चैनल से बातचीत में उनका कहना था, “कोचिंग में मेरी रूचि है। लेकिन ये तो भविष्य ही बताएगा कि क्या होगा। अगर बीसीसीआई को लगता है कि मैं अच्छा कोच बन पाऊँगा तो मैं तैयार हूँ। मुझे लगता है कि मैं खिलाड़ियों की क्षमता, फॉर्म और उनके विकास में योगदान दे सकता हूँ। ये एक तरीका होगा कि मैं क्रिकेट को वापस कुछ दे सकूँ.”

लेकिन गांगुली ने साथ ही भी कहा है कि अगर अगले तीन साल तक भारतीय टीम अच्छा प्रदर्शन करती है तो ज़ाहिर है कि डंकन फ्लेचर का कॉन्ट्रेक्ट विश्व कप तक बढ़ा दिया जाएगा जो 2015 में है।

टीवी पर बातचीत में पूर्व कप्तान ने टीम के लिए विदेशी कोच के बजाए भारतीय कोच की भी हिमायत की है। उनका कहना था, "जब जॉन राइट आए थे तो स्थिति अलग थी। विदेशी कोच चाहिए था ताकि वो खिलाड़ियों को फ़िटनेस और ट्रेनिंग के आधुनिक तरीकों से रूबरू करवा सके। लेकिन अब भारतीय कोच भी ये सब जानते हैं."

गांगुली भारतीय टीम के कप्तान रह चुके हैं। वर्ष 2000 के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय क्रिकेट टीम की चढ़ते ग्राफ का श्रेय उनकी कप्तानी को भी दिया जाता है। लेकिन गांगुली कई विवादों के घेरे में भी रहे हैं और उनकी आलोचना भी हुई है।

वापसी

पूर्व भारतीय कोच ग्रेग चैपल के साथ अनबन होने के बाद उन्हें टीम से बाहर भी रहना पड़ा लेकिन उसके बाद उन्होंने फिर से भारतीय टीम में शानदार वापसी की।

टीवी चैनल से बातचीत में चयनकर्ता चुने जाने के लिए उनसे संपर्क करने पर गांगुली साफ-साफ कुछ भी कहने से बचते रहे। हालांकि ये जरूर कहा कि वे उम्मीद कर रहे हैं कि मोहिंदर अमरनाथ मुख्य चयनकर्ता बनें।

गांगुली ने 2008 में चार साल पहले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया था। लेकिन उसके बाद वे घरेलू क्रिकेट और आईपीएल में खेलते रहे हैं।

गांगुली ने 49 टेस्टों में भारत का नेतृत्व किया और 21 मैच जीते। गांगुली ने कुल 113 टेस्ट खेले हैं और 7212 रन बनाए। जबकि 311 वनडे मैचों में 11363 रन बनाए और 100 विकेट लिए। गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम 2003 के क्रिकेट के विश्व कप फ़ाइनल तक पहुँची थी।

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