कानपुर(ब्यूरो)। सीएसजेएमयू में आयोजित हिंदी पखवाड़ा 2023 के तहत मंडे को व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन हुआ। एक दिवसीय प्रोग्राम का शुभारंभ वीसी प्रो। विनय कुमार पाठक, प्रो गिरीश नाथ झा (ऑनलाइन), प्रो नंद किशोर पांडेय और प्रोवीसी प्रो। सुधीर कुमार अवस्थी ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन के साथ किया।
बतौर मुख्य अतिथि पधारे प्रो नंद किशोर पांडेय डीन आर्ट फैकल्टी राजस्थान यूनिवर्सिटी जयपुर एवं पूर्व निदेशक केंद्रीय हिंदी संस्थान ने कहा कि आज चर्चा का विषय हिन्दी साहित्य या उसको बोलने वालों की संख्या नहीं है बल्कि उसका मुकाबला अंग्रेजी से हैं। हमें अपनी निज भाषा बोलने पर आत्म सम्मान व आत्म गौरव की अनुभूति होनी चाहिए।

तकनीकी विषयों पर हो काम
वीसी प्रो। विनय कुमार पाठक ने कहा कि देश के आजाद होने के बाद भी आज हमें हिन्दी पखवाड़ा व हिन्दी दिवस मनाने की जरूरत पड़ती है, यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। इसके पीछे हमारा अव्यवस्थित प्रारूप है कि हिन्दी और संस्कृत केवल एक भाषा बनकर रह गई है। हिन्दी में कई महान प्रखर लेखक व कवि रहे हैं, लेकिन आज लोग इसे पढऩे मे भी कतराते हैं, हिन्दी में प्रौद्योगिकी तथा तकनीकी विषयों पर कार्य होना जरूरी है ताकि मूलभाषा पर लोगों की रुचि बनी रहे।

विश्व में 70 करोड़ लोग बोलते हिंदी
प्रोवीसी प्रो। सुधीर कुमार अवस्थी ने कहा कि विश्व भर में लगभग 70 करोड़ लोग हिन्दी बोलते हैं तथा 115 देशों में हिन्दी के विभाग है, हिन्दी विश्व भर में तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। प्रोग्राम के विशिष्ट अतिथि प्रो। गिरीश नाथ झा ने ऑनलाइन संबोधन देते हुए कहा कि हिन्दी भाषा को तकनीकी रूप से अन्य भाषाओं से जोडक़र हम उसे प्रखर बना सकते हैं। भाषाओं के बारे में बताते हुये कहते हैं कि 22 लिपियों में से अत्यधिक लिपियां ब्राह्मी से आयी हैं।