कानपुर (ब्यूरो)। लोकसभा चुनाव को लेकर पुलिस की एक्सरसाइज में चौंकाने वाली बात सामने आई है। क्रिमिनल एक्टिविटीज में शामिल 22 लोगों ने एड्रेस में धोखाधड़ी कर पड़ोसी जिलों से वेपन लाइसेंस लिए हैं। इनमें से 17 लोगों ने वेपन परचेज कर लाइसेंस पर चढ़वा भी लिया। अब तक ये शातिर शान से असलहा लेकर शहर में घूम रहे है। ये हालात तब हैं, जब बिकरू जैसा कांड हो चुका है। हैरान करने वाली बात यह है कि क्रिमिनल् रिकॉर्ड होने के बाद भी इन सभी को स्थानीय खुफिया इकाई(एलआईयू) ने एनओसी दी थी। हालांकि रिपोर्ट लगाने वाले पुलिसकर्मियों का ट्रांसफर गैर जनपद हो चुका है और वहां के कप्तानों या कमिश्नर ने इनके खिलाफ कार्रवाई भी की है। पुलिस सूत्रों की माने तो शासन को जानकारी दी गई है। लाइसेंस जब्तीकरण का आदेश होगा और वेपन भी जमा कराया जाएगा।

शहर में नहीं बने रहे लाइसेंस
डीएम के बिना जानकारी के कानपुर में दर्जनों की संख्या में वेपन लाइसेंस चार साल पहले जारी किए गए थे। इसी बीच यूपी के चर्चित विकास दुबे कांड में तमाम लाइसेंस फर्जी तरीके से जारी होने की पुष्टि हुई। एसआईटी ने असलहा विभाग से फाइलें लेकर जांच शुरू की। जिसमें 400 से ज्यादा फाइलें गुम होने की जानकारी सामने आई। कोतवाली में केस भी दर्ज किया गया था। इसके बाद एडमिनिस्ट्रेशन ने वेपन लाइसेंस जारी करना बंद कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया था कि कानपुर के डीएम वेपन लाइसेंस जारी करने से पहले उन्हें जानकारी दें। इसके बाद कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट तक गए, जहां से आदेश हुआ कि डीएम अपने विवेक पर लाइसेंस जारी कर सकते हैैं, लेकिन बीते चार साल में एक भी लाइसेंस जारी नहीं किया गया।

इस तरह से हुआ फर्जीवाड़ा
पुलिस विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, शातिरों ने रायबरेली, फतेहपुर, कानपुर देहात और उन्नाव में रहने वाले रिश्तेदारों के घर का डोमोसाइल और आधार कार्ड बनवा लिया। फार्म भरने के दौरान मूल पता कानपुर नगर का ही भरा गया। अब यहां से शुरू होता है सेटिंग का खेल। जब फार्म जांच के लिए कानपुर नगर आया और एलआईयू से एनओसी लेने की बात सामने आई तो सेटिंगबाजों ने इस एनओसी को लिए सेटिंग फैला दी, जिससे न सिर्फ एनओसी जारी हो गई बल्कि इस पर पॉजिटिव रिपोर्ट भी लग गई। रही सही कसर सेटिंगबाजों ने पूरी कर दी और इस रिपोर्ट के बाद चंद दिनों में ही लाइसेंस जारी कर दिया गया।

312 वेपन लाइसेंस की फाइल पेंडिंग
विभागीय सूत्रों की माने तो चौकी से लेकर एडिशनल सीपी के ऑफिस टेबल पर 312 वेपन लाइसेंस की फाइलें अपनी जांच पूरी होने का इंतजार कर रही हैैं। हालांकि लोगों को सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग की जानकारी होने की वजह से उन्होंने दौड़भाग धीमी गति से करना शुरू कर दिया है। पुलिस विभाग की माने तो लोकसभा चुनाव की वजह से असलहों की जांच भी बंद हो गई है। अब मतगणना तक जो वेपन फाइल जहां पड़ी हुई है, वहीं रहेगी।

18 डिजिट का यूआईडी
पुलिस अधिकारियों की माने तो बीते चार सालों से हर जिले के लाइसेंस धारकों को 18 डिजिट का नंबर दिया जाता है। जिसके लिए पूरी जांच पड़ताल करनी पड़ती है। ये 18 डिजिट का नंबर जारी होना बड़ी बात है। इसे जारी किए गए लाइसेंस पर अंकित किया जा चुका है।