कानपुर (ब्यूरो)। टेक्नोलॉजी इंसान की लाइफ को ईजी और कंफर्टेबल बनाती है लेकिन जब तक इसका यूज केयरफुली और लिमिट में किया जाए। अगर टेक्नोनॉजी को कैजुअली, लापरवाही से और जरूरत से ज्यादा यूज किया जाए तो यह मुसीबत और जानलेवा भी बन जाती है। ऐसी ही टेक्नोलॉजी या फिर इंस्टूमेंट है ईयर बड। वहीं ईयर बड जिसे बच्चों और यूथ से लेकर सीनियर सिटीजन भी कान में लगाकर घूमा करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ईयर बड के अधिक यूज से लोगों में हियरिंग प्रॉब्लम बढ़ रही और पैरालिसिस अटैक पडऩे तक का खतरा होता है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के न्यूरो डिपार्टमेंट में आए कई केस की स्टडी से यह चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। इसलिए डॉक्टर्स की एडवाइज है ऑलवेज ओपन योर ईयर

बच्चों पर कई गुना घातक
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के न्यूरो डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो। मनीष सिंह ने बताया कि ईयर बड का अधिक यूज जहां यूथ के लिए काफी खतरनाक होता है। वहीं बच्चों में इसका दुष्प्रभाव कई गुना अधिक पड़ता है। लिहाजा बच्चों को इससे दूर रखना चाहिए। क्योंकि कई बार बच्चे जाने अनजाने में अधिक साउंड में ईयर बड से सांग सुनते हैं। जिसकी जानकारी पैरेंट्स को नहीं होती है। लिहाजा बच्चों को इससे दूर ही रखना चाहिए।

लगातार बढ़ रहे हैं केस
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के ईएनटी डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो। एसके कनौजिया ने बताया कि सिटी में न्वॉइस पॉल्यूशन की वजह से पहले भी हियरिंग प्रॉब्लम से परेशान पेशेंट ट्रीटमेंट के लिए आते थे। वर्तमान में ईयर बड व ईयर फोन का अधिक यूज करने की वजह से यूथ में हियरिंग प्रॉब्लम तेजी से बढ़ी है। सप्ताह में चार से पांच केस सिर्फ ईयर बड व ईयर फोन का अधिक यूज करने की वजह से होने वाली हियरिंग प्रॉब्लम के आ रहे हैं।

एक्सीडेंट का भी बड़ा कारण
ईयर बड व ईयर फोन का ड्राइविंग के दौरान यूज करना बेहद खतरनाक है। ये एक्सीडेंट का बड़ा कारण बनता जा रहा है। इसके अलावा घर से बाहर निकलने पर लोकल ट्रांसपोर्ट में सफर करने, सडक़ व रेलवे ट्रैक क्रॉस करते समय होने वाले एक्सीडेंट में 80 परसेंट केसेस में ईयर बड व ईयर फोन का यूज ही कारण होता है। जिसको जीआरपी व स्थानीय पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी मेंशन करती है। ऐसे में घर से बाहर निकलने पर अपने कानों को पूरी तरह खुला रखें जिससे कोई भी मुसीबत आने से पहले उसकी आहट आप सुन सकें और अलर्ट हो जाएं।