अजब-गजब ट्रेनिंग शिड्यूल

ओलम्पिक में मेडल जीतने के लिए शूटर अभिनव बिंद्रा और कर्नल राज्य वर्धन सिंह राठौर ने न जाने कितनी बुलेट्स खर्च कर दी होंगी। लेकिन अगर वो ओलम्पिक में हिस्सा लेने से पहले कानपुर पुलिस से मिल लेते तो शायद उन्हें ना तो शूटिंग रेंज में घंटो पसीना बहाना पड़ता और ना ही बुलेट्स के लिए हजारों रुपए खर्च करने पड़ते। वो इसलिए क्योंकि कानपुर की पुलिस महज दो गोलियां खर्च करके किसी भी शख्स को शॉर्प शूटर बनाने का हुनर रखती है। यकीन नहीं आ रहा होगा आपको, लेकिन एसएसपी का ताजा आदेश कुछ ऐसा ही है। हालांकि, पुलिस के इस अजब-गजब ट्रेनिंग शिड्यूल और फीस की जानकारी के बाद वेपन एप्लीकेंट्स हलकान हैं।

दो महीने का ट्रेनिंग कैम्प

एसएसपी यशस्वी यादव के एक आदेश ने वेपन लाइसेंस के एप्लीकेंट्स के सामने नई मुसीबत खड़ी कर दी थी। आदेशों के तहत वेपन लाइसेंस उन्हीं लोगों को मिलेगा, जिन्हें शस्त्र चलाना आता हो। इसके लिए एप्लीकेंट्स को शूटिंग सर्टिफिकेट जमा करना था। शहर में शूटिंग रेंज नहीं होने की वजह से वेपन की ट्रेनिंग पॉसिबल नहीं हो पा रही थी। इस कारण 4 हजार लोगों को शस्त्र लाइसेंस नहीं मिल पा रहा है। हालांकि, एप्लीकेंट्स ने तब राहत की सांस ली जब एसएसपी ने खुद पुलिस लाइन में दो महीने के ट्रेनिंग कैम्प को ग्रीन सिग्नल दे दी। एसएसपी के मुताबिक जल्द ही यह कैम्प शुरू किया जाएगा. 

50 गुना ज्यादा फीस

वेपन एप्लीकेंट्स को ट्रेनिंग देने की शुरुआत जल्द की जाएगी, लेकिन यहां भी एक पेंच है। वो है शूटिंग की ट्रेनिंग का तरीका और उसके एवज में एप्लीकेंट्स से चार्ज की जाने वाली फीस। रिवॉल्वर चलाने के लिए 5 हजार रुपए देने होंगे। इसमें दो राउंड फायर करवाये जाएंगे, जिनकी कीमत महज 80-90 रुपए होगी। पुलिस पर्सनल्स एप्लीकेंट्स को रिवॉल्वर या पिस्टल खोलने और बुलेट भरने की जानकारी देंगे। वहीं 3 हजार में रायफल को खोलना और कारतूस लोड करना सिखाया जाएगा। ऐसे एप्लीकेंट्स से दो राउंड ब्लैंक फायरिंग करवाई जाएगी। मतलब, इस केस में एप्लीकेंट्स से ट्रिगर दबवाया जाएगा। रायफल में गोलियां नहीं होंगी।

दिया जाएगा सर्टीफिकेट

पुलिस लाइन की शूटिंग रेंज में ट्रेनिंग सेशन एक दिन का होगा। इसमें तीन घंटे या उससे अधिक समय तक एप्लीकेंट्स को वेपन की जानकारी और चलाना सिखाया जाएगा। ट्रेनिंग कैम्प खत्म होने के बाद ही एप्लीकेंट्स को शूटिंग सर्टीफिकेट दिया जाएगा। हालांकि, बड़ा सवाल यह है कि ट्रेनिंग के दौरान जब खुद पुलिस वाले दर्जनों कारतूस खर्च करके शूटिंग करना सीखते हैं। फिर भला वही पुलिस आम जनता को तीन घंटे में दो कारतूस चलवाकर कैसे ट्रेनिंग देने का दावा कर रही है?

