कानपुर(ब्यूरो)। ग्राम विकास अधिकारी और ग्राम पंचायत अधिकारी की परीक्षा के दौरान कानपुर में पकड़े गए साल्वर को लेकर नया पर्दाफाश हुआ है। पुलिस से पूछताछ सामान्य श्रेणी के तीन आरोपियों ने स्वीकार किया है कि वे आरक्षित वर्ग के परीक्षार्थियों के स्थान पर परीक्षा देने आए थे, क्योंकि उनकी योग्यता ऐसी थी कि वह इन्हें पास करा सकते थे।

26 और 27 जून को हुआ था एग्जाम
उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा ग्राम पंचायत अधिकारी व ग्राम विकास अधिकारी पुर्नपरीक्षा 2018 कराई 26 जून और 27 जून 2023 को कराई गई थी। इस दौरान आयोग ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित फेस रिकग्निशन सॉफ्ट वेयर और आधार कार्ड के माध्यम से सत्यापन के जरिये पूरे प्रदेश में साल्वरों को पकड़ा। कानपुर में कुल 29 आरोपी पकड़े गए, जिनमें 14 आरोपी सॉल्वर बनकर दूसरे के स्थान पर परीक्षा दे रहे थे। इस लिस्ट में जहां अधिकांश सॉल्वर बिहार के हैं, वहीं मूल अभ्यर्थी बिहार और प्रयागराज से हैं।

पूछताछ में ये हुआ खुलासा
इन आरोपियों से पूछताछ में पुलिस को एक नई जानकारी मिली है कि गिरोह ने तमाम सामान्य जाति के साल्वर आरक्षित वर्ग के मूल अभ्यर्थियों के लिए परीक्षा दे रहे थे। चकेरी के रामादेवी स्थित सरस्वती विद्या निकेतन इंटर कालेज में प्रशांत ङ्क्षसह की जगह नवनीत पांडेय को पकड़ा गया। ग्राम दरौठा जिला महाराजगंज निवासी नवनीत ने बताया कि वह कई प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठ चुका है, लेकिन सफलता नहीं मिली। उसे हर बार उतने अंक मिल रहे थे, जिसमें कोई भी आरक्षित अभ्यर्थी पास हो जाता। सुमित कुमार और सोनू कुमार ठाकुर हैं और सामान्य वर्ग के होकर आरक्षित वर्ग यानी अनुसूचित जाती या ओबीसी कोटे के मूल अभ्यर्थियों के लिए परीक्षा दे रहे थे।

8-10 लाख में डील
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा में सॉल्वर को लेकर एसटीएफ ने जो जांच पड़ताल की है, उसके मुताबिक सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी को परीक्षा में पास कराने का ठेका आठ से दस लाख रुपया है। ओबीसी पांच से सात लाख रुपया और इससे नीचे का ढाई से साढ़े तीन लाख रुपया है। सामान्य वर्ग का साल्वर अगर आरक्षित वर्ग के लिए पेपर देता है तो वह सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी की अपेक्षा गिरोह से अधिक पैसा लेता है, क्योंकि इसमें परीक्षार्थी के पास होने की संभावना अधिक रहती है।