कानपुर (ब्यूरो)। डेडीकेटेड फ्रेट कारिडोर कारपोरेशन ऑफ इंडिया लि। &डीएफसीसीआइएल&य और बंगलुरू स्थित इंडियन साइंस इंस्टीट्यूट ने गुड्स ट्रेनों के सेफ ऑपरेशन के लिए मूङ्क्षवग इंस्पेक्शन इक्विपमेंट सिस्टम &एमआईईएस&य डेवलप किया है। यह सिस्टम 100 किमी प्रति घंटा की स्पीड से गुजरने वाली गुड्स ट्रेनों की भी खामियों को भी स्कैन करेगा। किसी प्रकार की खराबी की सूचना फोटो के साथ तत्काल कंट्रोल रूम तक पहुंच जाएगी। अलीगढ़ के समीप डेडीकेटेड फ्रेट कारिडोर के तहत बीते दो सालों से इसका ट्रायल किया जा रहा था। अब इसकी टेङ्क्षस्टग खुर्जा से लेकर कानपुर होते हुए प्रयागराज तक गुड्स ट्रेनों में की जा रही है। ट्रेन एक्सीडेंट को रोकने में यह टेक्नोलॉजी बेहद अहम साबित होगी।

पैसेंजर रूट पर भी लगाया जाएगा
मूङ्क्षवग इंस्पेक्शन इक्विपमेंट सिस्टम गुड्स ट्रेनों की छोटी-बड़ी सभी कमियों को स्कैन कर रहा है। कोई भी गुड्स ट्रेन ट्रैक से गुजरती है तो वह उसकी सौ से भी अधिक फोटो निकालता है। अब इस सिस्टम को ऐसे विकसित किया जा रहा है कि वह ऐसी बड़ी खराबी की फोटो या सूचना प्रेषित कर सके, जिससे रेल हादसे की आशंका हो और उसे रोका जा सके। अभी सौ से अधिक फोटो आ जाने के कारण रेलकर्मियों को मेजर फाल्ट ढूंढऩे में समय लग रहा है। आने वाले दिनों में यह सिस्टम टेक्निकल डिपार्टमेंट का बड़ा सहारा बनेगा।

डीएफसी ट्रैक पर नहीं होगे हादसे

डीएफसी ट्रैक पर गुड्स ट्रेनों की लंबी रैकों का संचालन होता है। वहीं इनकी स्पीड भी पैसेंजर ट्रेन की अपेक्षा अधिक होती है। यही कारण है कि डीएफसी में होने वाले रेल एक्सीडेंट बड़े होते है। कुछ महीने पूर्व ही रूरा के आगे डीएफसी ट्रैक पर हादसा हुआ था। जिसमें 35 से अधिक कोच पलट गए थे। वहीं लगभग दो किमी तक ओएचई भी टूट गई थी। ट्रैक को दुरुस्त होने में दो दिन का समय लग गया था। जिससे गुड्स ट्रेनों का लोड दिल्ली-हावड़ा पैसेंजर ट्रेन रूट पर आ गया था। जिससे पैसेंजर ट्रेनों की चाल दो दिनों तक प्रभावित रही थी।


क्या खास है एमआईईएस में
- डीएफसीसीआइएल और इंडियन साइंस इंस्टीट्यूट ने डेवलप किया सिस्टम
-अलीगढ़ के पास डीएफसी पर दो सालों से इसका ट्रायल किया जा रहा था
-अब इसकी टेङ्क्षस्टग खुर्जा से लेकर कानपुर होते हुए प्रयागराज तक की जा रही
- गुड्स ट्रेन ट्रैक से गुजरती है तो उसकी सौ से भी अधिक फोटो निकालता है
-किसी भी खामी को स्कैन कर कंट्रोल रूम भेजकर कर देता है अलर्ट
- ट्रेन एक्सीडेंट को रोकने में यह टेक्नोलॉजी बेहद अहम साबित होगी।