कानपुर (ब्यूरो)। जेएनयूआरएम के अन्र्तगत गहरी वाटर लाइन बिछाने में किए गए करप्शन की सजा अब तक गुनाहगारों को नहीं मिली है, लेकिन कानपुराइट्स को बिना गुनाह के इसकी &सजा&य फिर से भुगतनी होगी। क्योंकि 15 साल पहले बिछाई गई पाइपलाइन भ्रष्टाचार के कारण किसी काम की नहीं रही और जल निगम 112 करोड़ रुपए से नई फीडर मेन लाइन बिछाने की तैयारी कर रहा है। जिसके लिए शहर की मेन रोड््स पर खंजर चलेगा और ट्रैफिक डायवर्जन, धूल-गर्द जैसे जख्म फिर से लोगों को सहने पड़ेंगे। ये जख्म एक-दो महीने बल्कि लंबे समय तक दर्द देंगे। क्योंकि जलनिगम ऑफिसर्स की ही मानें तो लाइन डालने में कम से कम एक साल का वक्त लगेगा।

एक वर्ष से ज्यादा समय लगेगा
दरअसल जवाहरलाल नेहरू अरबन रिन्यूवल मिशन के अन्र्तगत कम्पनी बाग चौराहा से फूलबाग और बारादेवी तक बिछाई गई वाटर लाइन घटिया होने के कारण अक्सर लीकेज हो जाती है। इसकी वजह से रोड्स से फौव्वारे छूटते हैं। अब तक वाटर लाइन में 900 के करीब लीकेज हो गए हैं। इस वाटर लाइन के पैरलल 112 करोड़ रुपए फीडरमेन पाइप बिछाने के लिए जलनिगम टेंडर कर चुका है। टेंडर में कम्प्लीशन टारगेट एक वर्ष का दिया गया है।

161 करोड़ ज्यादा हुए थे खर्च
जेएनएनयूआरएम में के दोनों फेज में वाटर लाइन बिछाने में जमकर लेटलतीफी हुई थी। इसकी वजह फेज वन के इनरओल्ड एरिया प्रोजेक्ट की कास्ट 270.95 करोड़ से बढक़र 393.93 करोड़ रुपए हो गई थी। इसीतरह फेज टू में रिमेंनिंग पार्ट ऑफ सिटी प्रोजेक्ट की कास्ट 377.79 करोड़ रुपए से बढक़र 475 करोड़ रुपए हो गए थी। कुल मिलाकर प्रोजेक्ट में कई वर्षो की लेटलतीफी के कारण 161 करोड़ रुपए बढ़ गई थी।

छाएगा धूल का गुबार
इसबार एक हजार से लेकर 1600 एमएम डायमीटर साइज की वाटरलाइन एक ओर कम्पनी बाग चौराहा से चुन्नीगंज, परेड, बड़ा होते हुए फूलबाग तक बिछाई जाएगी। इसी तरह दूसरी साइड कम्पनी बाग चौराहा से रावतपुर, काकादेव, विजय नगर, सीटीआई बारादेवी तक की मेन रोड्स खोदी जाएंगी। रोड कटिंग में निकलने वाली मिïट्टी सडक़ पर फैलेगी और फिर पहले की तरह धूल का गुबार छाएगा। जिससे लोग बीमारियों का शिकार होंगे और अस्थमा के पुराने पेशेंट्स की परेशानी बढना तय है।

लाखों लोग होंगे प्रभावित
ये सभी बिजी ट्रैफिक वाली मेन रोड्स हैं। इनसे हर रोज लाखों की संख्या कार, बाइक, स्कूटी सहित अन्य गाडिय़ां गुजरती है। जाहिर है कि 15 पहले की तरह गहरी वाटर लाइन बिछाने के लिए ये रोड ब्लाक की जाएंगी और ट्रैफिक डायवर्जन किया जाएगा। इनका ट्रैफिक लोड लिंक रोड्स पर डाला। जिससे पहले की तरह फिर लोगों को एक जगह से दूसरे स्थान पर जाने के लिए कई किलोमीटर के चक्कर लगाने पड़ेंगे। जाम व ट्रैफिक फंसाव से अलग से जूझना पड़ेगा। जिससे गंतव्य तक पहुंचने में समय भी अधिक लगेगा।

बिजनेस भी होगा प्रभावित
वाटरलाइन बिछाने के लिए महीनों तक रोडकटिंग के कारण बिजनेस भी प्रभावित होगा। धूल-गर्द व अन्य मुश्किलों के कारण इन रोड्स पर स्थित शॉप्स, शोरूम, मार्केट में कस्टमर्स का पहुंचना मुश्किल होगा जिससे शॉपकीपर्स और शोरूम ओनर्स को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ेगा।