कानपुर (ब्यूरो)। जलनिगम का ट्रैक रिकार्ड पहले से ही खराब है। वर्ष 2005 में 200 एमएलडी के डा.राम मनोहर लोहिया वाटरवक्र्स से पानी की सप्लाई शुरू हुई, लेकिन लगभग 20 वर्ष बीतने को हैं। आज भी वाटरवक्र्स अपनी पूरी कैपेसिटी से नहीं चल पा रहा है। केवल एक चौथाई कैपेसिटी से वाटर सप्लाई हो रही है। इसकी वजह से लोग पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा है। अब जलनिगम इन एरियाज के घरों में पानी पहुंचाने के लिए इसी वाटर वक्र्स से जोडऩे की प्लानिंग कर रहा है। जबकि अरबों रुपए के जेएनएनयूआरएम प्रोजेक्ट के समय डा.राममनोहर लोहिया वाटर वक्र्स की याद भी नहीं आई। उन्होंने गंगा बैराज के पास ही 2 वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और बना दिए।

200 एमएलडी डिमांड के दावे
जवाहरलाल नेहरू अरबन रिन्यूवल मिशन स्कीम के काम वर्ष 2007 में शुरू हुए थे। लेकिन इससे करीब 6-7 वर्ष पहले ही जलनिगम ने वाटर सप्लाई प्रोजेक्ट की प्लानिंग शुरू कर दी थी। इसके लिए उसने जलसंस्थान (अब जलकल डिपार्टमेंट)के नेटवर्क से बाहर का एरिया चुना। वजह बताई जलकल का वाटर सप्लाई नेटवर्क और ड्रिकिंग वाटर की उपलब्धता न होने बताई थी, तब जलसंस्थान बेनाझावर स्थित 200 एमएलडी के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के जरिए 37 जेएडपीएस के जरिए और नलकूपों के जरिेए वाटर सप्लाई कर रहा था। जलनिगम ने 200 एमएलडी ड्रिकिंग वाटर की डिमांड दिखाते हुए 90.44 करोड़ रुपए का वाटर सप्लाई प्रोजेक्ट तैयार किया। जिसमें बैराज के पास 200 मिलियन लीटर पर डे कैपेसिटी का वाटर ट्रीटमेंटमेंट प्लांट, इंटेक प्वाइंट आदि कार्य शामिल थे। शासन से मंजूरी मिलने पर वर्ष 2002-03 में काम शुरू किया।

सीएम ने किया था लोकार्पण
इस प्रोजेक्ट के मकड़ीखेड़ा, विकास नगर से लेकर पनकी तक 11 जोनल पम्पिंग स्टेशन भी बनाए गए। इन पम्पिंग स्टेशन से जेएडपीएस तक फीडरमेन के अलावा घरों तक पानी पहुंचाने के लिए डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क भी बिछाया गया था। जिससे लोगों को पीने के लिए ट्रीटेड गंगाजल मिल सके। वर्ष 2005 में प्रोजेक्ट कम्प्लीट होने पर तत्कालीन चीफ मिनिस्टर मुलायम सिंह यादव ने लोकार्पण किया था। वर्ष 2008 में इसे जलसंस्थान को हैंडओवर कर दिया गया।

फ्लॉप हुई प्लानिंग
200 एमएलडी का वाटर वक्र्स चालू होने सत्यम विहार, शारदा नगर, मसवानपुर, पनकी रतनपुर, गंगागंज, सरायमीता के लोगों को उम्मीद थी कि उन्हें खूब पानी मिलेगा। जलनिगम ने भी 200 एमएलडी ड्रिकिंग वाटर की डिमांड के दावे किए थे। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। पाइपलाइनों, कनेक्शंस आदि गड़बडिय़ों की वजह से लोगों को पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है। जलकल के जेई वीके रावत ने बताया पाइपलाइन खराब होने की वजह से पनकी गंगागंज जेएडपीएस बन्द पड़ा हुआ। 200 एलएलडी वाटर वक्र्स में से केवल 50 एमएलडी वाटर सप्लाई हो पा रहा है.हालांकि जलनिगम के तत्कालीन इंजीनियर कनेक्शन न होने के दावे करते रहे हैं।

नए डाले नए ट्रीटमेंट प्लांट
जलनिगम के इंजीनियर्स को जेएनएनएयूआरएम प्रोजेक्ट बनाते समय एक चौथाई कैपेसिटी से चल रहे डा। राम मनोहर लोहिया वाटर वक्र्स की याद नहीं आई। न तो उन्होंने एक चौथाई कैपेसिटी से चल रहे वाटर वक्र्स से सप्लाई में आ रही दिक्कतों को दूर करने की प्लानिंग की और न ही काम किया। न ही जेएनएनयूआरएम प्रोजेक्ट में किसी नए एरिया को जोडऩे में शामिल किया। ये जरूर है कि जेएनएनयूआरएम प्रोजेक्ट में 2 वाटर वक्र्स और बना दिए। अब कैपेसिटी के मुताबिक नहीं चल रहे डा.राममनोहर लोहिया वाटर वक्र्स से छूटे हुए मोहल्लों को जोडऩे के लिए जलनिगम सर्वे करा रहा है। यानि फिर करोड़ों रुपए खर्च करने की प्लानिंग हो रही है।