कानपुर (सुधीर मिश्र)। भारत की संस्कृति और सभ्यता से प्रभावित होकर कई विदेशी नागरिक हमेशा हमेशा के लिए यहीं के हो गए। चाइना में पैदा हुई, कोलकाता में पली-बढ़ी और कानपुर में रह रही चाइना की कानकोशिउ ऐसी ही एक महिला हैं। कोलकाता में पलने बढऩे के साथ ही वे भारतीय संस्कृति से इतना प्रभावित हुईं कि उन्होंने मूलरूप से चाइनीज और मुंबई से कानपुर में बसे डॉ। वाईआई कोचि से शादी कर ली। 1982 में शादी करने के बाद 1996 में कोर्ट मैरिज की और कुली बाजार में रहने लगीं। उन्होंने भारत की नागरिकता के लिए भी आवेदन कर दिया। दो साल पहले केंद्र सरकार से नागरिकता का पत्र तो मिल गया लेकिन इसके बाद से वह एलआईयू और डीएम ऑफिस के चक्कर लगा रही हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के माध्यम से 70 साल की कानकोशिउ ने स्थानीय प्रशासन से ये अपील की है कि किसी तरह उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाए.
कोलकाता में है मायका
चाइनीज सीनियर सिटीजन कानकोशिउ ने बताया कि उनका मायका कोलकाता के तिरेत्ता बाजार में है। उनका जन्म 1953 को हुआ था। छोटी उम्र में ही(5-6 साल) उनका परिवार चीन से कोलकाता आ गया था। उनकी शादी 1982 में डॉ। वाईआई कोचि से हुई थी। डॉ। वाईआई कोचि की मूल रूप से चाइनीज थे। उनका परिवार भी चाइना से मुंबई आ गया था। इसके बाद वह कानपुर के कुली बाजार में आकर रहने लगे थे। कानपुर में रहने के दौरान चीनी दंपति के दो बेटे सैमशान ई और राबर्ट हुए। सैमशान ई मुंबई में पढ़ाई के साथ जॉब कर रहा था। 22 साल की उम्र में सैमशान ई की मुंबई में सडक़ हादसे में मौत हो गई। जिसके बाद दंपति पूरी तरह से टूट गया। कानकोशिउ बताती हैैं कि बेटे की मौत का गम पति बर्दाश्त नहीं कर पाए और 2009 में उनकी मृत्यु हो गई। दूसरा बेटा राबर्ट ताइवान में डेंटिस्ट की पढ़ाई कर रहा है।
एलआईयू से वीजा बढ़वाती रहीं
पति के चीनी मूल का होने की वजह से कानकोशिउ को भी चीनी नागरिकता की जरूरत पड़ी, जिसका प्रयास उन्होंने शुरू किया। वे हर छह महीने में एलआईयू ऑफिस जाकर लोकल वीजा (परमिशन) लेकर आ जाती थीं। एंबेसी के माध्यम से भारत सरकार से नागरिकता का आवेदन किया था। 2021 में उनको केंद्र सरकार का एक लेटर मिला जो 2019 में भेजा गया था। कानकोशिउ ने बताया कि उन्होंने नागरिकता के लिए ऑनलाइन आवेदन भी किया है। 2022 को अंतिम बार लोकल वीजा का एक्सटेंशन कराया था। उसके बाद से वे लगातार एलआईयू और डीएम ऑफिस के चक्कर लगा रही हैं। उनका कहना है कि वे एक साल से लगातार भटक रही हैं.
प्रापर्टी पर नजर गड़ाए हैं लोग
कुली बाजार में रहने के बाद पूरा परिवार परेड स्थित एक होटल के पड़ोस में जगह लेकर रहने लगा था। अब कानकोशिउ बेटे के डेंटिस्ट बनने का इंतजार कर रही है, जो पिता की विरासत को संभाल सके। वहीं समाज के और लोग उनकी प्रापर्टी पर नजर गड़ाए हैं। यतीमखाने से परेड चौराहे के बीच स्थित एक रेस्टोरेंट के कुछ दूरी पर कानकोशिउ का घर है, जहां वे अकेले पति की यादों के साथ रहती हैं.
कानपुर जिलाधिकारी ने कहाः
इस तरह की कोई पीडिता अभी तक उनसे नहीं मिलीं। ऑनलाइन आवेदन करने पर प्रक्रिया चल रही होगी। चीन और पाकिस्तान के निवासियों को नागरिकता व पासपोर्ट देने से पहले सघन जांच होती है। संभवत: उसी प्रक्रिया में ये मामला भी होगा। जांच कराकर निस्तारण कराएंगे.
-विशाख जी, जिलाधिकारी।