- साल दर साल गिरता जा रहा है ग्राउंड वाटर लेवल, कई मोहल्लों में एक मीटर से अधिक गिरा

-हैंडपम्प ही नहीं घरों में लगे जेटपम्प और सबमर्सिबल तक सूख रहे

-व‌र्ल्ड वाटर डे पर विशेष

KANPUR: अभी तो कानपुराइट्स केवल वाटर क्राइसिस से ही जूझ रहे हैं। अगर पानी के मोल को लोग अभी भी नहीं समझे तो आने वाले दिनों में बूंद-बूंद पानी के लिए तरसने की नौबत आ जाएगी। ग्राउंड वाटर के अधाधुंध यूज और रेन वाटर हार्वेस्टिंग के कारण ग्राउंड वाटर भी दिन पर दिन गिरता जा रहा है। ग्राउंड वाटर डिपार्टमेंट की मानें तो एवरेज 65 सेंटीमीटर के हिसाब से ग्राउंड वाटर लेवल गिर रहा है। शहर के कई मोहल्लों में तो 1 मीटर से भी अधिक ग्राउंड वाटर लेवल गिर चुका है। जिसकी वजह से घरों में लगे हैंडपम्प ही नहीं जेटपम्प और सबमर्सिबल पम्प तक सूखते जा रहे हैं।

ग्राउंड वाटर का यूज करने को मजबूर

सिटी में जलकल का नेटवर्क केवल 30 लाख की आबादी तक ही है। 520 एमएलडी डिमांड होने के बावजूद जलकल के पास ड्रिकिंग वाटर की उपलब्धता केवल 410 एमएलडी ही है। इसमें जलकल की अंग्रेंजों के जमाने की जर्जर पाइप लाइनों के हर रोज तकरीबन 60 मिलियन लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। यही वजह है कि वाटर सप्लाई नेटवर्क होने के बावजूद बेगमपुरवा, अजीतगंज कालोनी, जूही, गोविन्द नगर, बर्रा विश्व बैंक, कोपरगंज, चमनगंज, इफ्तिखाराबाद, जनरलगंज, मनीरामबगिया, कुलीबाजार आवास विकास हंसपुरम, शिवकटरा, जाजमऊ आदि मोहल्लों में रहने वालों को ड्रिकिंग वाटर क्राइसिस से जूझना पड़ रहा है। यहां पानी के लिए मारामारी तक होती है। इस समस्या के हल के लिए लोग जेटपम्प व सबमर्सिबल पम्प लगाकर ग्राउंड वाटर का यूज करने को मजबूर है। वहीं साउथ सिटी के गोपाल नगर, रामपुरम, गदियाना, मंगला विहार, खाण्डेपुर, बाबा नगर , ताज नगर, द्विवेदी नगर आदि दर्जनों मोहल्लों में जलकल का वाटर सप्लाई नेटवर्क नहीं है। जिसके चलते लोग पूरी तरह ग्राउंड वाटर पर ही ि1नर्भर हैं।

सूख रहे सबमर्सिबल

पानी के लिए मारामारी के बावजूद भी लोग ड्रिंकिंग वाटर नहीं सहेज रहे है। पहले जहां 30 सेंटीमीटर पर ईयर के हिसाब से ग्राउंड वाटर लेवल गिर रहा था। वहीं दो साल पहले ये 45 सेंटीमीटर पर पहुंच गया है। अब एवरेज 65 सेंटीमीटर तक पहुंच गया। मानसून रेनफॉल के बावजूद भी अधिकतर मोहल्लों में वाटर लेवल बढ़ने की बजाए घट गया। इसकी बड़ी वजह वर्षा जल को न सहेजना और पानी की बर्बादी है। शायद यही वजह है कि ड्रिंकिंग वाटर क्राइसिस की समस्या के हल के लिए लगाए गए डीप बोरिंग वाले 11900 गवर्नमेंट हैंडपम्प में से आधे से अधिक शोपीस बन चुके है। जानकारों की मानें तो तेजी से गिरते ग्राउंड वाटर लेवल के कारण 6000 से अधिक गवर्नमेंट हैंडपम्प दम तोड़ चुके है। रिबोर कराने की स्थिति में है। इसी तरह 11 के लगभग नलकूपों से जलकल वाटर सप्लाई के लिए पानी नहीं ले पा रहा है या फिर बहुत कम पानी मिल रहा है। घरों में लगे जेटपम्प और सबमर्सिबल तक ग्राउंड वाटर लेवल गिरने से दम तोड़ रहे हैं। लोग सबमर्सिबल पम्प तक रिबोर कराने पड़ रहे हैं।

-जेएनएनयूआरएम के तहत सरफेस वाटर सप्लाई की व्यवस्था की गई है। गंगा रीवर व लोअर गंगा कैनाल के जरिए घरों तक ड्रिंकिंग वाटर पहुंचाया जाएगा। टेस्टिंग की जा रही है। वाटर सप्लाई चालू होने पर लोगों को ग्राउंड वाटर के यूज की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।

- अनिल कुमार जिन्दल, सुपरिटेंडेंट इंजीनियर जलनिगम

इस तरह गिर रहा है ग्राउंड वाटर लेवल

मोहल्ले-मानसून से पहले- मानसून के बाद

नवाबगंज- 18.45- 18.40

सूटरगंज- 13.85- 13.80

चकेरी- 30.55 मी.-31.80 मी।

कल्याणपुर- 11.75 मी.- 11.84 मी।

बाबूपुरवा- 28.75- 29.60 मी।

सीएसए- 23.63 मी.- 24.40 मी।

पनकी- 5.06 मी.- 6.95 मी।

निराला नगर- 27.95 मी.- 28.70 मी।

आईआईटी- 10.45 मी.-11.25 मी।

सिविल लाइन्स- 14.70 मी.-15.18मी।

रतनलाल नगर- 27.78 मी.- 27.85 मी।

(माप ग्राउंड लेवल से है)