पर सोचिए अगर किसी आम पुरुष की सेक्स लाइफ की तुलना बॉन्ड की सेक्स लाइफ से की जाए तो क्या नतीजा निलकेगा? क्या बॉन्ड की सेक्स लाइफ स्वास्थ्य के नज़रिए से सही है ?

2011 में छपे ‘हेल्थ सर्वे फॉर इंग्लैंड’ के मुताबिक एक पुरुष को सेक्स के लिए औसतन 9.3 महिलाओं का साथ मिलता है। जबकि मिस्टर बॉन्ड के लिए ये संख्या कहीं ज़्यादा होगी।

वैसे बॉन्ड फिल्मों में आमतौर पर सेक्स सीन कभी भी बहुत खुले तरीके से नहीं दिखाए जाते। ज़्यादा से ज़्यादा आप देखते हैं कि बॉन्ड सुबह-सुबह किसी सुंदर लड़की के बगल में सोए हुए हैं।

सेक्स रोल्स पत्रिका के लिए 2009 में हुए अध्ययन के मुताबिक 2002 की फिल्म डाई एनेथर डे तक की बात करें तो बॉन्ड 46 महिलाओं के साथ यौन संपर्क में आए जबकि 32 लड़कियों के साथ चुंबन जैसे ‘कमतर’ अनुभव हुए।

अगर इसमें कसीनो रोयाल और क्वांटम ऑफ सोलेस जैसी फिल्मों को जोड़ लिया जाए तो बान्ड के इस अंकगणित में और इज़ाफा हो जाएगा। उनकी आने वाली फिल्म स्काईफाल में बॉन्ड के ऐसे ही और कारनामें देखने को मिलेंगे इसे लेकर लोग अभी से आशावान हैं।

बॉन्ड और कंडोम?

समय के साथ बॉन्ड के किरदार में बदलाव नहीं आया है। 1980 में एड्स जैसी बीमारियाँ सामने आने के बाद बॉन्ड फिल्मों में कहीं नहीं दिखाया गया कि मिस्टर बॉन्ड सुरक्षित सेक्स के तरीके अपना रहे हैं। वैसे ये बात तो पूरे हॉलीवुड के बारे में कही जा सकती है।

हॉलीवुड की किसी मेनस्ट्रीम फिल्म में आप हीरो को कॉन्डम इस्तेमाल करते हुए नहीं देखेंगे। बॉन्ड भले ही फिल्मों में ऐसा कर सकता हो लेकिन आम ज़िंदगी में पुरुष सेक्स करते समय असुरक्षित सेक्स का खतरा मोल नहीं ले सकते।

ब्रिटेन की डॉक्टर सारा जार्विस तंज करते हुए कहती हैं कि बॉन्ड अगर उनके क्लिनिक में आते हैं तो वे उन्हें ज़रूर से कहेंगी कि बॉन्ड एसटीआई यानी यौन संबंधों के कारण फैलने वाले संक्रमण की जाँच कराएँ।

हसीनाएँ होती हैं बॉन्ड पर फिदाJames bond sex life

जेम्स बॉन्ड के फिल्मी डायलॉग पर गौर करें तो उसकी एक मिसाल ये है- “आपने न के करीब जो लिबास पहना है मुझे वो पसंद है.” अगर कोई आम पुरुष किसी लड़की को रिझाने के लिए ऐसे डायलॉग बोले तो उसे लात घूँसा मिलने की चिंता करनी पड़ेगी। लेकिन जेम्स बॉन्ड को नहीं।

एजेंट 007 एक ऐसी दुनिया का हिस्सा है जहाँ रोमांस के आम नुस्खों की कोई जगह नहीं है। जेम्स बॉन्ड दुनिया के किसी भी कोने में चले जाएँ, दुनिया के इस सबसे मशहूर सीक्रेट एजेंट के एक इशारे पर कितनी ही ग्लैमरस हसिनाएँ खींची चली आती हैं। लेकिन सबकी किस्मत ऐसी कहाँ।

सेक्सिस्ट हैं बॉन्ड?

बॉन्ड की दुनिया दरअसल एक तिलिस्मी दुनिया है जहाँ कई हसीनाएँ हीरो के प्रति आर्कषित होती हैं। लेकिन बॉन्ड सीरिज़ की हिमायत करने वाले कहते हैं कि ये आधुनिक फैन्टसी है- “जैसे आप बॉन्ड के अविश्वनिय स्टंट, गैजट और सुपर विलेन पर यकीन कर लेते हैं वैसे ही बॉन्ड की सेक्स लाइफ को भी यकीन के दायरे से परे हटाकर मानना होगा.”

1950 के दशक के नारीवादी माहौल से लेकर अब तक बॉन्ड की सेक्स लाइफ़ का मिथक और बॉन्ड की लोकप्रियता बरकरार है। जेम्स बॉन्ड पर किताब लिखने पर क्रिस्टॉफ लिंडनर कहते हैं, “जब इयन फ्लेमिंग ने बॉन्ड का किरदार गढ़ा था, तब से लेकर अब तक मूल रूप से वो वैसा ही है। वे सेक्सिस्ट है, औरत को सेक्स की चीज़ समझता है। ये गलत है फिर भी आप इसे पसंद करते हैं.”

बॉन्ड फिल्मों के निर्माता खुद भी शायद इस बात को मानते है। 1995 में आई गोल्डनआई फिल्म में एम का किरदार ( जो ज्यूडी डेंच ने किया थ) बॉन्ड को सेक्सिस्ट डायनासॉर कहता है। फिल्मी पर्दे पर भले ही इस तरह के कारनामे ग्लैमरस दिखते हों लेकिन असल ज़िंदगी का खेल कुछ और ही है।

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