कानपुर (ब्यूरो)। अगर आप भी बीमार होने पर ट्रीटमेंट के लिए बिरहाना रोड स्थित केपीएम हॉस्पिटल जाते है तो अब थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि हॉस्पिटल की बिल्डिंग सालों पुरानी हो चुकी है और कई स्थानों पर छत से प्लास्टर टूट कर गिर रहा है तो कई स्थानों पर छत की सरिया दिखाई देने लगी हैं। आईआईटी टीम के किए गए सर्वे में केपीएम हॉस्पिटल को जर्जर बताया गया है। हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन व आईआईटी की सर्वे रिपोर्ट सीनियर आफिसर्स को भेज दी गई है। अब गवर्नमेंट को फैसला लेना है कि हॉस्पिटल का रीडेवलपमेंट किया जाएगा या इसका लोड कम किया जाएगा।

गवर्नमेंट लेगा लास्ट फैसला

गौरतलब है कि बिरहाना रोड स्थित कमलापत मेमोरियल हॉस्पिटल का निर्माण करीब 61 वर्ष पहले हुआ था। तब यहां पर कानपुर के साथ ही आसपास के सिटी से पेशेंट ट्रीटमेंट कराने को आते थे। लेकिन वर्तमान में यहां की ओपीडी में डेली पेशेंट की संख्या तीन सौ के करीब ही रह गई हैं। हॉस्पिटल की इमारत पुरानी होने की वजह से यहां की दीवार और छत में सीलन बनी रहती है। छत और दीवारों के प्लाटर गिरने की वजह से कई जगह ईंट व सरिया तक दिखने लगी है। कई बार कर्मचारी व पेशेंट हादसे में चुटहिल होने से बचे हैं।

मेंटीनेंस के लिए सीएमएस ने लिखा था लेटर

केपीएम हॉस्पिटल के मेंटीनेंस कार्य व जांच के लिए तत्कालीन सीएमएस ने शासन को करीब चार साल पहले पत्र लिखा था। पत्र लिखने के बाद शासन से करीब नौ लाख रुपये का बजट स्वीकृत हुआ। बजट स्वीकृत होने के बाद कुछ माह पहले केपीएम हॉस्पिटल की इमारत की हालत व मजबूती की जांच के लिए आईआईटी ने सर्वे किया।

दीवारों में दरारें

सर्वे के दौरान आईआईटी टीम ने गहनता से जांच की। दीवारों की क्षमता परखने के लिए गड्ढे किए गए और उसके सैंपल भी लिए। वहीं, इस दौरान दीवारों के पास धमाका भी किया, जिस दौरान दीवारों पर दरारे पड़ गई। इसके बाद आईआईटी टीम ने अपनी रिपोर्ट तैयार की, जिसमे हॉस्पिटल की मजबूती को अपने मानकों में ठीक नहीं पाया। इस संबंध में उन्होंने केपीएम हॉस्पिटल के सीएमएस डॉ.आरएस यादव से बात की। हॉस्पिटल प्रशासन व आईआईटी टीम ने रिपोर्ट सीनियर आफिसर्स को भेज दी। सीनियर आफिसर्स के निर्देश पर हॉस्पिटल की हालत में सुधार हो सकता है।

अभी 50 पेशेंट है भर्ती

कमलापत मेमोरियल हॉस्पिटल में वर्तमान में करीब 50 पेशेंट भर्ती है, जिनमे बच्चे, युवा, महिला व बुजुर्ग सभी वर्ग के लोग शामिल है। हॉस्पिटल में करीब चार से पांच पेशेंट को डेली भर्ती किया जाता है। इसके अलावा चार से पांच पेशेंट के माइनर ऑपरेशन रोज किए जा रहे हैं। ओपीडी में भी सैकड़ों की संख्या में पेशेंट की काफी भीड़ होती है। ऐसे में पेशेंट की सुरक्षा का जिम्मा स्वास्थ्य विभाग पर है।