ये डीआईजी की रिपोर्ट है

तमाम सुरक्षा इंतजामों के बावजूद जेल की बैरकों में स्मैक सप्लाई की जा रही है। डीआईजी अमिताभ यश ने बताया कि  स्मैक सप्लाई के लिए जेल में क्रिमिनल्स तीन गैंग में बंट गए हैं। एक-दूसरे पर अपनी हनक कायम रखने के लिए ये कुछ भी करने को तैयार है। वर्चस्व की लड़ाई ने गैंगवार की नींव डाल दी है। अंडरवल्र्ड के बड़े खलीफा जेल में बैठकर स्मैक का धंधा चलवा रहे हैं। गुर्गे आकाओं की शान बरकरार रखने के लिए एक-दूसरे का खून बहाने के लिए तैयार हैं. 

ये है मॉडस ऑपरेंडी 

डीआईजी ने जेल अधीक्षक आरएन पांडे को एक लेटर भेजा है जिसमें जेल में स्मैक पहुंचाने की मॉडस ऑपरेंडी का जिक्र है। क्रिमिनल्स मुलाकाती के दौरान चीनी, बिस्कुट, लेदर की चप्पल, बेल्ट, मूंगफली और ताबीज में छुपाकर स्मैक जेल तक पहुंचाते है। सदर जेल हवालात की बनावट गड़बड़ होने का फायदा भी क्रिमिनल्स उठाते हैं। जेल अधीक्षक भी डीआईजी की चिंता को गैरवाजिब नहीं मानते हैं। उन्होंने बताया कि बैरक नंबर-22 और 23 में बब्लू झाड़ू वाले का दोस्त उसे स्मैक दे गया था. 

ये हैं शहर के ड्रग माफिया 

शहर के कई ड्रग माफिया पुलिस के रिकॉर्ड में दर्ज हैं। इनमें ब्रजेश सोनकर, बब्लू सोनकर और सूरज सोनकर (जेल में बंद है), पप्पू हलवाई, गुड्डू हलवाई, रियाजत, शराफत, रजनीकांत, मुन्नी बाई (बेकनगंज) समेत कई स्मैक तस्कर शामिल हैं। जेल में बंद तस्कर तारीख पर पेशी के दौरान ड्रग्स के सौदागरों से डीलिंग कर लेते हैं. 

पुलिस बनी मददगार

पुलिस सूत्रों ने बताया कि कुछ साल पहले जेल अधीक्षक रहे केसरवानी ने जेल में सख्ती की थी। तब अपराधियों ने स्मैक बैरक तक ले जाने के लिए जेल के ही सिपाहियों की मदद लेनी शुरू कर दी थी। अपराधियों के गुर्गे स्मैक पुलिसकर्मियों को देते थे। शाम को काउंटिंग के दौरान ये पुलिसकर्मी बंदियों को स्मैक थमा देते थे। इस काम के लिए पुलिसकर्मियों को बकायदा फीस भी अदा की जाती थी. 

यहां तो प्योरिटी की गारंटी है

चेकिंग से बचने के लिए बंदी स्मैक को गड्ढा खोदकर दबा कर इसके ऊपर ईंट रख देते हैं। जेल में रोजाना तकरीबन 150 ग्राम स्मैक की खपत हो जाती है। ये भी कहा जाता है कि जेल में मिलने वाली स्मैक मिलावटी नहीं होती। जबकि बाहर मार्केट में मिलावटी स्मैक का धंधा चलता है. 

इस बैरक को चमन हाता बोलते हैं

एक दशक पहले जेल में डी-टू गैंग के लीडर बिल्लू का सफेद पाउडर बिकता था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक बैरक नंबर 18 में बंद बिल्लू की वाइफ चमन उससे मुलाकात करने जाती थी। नई सडक़ से मुंबई तक डी-टू गैंग के लीडर बिल्लू का नाम बुलंदी पर था। बिल्लू ने पत्नी चमन के नाम पर ही बैरक का नवीनीकरण करा डाला। संगमरमरी पत्थर के साथ बैरक में चांद और तारे तक लगवा दिए थे। इस बैरक को आज भी चमन हाता बोला जाता है। एनकाउंटर में मारे गए बिल्लू के बाद गैंग माफिया अतीक पहलवान का फरमान था कि बैरक नंबर 18 में सिर्फ डी-टू के ही गुर्गे ठहरेंगे। पुलिस सूत्र ये भी बताते है कि स्मैक बिक्री को लेकर कभी डी-टू गैंग के बीच गैंगवार की स्थिति नहीं बनी। वो अपनी ताकत सिर्फ सुविधाओं के लिए इस्तेमाल करते थे।

पहले भी हो चुकी है गैंगवार

दो दशक पहले भी जेल में गैंगवार चलती थी। उस समय फहीम का भाई अकील नई सडक़ का नामी अपराधी था। जेल में इसका विरोधी मुन्ना पंडा उर्फ बिज्जन था। दोनों गुटों में वर्चस्व की लड़ाई को लेकर मारपीट होती थी। दूसरा गुट नफीस चौड़ा और डी-टू गैंग का धुर विरोधी शिशू पंडित का था। गैंग्स के बीच कई बार टकराव हुआ लेकिन नफीस हर बार भारी पड़ जाता था। क्योंकि नफीस के गैंग में इसरार पग्गल समेत कई हार्डकोर क्रिमिनल्स थे. 

गिलट ने किया खुलासा

डीआईजी के मुताबिक, मंगलवार को गिरफ्तार किए गए कुख्यात अपराधी सुनील गिलट ने जेल में स्मैक सप्लाई होने की बात बताई है। गिलट ने जेल में स्मैक ले जाने के तरीके भी बताए हैं। कुछ महीने पहले एसएपी अजय कुमार साहनी ने भी  लुटेरों का एक गैंग पकड़ा था। गैंग लीडर से पूछताछ में चप्पल के सोल में छुपाकर स्मैक जेल के अंदर पहुंचाने की बात सामने आई थी.