमोविच ने स्वीडन को 52वें मिनट में बढ़त दिलाई लेकिन फिर शेवचेंको ने दो गोल दाग कर न सिर्फ यूक्रेन को जीत दिलाई बल्कि उन्हे ग्रुप डी में इंग्लैंड और फ्राँस से भी आगे कर दिया।

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