ये वही बीमारी है जिसे भारत में आमतौर पर पीलिया के नाम से जाना जाता है। वैश्विक स्तर पर हैपेटाइटिस को लेकर किए गए पहले आकलन में कहा गया है कि दुनिया में लगभग एक करोड़ लोग हैपेटाइटिस-सी से और क़रीब 13 लाख लोग हैपेटाइटिस-बी से पीड़ित हैं।

लैंसेट में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हैपेटाइटिस से पीड़ित लोगों में से कुछ ही लोगों को एंटी-वाइरस दवाएँ मिल रही हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि दुनिया भर में सिर्फ़ पाँच में से एक नवजात शिशु को हैपेटाइटिस बी का टीका मिल पा रहा है।

लैंसेट में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार इंजेक्शन के ज़रिए नशीली दवाएँ लेने वाले लोगों में से से 67 प्रतिशत को हैपेटाइटिस सी होने का ख़तरा होता है जबकि दस प्रतिशत लोग हैपेटाइटिस बी के ख़तरे का सामना करते हैं।

पिछले ही हफ़्ते हैपेटाइटिस को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने भी एक चेतावनी जारी की थी और कहा था कि अगले दस वर्षों में दक्षिण और दक्षिण-पूर्वी एशिया में हेपेटाइटिस विषाणु से पचास लाख से ज़्यादा लोग मारे जाएंगे और उनमें से काफ़ी लोग कम उम्र के होंगे।

विश्व स्वास्थ संगठन का कहना है कि पिछले दशक में दक्षिण एशिया में हेपेटाइटिस से मारे जानेवाले लोगों की संख्या मलेरिया, डेंगू बुख़ार और एचआईवी-एड्स को मिलाकर मारे जानेवाले लोगों की कुल तादाद से अधिक थी।

शोध

हैपेटाइटिस को लेकर शोध सेंटर फ़ॉर पापुलेशन हेल्थ, बर्नेट इंस्टिट्यूट, मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया की प्रोफ़ेसर लुइसा डेगेनहार्ड और न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के नेशनल ड्रग एंड एल्कोहल रिसर्च सेंटर के पॉल नेल्सन ने मिलकर किया है।

उनका कहना है, "इंजेक्शन के ज़रिए नशीली दवा लेने वाले लोगों में रक्त संबंधी बीमारियों की बात करते हुए अब तक ध्यान सिर्फ़ एचआईवी पर केंद्रित रहा है."

उनका कहना है, "इंजेक्शन के ज़रिए नशीली दवा लेने वाले लोगों में एचआईवी को लेकर ध्यान देना ज़रुरी है लेकिन वायरल हैपेटाइटिस पर भी अभी की तुलना में ज़्यादा ध्यान देने की ज़रुरत है."

इस शोध पर टिप्पणी करते हुए न्यूयॉर्क में ह्यूमन राइट्स वॉच के डॉ जोसेफ़ एमन ने कहा, "इस अध्ययन से एक अच्छा आंकड़ा मिला है जिससे हमारा ध्यान वायरल हैपेटाइटिस की ओर जा सके.लेकिन ये पहला क़दम है."

उनका कहना है, "लेकिन अगला क़दम है सरकारों को इस पर कार्रवाई करने के लिए बाध्य करना और ऐसे क़दम उठाना जिसमें लोगों की अधिकारों की रक्षा करते हुए जवाबदेही के साथ कार्यक्रम लागू करें."

ख़तरे

हैपेटाइटिस मुख्य रुप से पाँच विभिन्न वायरसों की वजह से होता है, ए, बी, सी, डी और ई। इनमें से हैपेटाइटिस बी सबसे सामान्य वायरस है और ये माँ से बच्चों में जा सकता है और इसके अलावा ये संक्रमित इंजेक्शन के ज़रिए और नशीली दवा लेने वालों को संक्रमित कर सकता है।

इसके अलावा ये कभी-कभी असुरक्षित यौन संबंधों से, रेज़र ब्लेड के प्रयोग से और टूथब्रश के प्रयोग से फैल सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार हैपेटाइटिस ई प्रदूषित पानी और खाने से होता है और विकासशील देशों में से सामान्य समस्या है। हैपेटाइटिस से पीड़ित लोगों को अक्सर पता नहीं होता कि वे संक्रमित हैं और अनजाने में ही वे इसे फैलाते रहते हैं।

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