कानपुर (ब्यूरो)। ट्रांस गंगा सिटी की आधार शिला रखे जाने के दौरान यूपीसीडा ऑफिसर्स ने हाईटेक सिटी की तरह बसाने के दावे किए थे। इसी वजह से इसका पूरा नाम ट्रांस गंगा हाईटेक सिटी रखा गया था। लेकिन दस वर्ष होने को है, स्कूल-कालेज, हॉस्पिटल तो दूर की बात है अब तक न तो ट्रांस गंगा सिटी के पूरे गेट बन सके है और न ही पूरी बाउंड्रीवॉल बन सकी है। यही नहीं रोड, सीवर व ड्रेनेज नेटवर्क भी अब तक कम्प्लीट नहीं कर सके हैं। प्रोग्र्रेस रिपोर्ट 20 से लेकर 90 परसेंट तक है। कुल मिलाकर पूरी तरह से केवल इन्हीं सुविधाओं के लिए अभी खासा इंतजार करना पड़ेगा।

अधिकतर एलॉटी कानपुर के
वर्ष 2014 में तत्कालीन चीफ मिनिस्टर व चीफ सेक्रेटरी ने ट्रांसगंगा हाईटेक सिटी लांच की थी। उस समय ट्रांस गंगा सिटी के अंदर ही घर, स्कूल-कालेज, हॉस्पिटल, यूनिवर्सिटी, फैक्ट्री, ऑफिस सहित सभी सुविधाए मिलने का दावा किया गया था। इसी वजह से जैसे ही 2015 में 1800 प्लॉट लांच हुए लोगों की एलॉटमेंट के लिए लाइन लग गई। पहली बार में ही सभी प्लॉट हो गए। ज्यादा एलॉटी कानपुर के ही थे।

2700 करोड़ रु.
नाम के ही मुताबिक ट्रांस गंगा हाईटेक सिटी को डेवलप करने के लिए 2700 करोड़ रुपए से अधिक की प्रोजेक्ट कॉस्ट रखी। इसमें केवल सिविल वक्र्स के लिए 2 हजार करोड़ से अधिक धनराशि रखी गई थी। इसमें केवल सिटी के अन्दर 105 रोड बनाए जाने का प्लान था, जिनमें कई रोड्स 33 मीटर चौड़ी यानि फोरलेन की है। रोड नेटवर्क के अलावा ड्रेनेज सिस्टम, रोट्री आदि वर्क शामिल किए गए थे।

बेसिक सुविधाएं भी नहीं कम्प्लीट
एलॉटमेंट के समय मार्च 2017 तक सभी सुविधाएं उपलब्ध कराकर पजेशन देने के दावे किए गए थे। लेकिन 2018 तक भी ऐसा नहीं हुआ। जीवनभर की जमापूंजी प्लॉट में फंसी देख लोगों ने प्लॉट सरेंडर किए तो एलॉटीज के मुताबिक 12-12 परसेंट तक जमा धनराशि में कटौती की गई। इस पर एलॉटीज ने यूपी रियल इस्टेट रेगुलेशन अथॉरिटी में केस किया। रेरा के यूपीसीडा को इंट्रेस्ट सहित जमा धनराशि वापस करने का डिसीजन किया है। इंट्रेस्ट व पेनॉल्टी से बचने के लिए यूपीसीडा ने यूपी रियल इस्टेट अपीलेट ट्रिब्यूनल और हाईकोर्ट बेंच लखनऊ में केस लड़ रहा है।

बाउंड्रीवॉल तक न पाई

वहीं एलॉटीज का कहना है कि अब तक उनको एलॉट किए गए प्लॉट वाले सेक्टर्स तक में प्रॉपर रोड, ड्रेनेज आदि नेटवर्क यूपीसीडा नहीं तैयार कर सका। कई जगह रोड व नाले तक अधूरे पड़े। बाउंड्रीवॉल भी नहीं बन पाई है। गंगा कटरी से जुड़ा इलाका होने की वजह से हिंसक जानवरों से खतरा रहता है। तेंदुआ तक धमाचौकड़ी मचा चुका है। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट डिपार्टमेंट की टीम तेंदुए को पकडऩे के लिए कई दिनों तक डेरा डाले रही थी। चोर-लुटेरों का खतरा भी है। बरसात का पानी जगह-जगह भरा हुआ है।

लेआउट प्लान में रोड नेटवर्क
--4 रोड ए टाइप 33 मीटर वाइड
-- 2 रोड ए1 टाइप 33 मीटर चौड़ी
-- 2 रोड ए2 टाइप 33 मीटर वाइड
-- 16 रोड बी टाइप 24 मीटर चौड़ी
--17 रोड सी टाइप 19 मीटर वाइड
--13 रोड डी टाइप 18 मीटर चौड़ी
--35 रोड ई टाइप 14 मीटर वाइड
-- 5 रोड एफ टाइप 12 मीटर चौड़ी
-- 11 रोड एफ-ए टाइप 12 मीटर वाइड
-- 105 रोड टोटल बनाने की प्लानिंग
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--2700 करोड़ से अधिक है ट्रांस गंगा सिटी की प्रोजेक्ट कास्ट
--2070 करोड़ रोड, सीवेज, ड्रेनेज आदि सिविल वक्र्स के लिए है
--10 वर्ष अब तक कम्प्लीट नहीं हो सके सिविल वक्र्स


सिविल वक्र्स की प्रोग्र्रेस रिपोर्ट
वर्क-- प्रोग्र्रेस
रोड नेटवर्क-- 83 परसेंट
नाले -- 82 परसेंट
बाउंड्रीवॉल-- 20 परसेंट
सीवेज नेटवर्क-90 परसेंट
नालियां-- 90 परसेंट
रोट्री 1--100 परसेंट
रोट्री 2-- 25 परसेंट
मेन एंट्री गेट(3)-75
(प्रोग्र्रेस रिपोर्ट यूपीसीडा ऑफिसर्स के दावों के मुताबिक है)