कानपुर(ब्यूरो)। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के साइंटिस्ट अब गंगा किनारे नारियल, खस और मेडिटेशनल प्लांट की खेती का ट्रायल करेंगे। इसके अलावा किसानों की इनकम बढ़ाने के लिए ट्रेडीशनल फार्मिंग को मॉडर्न फार्मिंग में कन्वर्ट किया जाएगा। वेडनेसडे को सीएसए वीसी डॉ। आनंद कुमार सिंह ने बताया कि यूनिवर्सिटी की वर्किंग एरिया 22 जिलों में मसालों और मेडिटेशनल प्लांट समेत उन सभी क्रॉप्स की फार्मिंग करवाई जाएगी जिनको हम दूसरे राज्यों से महंगे दामों पर मंगाते हैं।


संभावनाओं को तलाशेंगे
उन्होंने बताया कि उदाहरण के तौर पर नारियल का धार्मिक महत्व भी है और इसको हम दूसरे राज्यों से महंगे दाम पर मंगाते हैं। यह समुद्र के किनारे होता है विकल्प के तौर पर गंगा के दोनों किनारों पर इसकी फार्मिंग की संभावनाओं को खोजा जाएगा। आशा है कि रिजल्ट बेहतर होंगे। इसके अलावा कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के जरिए किसानों को केमिकल फ्री फार्मिंग को लेकर अवेयर किया जाएगा। बताया जाएगा कि केमिकल वाले पेस्टीसाइड्स केवल प्रेजेंट के लिए हैं। फ्यूचर के लिए वह हवा, मिट्टी और पानी को खराब कर रहे हैं। इस मौके पर रजिस्ट्रार डॉ पीके उपाध्याय, डायरेक्टर रिसर्च डॉ पीके सिंह, डॉ विजय यादव, डॉ वीके त्रिपाठी और डॉक्टर खलील खान आदि मौजूद रहे।

जल संरक्षण पर भी करेगा काम
सीएसए के साइंटिस्ट जल संरक्षण की न्यू टेक्नोलॉजी खोजेंगे। वीसी डॉ आनंद कुमार सिंह ने बताया कि 1 साल में औसत बारिश 900 मिली मीटर होती है अगर इस बारिश के पानी को संरक्षित कर लिया जाए तो पूरे साल पानी की कमी नहीं होगी। इसके लिए सीएसए के साइंटिस्ट प्लान बनाएंगे।


200 मिलियन पॉपुलेशन कुपोषण का शिकार
डॉ सिंह ने बताया कि देश में 200 मिलियन पॉपुलेशन कुपोषण का शिकार है, जिसमें अधिकतर रूलर एरिया में रहने वाले हैं। इसका मुख्य कारण उनमें फाइनेंशियल क्राइसिस है। ऐसे में अगर उनकी इनकम बढ़ेगी और पोषण युक्त फल और सब्जियां सस्ते होंगे तो कुपोषण भी दूर भागेगा। इसके अलावा साल के 12 महीनों में अलग-अलग तरह की कई फसलों को बोने और उनसे किसानों को लाभ दिलाने का प्रयास किया जाएगा। ऐसी फसलों को बोया जाएगा जो मार्केट में महंगे दामों पर बिकती हैं। कहा कि हमारा उद्देश्य देश को जीरो हंगर पर लाना है।

कोरोना में सिर्फ एग्री इंडस्ट्री ने की ग्रोथ
सीएसए वीसी ने बताया कि हम एग्रीकल्चर फील्ड में बहुत मजबूत है। कोरोना काल में एग्रीकल्चर फील्ड ही मात्र एक ऐसी फील्ड थी, जिसने ग्रोथ दर्ज की है। कोविड-19 पहले सब्जी मसाला का 24000 करोड़ का एक्सपोर्ट होता था जो कि कोविड में बढक़र 28000 करोड़ हुआ और इस वक्त 32000 करोड़ है। इसके अलावा हॉर्टिकल्चर में प्रोडक्शन 42 मिलियन टन था जो कि बढक़र 324 मिलियन टन हुआ। इसी तरह नारियल में 200 मिलियन टन प्रोडक्शन था जो कि बढक़र 24 बिलियन टन हो गया है। बताया कि हमारा देश 1 साल में 7500 करोड़ का नारियल एक्सपोर्ट करता है।

सिलेबस में होगा बदलाव
एग्रीकल्चर के स्टूडेंट्स को मार्केट के डिमांड के अनुसार रैली करने के लिए सिलेबस में बदलाव होगा। बीएससी, एमएससी और पीएचडी के स्टूडेंट्स को खेती में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीन लर्निंग और ड्रोन टेक्नोलॉजी का पाठ पढ़ाया जाएगा। सीएसए यूनिवर्सिटी ने ड्रोन मंगाने के लिए आर्डर कर दिया है। सीएसए से ऐसे स्टूडेंट निकलेंगे जोकि मार्केट के डिमांड के अनुसार ट्रेंड हों।