अप्रैल में नई 1लास में एंट्री। नई बु1स, नई चैप्टर्स और फिर 2ाूब पढ़ाई। फिर आ गए हाफईयरली एग्जाम। रिजल्ट आने के बाद थोड़ी टेंशन आई लेकिन फिर जमकर पढ़ाई की। फाइनल एग्जाम में 2ाूब मेहनत की। रिजल्ट आया तो चेहरे चमक उठे। मंडे को दि काउंसिल फॉर इंडियन स्कूल सर्टीफिकेट एग्जामिनेशंस के रिजल्ट के बाद अपने-अपने स्ट्रीम में टॉप करने वाले स्टूडेंट्स ने आई ने1स्ट से ए1स1लूसिव बातचीत के दौरान बताया कि अब तो मुस्कुराकर चलना ही होगा उन कांटों परत5ाी तो हम पा सकेंगे अपनी मंजिल। अब सवाल ये है कि जब वो टॉपर्स हैं तो उनके जश्न में 'कांटों' की बात कहां से आ गई? और वो ऐसे किन रास्तों में चलना होगा जहां 'कांटे' हैं। अगर उन पर चलने में वो सफल हो गया तो कहां पहुंचेंगे वो। जानने के लिए पढि़ए ये 2ास रिपोर्ट।

-हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में टॉप करने वाले स्टूडेंट्स ने पार किया है अपने लक्ष्य का पहला पड़ाव, सफल करियर के मुकाम तक पहुंचने के लिए उनको और गुजरना होगा 'अग्नि परीक्षा' से

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सीआईएससीई बोर्ड का रिजल्ट आने के बाद टॉपर्स खुशी से झूम उठे। झूमना भी स्वाभाविक है, क्योंकि साल भर खूब मेहनत करने का फल मिला 98 परसेंट से भी ज्यादा मा‌र्क्स। इतने मा‌र्क्स मिलने के बाद उनको मंजिल पाने के लिए अभी 'कांटों' भरी राह से गुजरना होगा। क्योंकि उनके मा‌र्क्स बहुत अच्छे हैं ऐसे में मुस्कुराकर उनको आगे बढ़ना होगा। जुगनू प्रोजेक्ट के हेड और टेक्नोलॉजी मिशन इंडियन रेलवे के चेयरमैन डॉ। एनएस व्यास का कहना है कि टॉपर्स स्टूडेंट्स के सामने चैलेंजेस तब तक बढ़ते जाते हैं जब तक वो अपने करियर को स्टैब्लिश न कर लें। क्योंकि उनसे अपेक्षाएं बढ़ जाती हैं। वो बताते हैं कि एक बार परफॉर्म करके दिखाने के बाद अगर वो परफार्म नहीं कर पाते हैं तो उनके साथ-साथ पेरेंट्स को भी ज्यादा निराशा हाथ लगती है। ऐसे में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के टॉपर्स के लिए आगे की राह आसान नहीं है।

क्योंकि बढ़ जाती है उम्मीद

सेंट्रल गवर्नमेंट के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के सेक्रेट्री डॉ आशुतोष शर्मा के मुताबिक हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में टॉप करने वाले स्टूडेंट्स किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में बैठते हैं तो उनके परेंट्स और टीचर्स ये उम्मीद लगा लेते हैं कि उसका सलेक्शन हो ही जाएगा। लेकिन पढ़ाई में मध्यम स्टूडेंट्स ऐसी अपेक्षाएं अक्सर नहीं होती हैं। ऐसे में साफ है कि उनके ऊपर स्ट्रेस बढ़ेगा। लेकिन ऐसी स्थिति में अगर वो स्टूडेंट्स मुस्कुराकर वो चैलेंजेस भी फेस करेंगे तो फिर टाॅप करेंगे।

