कानपुर (ब्यूरो) रंगदारी के मामले में बुधवार को पुलिस ने एसीएमएम तृतीय की कोर्ट से विधायक व उनके भाई रिजवान की रिमांड (न्यायिक हिरासत) ली थी। चूंकि जिला जज के न्यायालय में इस मामले में पूर्व में अग्रिम जमानत की अर्जी दी गई थी जो रिमांड लिए जाने के बाद औचित्य में नहीं रह गई। ऐसे में जमानत प्रार्थना पत्र पर कोई बल नहीं दिया गया। जमीन पर कब्जे के प्रकरण में भी विधायक और उनके भाई की ओर से दिए गए अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र पर पुलिस ने रिपोर्ट नहीं भेजी।

गलत हो गया था क्राइम नंबर
पुलिस ने इस मामले में विधायक का रिमांड नहीं लिया है। लिहाजा इस मामले में तारीख दे दी गई। सहायक शासकीय अधिवक्ता रवींद्र अवस्थी ने बताया कि शौकत अली की जमानत अर्जी मामले में बचाव पक्ष की ओर से दिए गए प्रार्थना पत्र का क्राइम नंबर गलत हो गया था जबकि शपथपत्र पर हस्ताक्षर भी नहीं थे। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में इन बातों का जिक्र करते हुए रिपोर्ट देने में अक्षमता जाहिर कर दी।