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दादानगर नहर में पांच दोस्त डूबे, तीन की मौत

-बर्रा-2 में रहने वाले थे पांचों दोस्त, कोचिंग बंक कर नहर में नहाने गए थे

-उनको बचाने के लिए दरोगा और सिपाही खुद नहर में कूदे, लेकिन कामयाब नहीं हुए

KANPUR : गोविन्दनगर में गुरुवार को कोचिंग बंक कर नहर में नहाने गए पांच दोस्त गहरे पानी में डूब गए। किसी तरह दो दोस्त तो नहर के बाहर आ गए, लेकिन उसके तीन साथी गहरे पानी में समा गए। शोर-शराबे को सुनकर इलाकाई लोगों ने मौके पर जाकर कंट्रोल रूम में सूचना दी, तो दरोगा सिपाहियों के साथ मौके पर पहुंच गए। दरोगा ने उनको बचाने के लिए खुद सिपाही के साथ नहर में छलांग लगा दी। तीनों को नहर के बाहर निकाला गया तो वो बेसुध थे। आनन-फानन में दरोगा उनको हॉस्पिटल ले गए, जहां डॉक्टर्स ने उनको मृत घोषित कर दिया। परिजनों ने बच्चों का पोस्टमार्टम कराने से मना कर दिया।

एक-दूसरे को बचाने में डूबे

बर्रा में रहने वाले अवधेश गुप्ता का बेटा ईशू (15) ग्यारहवीं का छात्र है। उसकी इलाकाई निवासी जय प्रकाश के बेटे अमन, कृष्णपाल के बेटे दीपक सिंह (17) और संतोष के बेटे हनी (14) से दोस्ती थी। इसके अलावा उसके ग्रुप में चचेरा भाई छोटू उर्फ कृष्णकांत (15) था। गुरुवार को पांचों घर से कोचिंग जाने के लिए निकले थे, लेकिन कोचिंग नहीं पहुंचे। बल्कि वे कोचिंग बंक कर दादानगर स्थित खारजा नहर में नहाने पहुंच गए। पांचों घाट में कपड़े और बैग रखकर नहर में नहाने उतर गए। पांचों नहाते हुए पानी में खेल रहे थे कि खेल-खेल में दीपक सिंह गहरे पानी में चला गया। उसे बचाने में हनी और फिर छोटू गहरे पानी चले गए। तीनों को डूबते देख अमन और ईशू के होश उड़ गए। वे उनको बचाने के लिए शोर मचाने लगे, जिसे सुनकर वहां पर इलाकाई लोगों को जमावड़ा लग गया।

दरोगा व सिपाहियों ने िदखाई हिम्मत

इसी बीच सूचना पर दरोगा बृज भूषण, सिपाही सुनील कुमार यादव के साथ वहां पहुंच गए। वो बिना कुछ समझे किशोरों को बचाने के लिए सिपाही के साथ नहर में कूद गए। उनकी हिम्मत को देख अन्य लोग भी नहर में उतर गए। करीब बीस मिनट में तीनों को बाहर निकाल लिया गया, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। इसके बाद भी दरोगा इसी उम्मीद से तीनों को हॉस्पिटल ले गए कि शायद उनमें से किसी की जान बच जाए, लेकिन डॉक्टर्स ने तीनों को मृत घोषित कर दिया। इधर, पुलिस ने उनके परिजनों को जानकारी दी तो घर में कोहराम मच गया। आनन-फानन में परिजन हॉस्पिटल पहुंच गए।

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तीन बहनों में इकलौता था दीपक

नहर में डूबा दीपक तीन बहनों में अकेला भाई था। उसके पिता कृष्णपाल सिंह प्राइवेट जॉब करते हैं। उसकी तीनों बहनों की शादी हो चुकी है। उसकी लाश को देख मां गायत्री बदहवास हो गई। वो रोते हुए बोल रही थी कि वो हम लोगों की जिंदगी का सहारा था, अब हम किसके सहारे जिंदा रहेंगे। वहीं, हनी के पिता राम शंकर मिस्त्री हैं। वो दो भाई और एक बहन में दूसरे नम्बर का था। मां संतोष उसकी मौत की खबर सुनते ही बेहोश हो गई।