क्या है ट्रेनिंग का फंडा

कोई अनट्रेंड व्यक्ति कितने दिन और कितनी रकम खर्चा करके वाकई ट्रेंड शूटर बन सकता है? इस बारे में आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने नेशनल लेवल शूटर तेजेन्द्र शर्मा से बात की। तेजेन्द्र के मुताबिक दिल्ली के कर्णी सिंह स्टेडियम में भी अगर शूटिंग सीखी जाए तो 500 रुपए मेम्बरशिप के देने होते हैं। यह व्यवस्था 10 मीटर एयर रायफल और एयर पिस्टल के लिए है जो ओपन फॉर ऑल है। वहां आप प्राइवेट कोच भी हायर कर सकते हैं, जोकि नॉमिनल फीस लेते हैं। लोकल कारतूस की डिब्बी 200 रुपए और ओलम्पिक में यूज होने वाले कारतूस की डिब्बी 5500-10000 रुपए में आती है। एक डिब्बी में 500 कारतूस होते हैं। 10-15 दिनों तक शूटिंग के बाद रेंज से सर्टीफिकेट इश्यू कर दिया जाता है। आगरा, मेरठ, बागपत, लखनऊ आदि शहरों में शूटिंग सिखाने के करीब 2,000-2500 रुपए चार्ज किये जाते हैं।

एक झटके में 1.6 करोड़ की कमाई

कलक्ट्रेट में 4 हजार से ज्यादा एप्लीकेशंस धूल फांक रही हैं। तीन हजार से पांच हजार की फीस जमा करने के बाद ही एप्लीकेंट्स को शस्त्र

लाइसेंस इश्यू हो सकेगा। अगर एवरेज 4 हजार फीस के हिसाब से काउंट की जाए तो इतने एप्लीकेंट्स के लिए 1.6 करोड़ रुपए पुलिस के खाते में जाएंगे। जबकि दो गोली कारतूस के 80 रुपए के हिसाब से खर्चा महज 3,20,000 रुपए ही होंगे। वो भी तब जब सभी एप्लीकेंट्स को रिवॉल्वर-पिस्टल की ट्रेनिंग दी जाए।

शूटिंग रेंज की रकम भी पानी में

शस्त्र लाइसेंस के मामले में पब्लिक की जेब से पैसा निकालने का यह कोई पहला मामला नहीं है। डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन की बात करें तो रायफल क्लब के नाम पर हर एक एप्लीकेंट से 200 रुपए लिये जाते हैं। अब तक क्लब के एकाउंट में 2 करोड़ से ज्यादा की रकम जमा हो चुकी है। लेकिन शूटिंग रेंज अब तक बनकर तैयार नहीं हो पाया है। यह हालत तब हैं जब डीएम समीर वर्मा खुद भी नेशनल लेवल शूटर हैं। और कानपुर का चार्ज संभालने के बाद उन्होंने जल्द से जल्द शूटिंग रेंज बनवाने का वायदा किया था।

"इस संबंध में एसएसपी की ओर से मुझे कोई जानकारी प्राप्त नहीं हुई है। हालांकि, आपने बताया है तो यह एक वेलकम साइन है। लेकिन ट्रेनिंग के लिए जो फीस है वो कुछ ज्यादा प्रतीत हो रही है। एसएसपी से बात करके फीस कम करवाने की कोशिश की जाएगी, जिससे आम जनता पर ज्यादा बर्डन न पड़े। दूसरा, ट्रेनिंग उन्हीं को दी जाए जो शस्त्र लाइसेंस के लिए एलिजिबल हों। "

- समीर वर्मा, डीएम

" जो व्यक्ति एक-डेढ़ लाख रुपए का वेपन खरीद सकता है। उसको 5 हजार रुपए खर्च करने में क्या दिक्कत है? यह रुपए उनको ट्रेनिंग देने के एवज में चार्ज किये जाएंगे। इसमें पुलिस का ट्रेनर एप्लीकेंट्स को गोली चलाने की ट्रेनिंग देगा। "

- यशस्वी यादव, एसएसपी