कानपुर(ब्यूरो)। केस्को का सिस्टम हाईटेक होने के साथ ही कन्ज्यूमर्स बिजली चोरी के लिए तरह तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। मीटर रीडर्स की मिलीभगत से सैकड़ों घरों में लंबे समय से स्टोर रीडिंग का खेल चल रहा है। इससे केस्को को लाखों रुपए के रेवेन्यू का नुकसान हो रहा है। ऐसे ही एक खेल का संडे को खुलासा हुआ। केस्को की टीमों ने 38 कनेक्शन की जांच में 1,79,242 यूनिट स्टोर रीडिंग पकड़ी, जो कि लगभग 19 लाख रुपए की है।

134 कन्ज्यूमर्स की लिस्ट
दरअसल गर्मी में इस वर्ष जबरदस्त पॉवर की डिमांड रही है। कई बार सिटी के रेजीडेंशियल एरिया में पॉवर की डिमांड 700 मेगावॉट के पार पहुंच गई थी। बावजूद इसके दर्जनों की संख्या में ऐसे कन्ज्यूमर हैं, जिनका बिजली खर्च बढऩे के बजाए घट गया और सर्दियों जैसा ही बिजली खर्च रहा है। बिलिंग डेटा के एनॉलिसिस के बाद फिलहाल केस्को ऑफिसर्स ने 134 कन्ज्यूमर्स की लिस्ट तैयार की है। ये सभी कन्ज्यूमर पराग डेयरी, नौबस्ता और किदवई नगर डिवीजन के है।

गर्मी के बावजूद घटा खर्च
इन कनेक्शन की जांच के लिए सुपरिटेंडेंट इंजीनियर अनिल कुमार जायसवाल की अगुवाई में टेस्ट व डिस्ट्रिब्यूशन डिवीजन को मिलाकर 8 टीमें बनाई। संडे को इन टीमों ने 116 कन्ज्यूमर चेक किए। इनमें से 38 कन्ज्यूमर के यहां स्टोर रीडिंग पकडऩे में केस्को को टीमों ने सफलता हासिल की। केस्को के पीआरओ सीएसबी अंबेडकर ने बताया कि 38 कन्ज्यूमर के 117242 यूनिट बिजली स्टोर पाई गई यानि इस बिजली की अब तक बिलिंग की ही नहीं गई जो कि लगभग 19 लाख की है। इसी तरह 20 कन्ज्यूमर के मीटर का नम्बर मिसमैच मिला। बिजली चोरी मिलने पर 2 कन्ज्यूमर के खिलाफ धारा 135 के अंर्तगत मुकदमा दर्ज कराया गया है।

ये है स्टोर रीडिंग का खेल
मान लीजिए किसी कन्ज्यूमर के घर पर एक महीने में 500 यूनिट बिजली खर्च हुई लेकिन मीटर रीडर से सेटिंग-गेटिंग कर 200 यूनिट का ही बिल बनाया गया। इसी तरह कन्ज्यूमर व मीटर रीडर की सेटिंग-गेटिंग से हर महीने अधिक बिजली खर्च करने के बावजूद कम खपत का बिल बनाया जाता है। इससे मीटर की रीडिंग अधिक होने पर हजारों यूनिट पीछे की बिलिंग चलती रहती है। इससे केस्को को रेवेन्यू का नुकसान होता रहता है।

पहले भी पकड़े जा चुके हैं केस
स्टोर रीडिंग के केस पहले भी बिजलीघर डिवीजन, फूलबाग, जाजमऊ, किदवई नगर, सर्वोदय, कल्याणपुर आदि डिवीजन में पकड़ी जा चुकी है। बिलिंग करने वाली प्राइवेट कम्पनी के इम्प्लाइज (मीटर रीडर्स ) को हटा दिया गया था। स्टोर रीडिंग को बिल में जोडक़र पैसा वसूला गया था। मीटर जलाने पर एफआईआर भी कराई गई थी।