कानपुर (ब्यूरो)। सर्दी की शुरुआत में ही ब्रेन स्ट्रोक के केस बढऩे लगे हैं। गवर्नमेंट हॉस्पिटल में बीते एक सप्ताह में डेली २० से २५ पेशेंट ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण और हाई बीपी, डायबिटीज के साथ ट्रीटमेंट के लिए पहुंच रहे हैं। इसमें गंभीर स्थिति वाले १० से १२ पेशेंट को इमरजेंसी में भर्ती करना पड़ रहा है। ऐसे लक्षणों के साथ हैलट, उर्सला और कांशीराम हॉस्पिटल बढ़ी संख्या में पेशेंट पहुंचते हैं। जिनके ट्रीटमेंट के लिए दिसंबर की शुरुआत से ही डाक्टरों की अतिरिक्त टीम को तैनात किया जाता है।

रक्त की धमनियां सिकुड़ जाती
जीएसवीएम मेडिकल कालेज के न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट के एचओडी डा। मनीष ङ्क्षसह के मुताबिक, मौसम में बदलाव के साथ ही बुजुर्ग के साथ ४० प्रतिशत युवाओं में रक्त की धमनियों में सिकुडऩ की समस्या आने लगती है। जिसे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और शरीर की मांसपेशियां कार्य करना बंद कर देती हैं। यह ब्रेन स्ट्रोक यानी लकवा की स्थिति होती है। उन्होंने बताया कि सर्दी में पानी का कम प्रयोग करने से शरीर डिहाइड्रेट हो जाता है। इससे खून गाढ़ा होता और इसका सबसे ज्यादा खतरा हाई बीपी और डायबिटीज के पेशेंट में बढ़ जाता है।

दो तरह का होता ब्रेन स्ट्रोक
जीएसवीएम मेडिकल कालेज के मेडिसिन के सीनियर प्रो। जेएस कुशवाहा ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक दो प्रकार के होते हैं। खून की धमनियों में क्लाङ्क्षटग होने से मस्तिष्क में खून का प्रवाह बाधित होता है। जो इस्कीमिक स्ट्रोक का कारण बनता है। वहीं, मस्तिष्क के भीतर खून की धमनियों के फटने से हैमरेजिक स्ट्रोक या ब्रेन हैमरेज होता है।

स्ट्रोक पडऩे पर क्या करें
ब्रेन स्ट्रोक पडऩे के साढ़े चार घंटे के अंदर पीडि़त को हॉस्पिटल लेकर जाएं। जहां पर एक्सपर्ट की देखरेख में मस्तिष्क में जमा खून के थक्के को दवा और इंजेक्शन के माध्यम से सही कर सकते हैं। इसकी जांच के लिए ब्लड टेस्ट और सीटी स्कैन तथा एमआरआई और एंजियोग्राफी, टू डी इको भी एक्सपर्ट की सलाह पर कराया जाता है।