मेधावी होते हैं वो बच्चे

नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रो। नरेंद्र कुमार कहते हैं कि आईआईएम हो या फिर आईआईटी। इन संस्थानों में प्रवेश करने वाले ज्यादातर स्टूडेंट् शुरू से ही मेधावी होते हैं। लेकिन उनसे बातचीत के बाद मालूम चलता है कि सिर्फ पढ़ाई के दौरान ही नहीं बल्कि उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं में उससे भी ज्यादा मेहनत की। इसके बाद उनका सलेक्शन हुआ। सलेक्शन के बाद भी उनको अपने आपको स्टैब्लिश करने में काफी मेहनत करनी पड़ती है। मर्सी स्कूल की स्टूडेंट अग्रिमा शुक्ला कहती हैं कि मुझे सिविल सर्विसेज में जाना है ऐसे में अभी तो मुझे और कड़ी मेहनत करनी है। जिसके बाद ही मैं अपनी मंजिल को पा सकूंगी। हाईस्कूल में जितनी मेहनत की है। उसकी दस गुनी मेहनत करने के बाद ही मुझको अपनी मंजिल मिल सकेगी। अग्रिमा के 98. 4 परसेंट मा‌र्क्स आए हैं। वहीं मर्सी मेमोरियल की मंजरी शर्मा का हाईस्कूल में 97 प्रतिशत मा‌र्क्स पाने के बाद कहना है कि ये तो पहला पड़ाव है। अभी तक इससे कहीं ज्यादा मेहनत करनी है। क्योंकि मंजिल तो सफल करियर बनाने की है। वहां तक पहुंचने के लिए अभी तो कांटों भरी राह में पहला कदम रखा है। अब तो और आगे बढ़ना ही होगा। कुछ ऐसा ही मानना है कि जयपुरिया के प्रांशु निगम और स्वराज इंडिया के प्रज्जवल सिंहानिया का। हडर्ड हाईस्कूल की शीरीन फातिमा कहती हैं कि इंटरमीडिएट में 98.5 परसेंट मा‌र्क्स हासिल करने के बाद अब तो और ज्यादा चैलेंजस फेस करने पड़ेंगे। क्योंकि सफल करियर बनाने के लिए अभी कई प्रतियोगी परीक्षाओं को क्वालिफाई करना होगा। जिसके लिए काफी मेहनत करनी होगी। पहले से और ज्यादा मेहनत करनी होगी।

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले डॉ। सत्येंद्र चौहान बताते हैं कि अक्सर ये देखा गया है कि जिन बच्चों का हाईस्कूल और इंटरमीडिएट का बैकग्राउंड टॉपर का होता है। उनके अंदर हर प्रतियोगी परीक्षा को लेकर ज्यादा उत्साह रहता है। 80 परसेंट ऐसे बच्चे मेहनत भी खूब करते हैं। ऐसे में उनके सलेक्शन का रेशियो भी काफी रहता है। ऐसे में ये बात पूरी तरह साफ है कि हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के टॉपर्स को अन्य स्टूडेंट्स के मुकाबले आगे भी ज्यादा मेहनत करनी होगी। अगर वो तो फिर उनको मीडियम क्लास स्टूडेंट्स के मुकाबले ज्यादा प्रॉब्लम फेस करनी पड़ती है।

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सोच-समझकर बढ़ाना होगा कदम

साइकियाट्रिस्ट डॉ। विहान सान्याल बताते हैं कि बहुत अच्छे मा‌र्क्स जिन स्टूडेंट्स के आए हैं। उनको काफी सोच-समझकर कदम रखना चाहिए। उन स्टूडेंट्स के सामने एक सबसे बड़ी प्रॉब्लम आती है डिप्रेशन की। ऐसे में अगर वो प्लानिंग करके आगे बढ़ेंगे तो फिर सफलता जरूर उनके हाथ लगेगी। उनसे पेरेंट्स से लेकर रिश्तेदार और फ्रैंड्स सब बहुत ज्यादा उम्मीदें लगा लेते हैं। ऐसे में पढ़ाई में अव्वल होते हुए भी उनको आगे कई तरह के चैलेंजेस फेस करने पड़ते हैं।