कानपुर (ब्यूरो)। प्रचंड गर्मी ने इंसान से लेकर पशु-पक्षी तक बेहाल कर दिया है। सब छाया और पानी की तलाश में व्याकुल हैं। जू में भी धूप व लू के थपेड़ों से बचने के लिए जानवर अपने अपने बाड़ों में दुबके रहे। सुबह-शाम ही बाहर निकल रहे हैं। वन्यजीवों के बाड़ों को ठंडा रखने के साथ ही उनके स्वास्थ्य पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है।

निकलती है पानी की फुहार
जू में 1500 से अधिक वन्यजीव हैं। भीषण गर्मी उनके लिए मुसीबत बनी हुई है। जानवरों के लिए 30 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान बेहतर माना जाता है। जबकि वर्तमान समय में पारा लगभग 45 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है। ऐसे में सूरज की तपिश से त्वचा झुलसने जैसा अनुभव हो रहा है। वन्यजीवों को लू व धूप से बचाने की व्यवस्थाएं की गई हैं। बाघों के बाड़ों में फागर लगाया गया है। इससे पानी की फुहार निकलती रहती है। यह वातावरण को ठंडा रखती है।

बाड़ों में कूलर, एग्जास्ट फैन
जानवरों के बाड़ों में कूलर व एक्जास्ट फैन भी लगाए गए हैं। जू परिसर को ठंडा रखने के लिए जगह-जगह रेन गन लगाई गई हैं। इससे पानी की बौछार होती रहती है। पक्षियों को धूप व गर्मी से बचाने के लिए उनके बाड़ों में खस की चटाइयां लगाई गई हैं। जू के रीजनल फॉरेस्ट ऑफिसर नवेद इकराम बताते हैं कि बाघों के बाड़ों में फागर का यूज पहली बार किया जा रहा है। नौ बाड़ों में फागर लगाए गए हैं। मांसाहारी जानवरों की डाइट में मीट की मात्रा को घटाया गया है। वन्य जीवों के शरीर में पानी की कमी न हो इसके लिए रसदार फलों के साथ इलेक्ट्रोलाइट भी दिया जा रहा है।