फ़ेसबुक पर दिखने वाले ऐसे कई पन्नों की सामाजिक संगठनो ने शिकायत की थी। इस मामले पर फ़ेसबुक के अधिकारियों ने कहा है कि हिंसा या नफ़रत फ़ैलाने वाले किसी लेख के लिए फ़ेसबुक वेबसाइट पर जगह नही है।

'रेप जोक्स' पर आधारित पन्नों को हटाने के पीछे कारण बताया जा रहा है कि इन पन्नों को बनाने वाले यूज़र्स ने फ़ेसबुक के नियमों की अनदेखी करते हुए पन्ने की हेडलाइन पर टैग नही किया था।

वेबसाइट के अधिकारियों ने बीबीसी से कहा, "फ़ेसबुक पर अपमानजनक और हिंसा फ़ैलाने वाले लेख़ों की सूचनाओं पर गंभीरता से कार्रवाई की जाती है."

अधिकारियों के मुताबिक़ वह फ़ेसबुक को विभिन्न विचारों और मतों के लिए एक स्वतंत्र माध्यम बनाना चाहते है, हालांकि इससे लोगो की भावनाओं को ठेस नही पहुँचनी चाहिए।

विरोधाभास

हालांकि फ़ेसबुक की आधिकारिक भाषा और कंपनी की ओर से पूर्व में जारी किया गया बयान विरोधाभाषी है। अगस्त में कंपनी ने बयान जारी किया था और कहा था, “जैसे अशिष्ट मज़ाक करने से आपको इलाक़े के पब से निकाला नहीं जाता, वैसे ही फ़ेसबुक से भी निकाला नही जाएगा.”

शुरुआती दौर में फ़ेसबुक ने ऐसी शिकायतों को नज़रअंदाज़ किया था, जिसका ऑनलाइन समूहो की ओर से खूब आलोचना की गई। व्यावसायिक संस्थानो ने भी अपने विज्ञापन विवादित पन्नों पर दिखने को लेकर अपनी चिंता जताई थी। ऑनलाइन समूहों ने फ़ेसबुक के नए पहल की सराहना की है, लेकिन उनका मानना है कि अब भी बहुत कुछ किया जाना बाक़ी है।

सामाजिक मामलों से जुड़ी वेबसाइट वीमेंस व्यूज़ ऑन न्यूज़ से जुड़े जेन ऑस्मॉंड का कहना है, “केवल पन्नों को हटा देना काफ़ी नही है, लोगो को बताया जाना चाहिए कि फ़ेसबुक ने अपनी सोच में बदलाव किया है.”

टैगिंग

'रेप जोक्स' पर आधारित ऐसे कई पन्नो को क़रीब एक लाख़ 90 हज़ार से ज्यादा पसंद (लाइक) करने वाले मिले है। इनमे से ज़्यादातर ग्रुप पन्ने हटाए जाने के बावजूद कुछ बिना टैग किए गए पन्ने अभी तक दिख जाते है।

मीडिया सलाहकार थेरेसा वाइस के मुताबिक फ़ेसबुक की स्थिति परेशान करने वाली है। थेरेसा वाइस के अनुसार एक तरफ़ फ़ेसबुक के इस फ़ैसले को ऑनलाइन यूज़र्स का आज़ादी के ख़िलाफ़ देखा जा सकता है।

दूसरी तरफ़ फ़ेसबुक पर सार्वजनिक अपमानजनक लेख से वेबसाइट की छवि को नुक़सान पहुँच सकता है। इससे विज्ञापनदाता फ़ेसबुक से नाता तोड़ सकते है।

International News inextlive from World News Desk